बॉर्डर इलाकों में सड़क मार्ग के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने हरी झंडी दे दी है.
बॉर्डर एरिया में सड़के बनने से यातायात तो सुगम होगा बल्कि जवानों के लिए भी किसी रामसेतु से कम नहीं होगा. अक्सर जवानों को बॉर्डर एरिया में गश्त के लिए आना जाना होता है. कई बार सीमा सुरक्षा बलों के जवानों को रेतीलें धोरों में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जवान रेत में फंस जाते है और उससे निकलने में उन्हे काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
लेकिन अब जब सड़क मार्ग बनाने को लेकर सड़क परिवहन विभाग द्वारा हरी झंडी दे दी गई है तो सीमा सुरक्षा बल के जवानों के लिए यह किसी लाइफ लाइन से कम नही होगी. सड़क बनने के बाद जवान काफी कम समय में बॉर्डर की गश्त कर सकेंगे. सड़क की जरुरत सबसे ज्यादा किसी अप्रिय घटना के समय महसूस होती है जब जवानों को बेहद कम समय में बॉर्डर पर पहुंचना होता है.
4780 करोड़ आएगी लागत-
केन्द्रीय सड़क परिवहन विभाग द्वारा स्वीकृत इस योजना के तहत तकरीबन 956 किलोमीटर सड़क निर्माण किया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के तहत 4780 करोड़ रुपए की लागत आने की संभावना है. हालांकि अभी यह तय नही हो पाया है कि काम कब से शुरु होगा.
आठ सड़क मार्ग हुए है स्वीकृत-
बॉर्डर इलाके में आठ सड़क मार्ग स्वीकृत हुए हैं. जिनमे मुनाबाव(एनएच-25), सुंदरा-म्याजलार-धनाना- असूतरा-घोटारू-तनोट-किशनगढ़ (भारत-पाक बॉर्डर) 275 किलोमीटर, जैसलमेर (एनएच-11) भाडासर-रामगढ़-तनोट 121 किलोमीटर, जैसलमेर (एनएच-11) कानोड-घंटियाली-नाचना-चीनू-नोख 169 किलोमीटर, गागरिया (एनएच-25) बावरी कला-सेड़वा- लकड़ासर-बाखासर (भारत-पाक बॉर्डर) 125 किलोमीटर, बाडासर-सरकारीतला (भारत-पाक बॉर्डर) 84 किलोमीटर, नाचना-बाला (बाबला) 47 किलोमीटर, नाचना-भारेवाल 40 किलोमीटर, और जैसलमेर-म्याजलार 95 किलोमीटर सड़के शामिल है.आजादीके 68 साल बाद बॉर्डर की तारबंदी के आसपास बड़े स्तर सड़कों के जाल बिछाने की तैयारी है। अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से सीमावर्ती गांवों में सड़कों का विस्तार महत्वपूर्ण मुद्दा है। सड़कों के विस्तार से सैन्य सुविधाओं में भी विस्तार होगा। केंद्र सरकार ने सरहदी गांवों में आठ नई सड़कों के निर्माण की स्वीकृति दे दी है।
हाल ही में राजस्थान दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भारत-पाक बॉर्डर पर 956 किमी. नवीन सड़क मार्ग के लिए 4780 करोड़ रुपए खर्च करने की स्वीकृति दी है। सड़कों के निर्माण की एनएचएआई को दी गई है। आगामी 2-3 सालों में बाड़मेर-जैसलमेर जिले के सीमावर्ती गांवों में सड़कों का जाल बिछने वाला है। इसके लिए केंद्र राज्य सरकार ने सड़कों को बनाने का प्लेटफॉर्म तैयार किया है। सड़कों के विस्तारीकरण से सैन्य वाहनों का आवागमन भी सुगम होगा। वर्तमान सीमावर्ती गांवों में सड़कें नहीं होने से सीमा सुरक्षा बल को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। वहीं यहां रहने वाले ग्रामीणों को भी यातायात की सुविधा नहीं मिल रही है। केंद्र सरकार की इस पहल से सीमावर्ती गांवों में सड़कें बनने से लोगों को राहत तो मिलेगी ही साथ ही बॉर्डर पर किसी आपातकाल के समय में सैन्य वाहनों का आवागमन भी सुगम हो सकेगा।
बॉर्डर इलाके में बनेगी ये आठ सड़कें
क्रसं.सड़क मार्ग किमी. प्रोजेक्ट लागत
1.मुनाबाव(एनएच-25ई) सुंदरा-म्याजलार-धनाना-
असूतरा-घोटारू-तनोट-किशनगढ़ (भारत-पाक बॉर्डर) 275 1375
2. जैसलमेर (एनएच-11) भाडासर-रामगढ़-तनोट 121 605
3. जैसलमेर (एनएच-11) कानोड-घंटियाली-
नाचना-चीनू-नोख 169 845
4. गागरिया (एनएच-25ई) बावरी कला-सेड़वा-
लकड़ासर-बाखासर (भारत-पाक बॉर्डर) 125 625
5. बाडासर-सरकारीतला (भारत-पाक बॉर्डर) 84 420
6. नाचना-बाला (बाबला) 47 235
7. नाचना-भारेवाल 40 200
8. जैसलमेर-म्याजलार 95 475
कुल- 956 किमी. 4780 करोड़
{आजादी के बाद बॉर्डर इलाके में बिछेगा सड़कों पर बड़ा नेटवर्क
{सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है सड़क मार्ग
{बॉर्डर इलाकों में बेहतरीन सड़क मार्ग के लिए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने दी हरी झंडी
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