सांप-सीढ़ी और लूडो जैसे खेलों से लाडो जानेगी 'बाल विवाह' की हकीकत
अब खेल-खेल में बेटियों को बाल विवाह जैसी कुरीति के प्रति जागरूक किया जाएगा। जन्म से लेकर 18 साल तक के जीवनचक्र पर आधारित सांप-सीढ़ी और लूडो खेल के माध्यम से बालिकाओं को छोटी उम्र में विवाह के दुष्परिणामों की जानकारी दी जाएगी। ताकि राज्य में बाल विवाह को रोका जा सके।
राज्य सरकार, यूनिसेफ और लाड़ली सम्मान अभियान के सहयोग से बाल विवाह को रोकने और इसका विरोध करने के लिए राज्य में जल्द ही घर-घर जाकर एक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसमें हर घर की बेटी को 18 साल पूरे होने के बाद ही विवाह करने की शपथ भी दिलाई जाएगी।
लाड़ली सम्मान अभियान के समन्वयक विपिन तिवाड़ी ने बताया कि पूरे राज्य में इस अभियान के तहत बाल विवाह का विरोध किया जाएगा। पिछले दिनों राज्य के कुछ चुनिंदा स्थानों व गांव-ढाणियों में ही इसकी शुरुआत की गई थी। इस दौरान बेटियों के विवाह के एेसे मामले सामने आए थे, जिन्होंने बेहद चौंका दिया था।
कम उम्र में शादी और उसके बाद बेटी के संघर्ष की दास्तां, समाज की कुंठित मानसिकता को दिखाती है। इसे मिटाने के लिए ही इस अभियान को व्यापक स्तर पर चलाकर जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया गया है।
'चौपाल' पर चलेगा 'खेल'
बेटियों के घर जाकर उन्हें खेल के लिए आमंत्रित किया जाएगा। एक निश्चित दिन तय कर गांव की चौपाल पर बैठकर उनके साथ सांप-सीढ़ी और लूडो खेला जाएगा।
सांप की पूछ से शुरू होकर उसके मुंह तक पहुंचने के रोचक खेल के माध्यम से बेटी के जन्म से उसके बालिग होने तक की दास्तां को बयां किया जाएगा। इस दौरान विभिन्न उतार-चढ़ाव के संघर्ष को व्यावहारिक रूप में बताया जाएगा।
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