सरकार को लिखे 24 खत, प्रेमिका कॉलेज में है, मुझे भी जाना है, पास कर दीजिए
जयपुर। शिक्षा संकुल स्थित स्टेट ओपन स्कूल के कार्यालय में इन दिनों एक परीक्षार्थी के प्रेम पत्र खासे चर्चा का विषय बने हुए हैं। सिरोही के शिवगंज के इस विद्यार्थी ने बारहवीं में पास होने के लिए स्टेट ओपन को पिछले तीन महीने में 24 पत्र लिख दिए हैं।
पत्रों में उसने स्पष्ट लिखा है कि वह प्रेमिका से मिलने के लिए पास होना चाहता है। वरना उसे पढाई की कोई जरूरत नहीं है। पास होकर वह कॉलेज एडमिशन ले सके और पहले से ही वहां पढ़ रही अपनी प्रेमिका से मिल सके।
स्टेट ओपन स्कूल को लिखे पत्र में लिखा, मैंने दो बार 12वीं की परीक्षा दी है। केवल दो विषय इतिहास और अर्थशास्त्र में कुछ नंबरों से फेल हो जाता हूं। मैं जिस लड़की से दोस्ती करना चाहता हूं, वो कॉलेज में फाइनल इयर में है। मैं हर साल कॉलेज में जाने का इंतजार करता हूं ताकि उससे दोस्ती कर सकूं। अगर आपने मुझे पास कर दिया होता तो मैं आज उस लड़की के साथ कॉलेज में होता। सर दिन-रात नींद नहीं आती है। सर अगले साल वो लड़की फाइनल करके चली जाएगी। बाद में कॉलेज जाने से क्या फायदा।
एक बार तो भगवान भी मौका देता है आप क्यों नहीं दे रहे
लड़के ने लिखा कि सर, एक बार तो कॉलेज में जाने का मौका दिया होता ताकि मैं उससे दोस्ती कर लेता, या उससे मिल लेता। पत्र में परीक्षार्थी ने स्टेट ओपन स्कूल के अधिकारी से सवाल किया, सर बताओ जिंदगी में एक बार भगवान भी मौका देता है। फिर आप तो इनसान हैं। एक बार भी नहीं सोचा, क्यूं सर।
एक पत्र में तो उसने यहां तक लिख दिया, सर मैं अब तक आपको 19 पत्र लिख चुका हूं। आपको मुझे पास करना होगा। एक पत्र में तो यह भी लिखा है कि मैं लड़कों से दोस्ती पसंद नहीं करता। मुझे तो केवल उसी लड़की से दोस्ती करनी है।
दो बार हो चुका है फेल, तीसरी बार भरा फॉर्म:
शिवगंज के इस लड़के ने अक्टूबर-नवंबर-2014 और मार्च-अप्रैल 2015 में बारहवीं की परीक्षा दी थी लेकिन दोनों ही बार इतिहास और अर्थशास्त्र में फेल हो गया। इसमें अब अक्टूबर-नवंबर-2015 वाले सत्र के लिए फिर से आवेदन किया है।
इनका कहना है...
स्टेट अोपन स्कूल के सचिव दयाराम महरिया का कहना है कि शिक्षा का उद्देश्य हर एक के लिए अलग अलग हो सकता है लेकिन यह तो हद हो गई कि एक लड़का केवल इसलिए कॉलेज जाना चाहता है कि वह लड़की से दोस्ती कर सके।
यह सब देश में चल रही लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्घति का असर है। शिक्षा के साथ साथ संस्कार जुड़े होते तो लड़का ऐसा नहीं करता। विद्यार्थी जीवन भविष्य बनाने के लिए स्वर्णकाल होता है। यह लड़का पत्र लिखने में जितनी मेहनत करता है, उतनी मेहनत पढ़ाई करने में करता तो पास हो जाता।
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