शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

आतंकवाद का इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं-रिजवी मुफ्ती ए थर के उर्स में उमड़े अकीदतमन



आतंकवाद का इस्लाम से कोई ताल्लुक नहीं-रिजवी मुफ्ती ए थर के उर्स में उमड़े अकीदतमन

बाड़मेर 20 नवम्बर। दरूल उल्लूम अनवारे गोसिया का सालाना जलसा मुफ्ती ए थर

मुफ्ती वली मोहम्मद, नायमी का उर्स बड़ी अकीदत एतराम के साथ सेड़वा मैदान

में मनाया गया। इस जलसे में शेर ए हिन्द मुफ्ती, शेर मोहम्मद खान रिजवी

ने अपनी तकरीर में मोमिनों के दिलों में जोश पैदा कर दिया। हर तरफ से

सुबान अल्ला सुबान अल्लाह की सदा आ रही थी। नबी के दिवाने झुम झुम कर

नाराए तकबीर से पण्डाल गूंज उठा। मुफ्ती ए आजम राजस्थान, मुफ्ती शेर

मोहम्मद खान अवाम से मुखातिब होते हुए कहा कि मेरे इस्लाम ने अमन का

पैगाम दिया जो लोग जुल्म करते है और देहशतगर्दी कर इन्सान, इन्सान का खुन

बहाते है, उन लोगो का इस्लाम से कोई ताल्लुक नही। इस्लाम तो वतन से

मोहब्बत, पडोसी, गरीबो, मोहताजो, लाचारो की मदद करने का नाम ही इस्लाम

हैं। मेरे पैगम्बर इस्लाम के रास्ते में लोग काटे बिछा देते थे। कुडा

कर्कट डाल देते थे, अल्लाह का हुकम हुआ, ऐ मेरे प्यारे नबी, आ फरमादो तो

इन लोगो को दोनो पाहोडियो के बीच में आटे की चक्की की तरह पीस ले। मेरे

नबी ने फरमाया मैं पुरी दुनिया के लिए रहमत बनकर आया हूं। यह जुल्म करते

रहे और मै। इन्हे माफ करता रहूं ये मेरा इस्लाम हैं।

कौमी एकता पर बोलते हुए कहा पैगम्बरे इस्लाम ने अमन शान्ति का पैगाम

दिया। अपने वतन से मोहब्बत करना ईमान का आधा हिस्सा हैं। हम सब आदम की

औलाद है। हम में कोई छोटा बड़ा नही, बडा वो है जो रब को ज्यादा याद करता

है और गरीबो, मजलूमों की हमेशा मदद करता है। इन्सानियत, भाईचारे और अपने

मूल्क के लिए हर वक्त कुर्बान होने का दिल में जज्बा पैदा करों। पीर सैयद

नूरूल्लाह शाह बुखारी ने अपनी तकरीर में कहा अल्लाह ने इन्सान के जरूरत

के मुताबिक दुनिया की तमाम नहमते बनाई और बन्दे को सिर्फ अल्लाह की ईबादत

के लिए बनाया। इसलिए पांच वक्त नमाज पढे, गरीबो, बेसहारो लोगो की मदद

करें, यही रास्ता है जो जन्नत तक ले जाता हैं। इस अवसर पर मौलाना ताज

मोहम्मद, जिलानी जमात के चीफ खलीफ मौलाना सखी मोहम्मद कादरी, मौलाना अयूब

असरफी मौलाना अली हसन, मौलान जान मोहम्मद, मौलाना बिलाल, मौलाना

कमालुदीन, सैयद भूरेशाह, सैयद गुलाम शाह, सैयद मीठन शाह, मुस्लिम

इंतेजामिया कमेटी के पूर्व सदर असरफ अली, हासम खा समेजा सिहार, एडवोकेट

मुनवर अली सहित कई लोग मौजूद थे।

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