शुक्रवार, 2 अक्टूबर 2015

जैसलमेर. युद्ध स्थल में रखा पाकिस्तानी टैंक जिस पर भारतीय सैनिकों ने मनाया था जीत का जश्न।






जैसलमेर. युद्ध स्थल में रखा पाकिस्तानी टैंक जिस पर भारतीय सैनिकों ने मनाया था जीत का जश्न।

जैसलमेर. लौंगेवाला युद्ध स्थल।

देसी सैलानियों के लिए अद्भुत



कोणार्क कोर ने 1965 के युद्ध की स्वर्ण जयंती के मौके पर तैयार किया रण क्षेत्र पर्यटकों के लिए खोला, तनोट जाने वाले देख सकेंगे बॉर्डर पर असली युद्ध स्थल

1971 स्मारक
लोंगेवाला युद्ध स्थल पर देसी सैलानियों की आवक शुरू हो गई है। गुरुवार को मुम्बई से आए हेमंत कुमार उनकी पत्नी ने बताया कि उन्होंने बॉर्डर फिल्म देख रखी है और अन्य कई जगहों पर युद्ध से जुड़ी प्रदर्शनी म्यूजियम देखे हैं लेकिन युद्ध स्थल देखने का पहली बार मौका मिला है। यह वाकई में अद्भुत है और रोंगटे खड़े कर देने वाला है। इस पवित्र जमीन पर कदम रखते ही मन जोश जज्बे से भर जाता है।


जैसलमेर



वर्ष1971 के युद्ध में लोंगेवाला में पाकिस्तानी सेना की पूरी टैंक ब्रिगेड को भारतीय थलसेना की 23 पंजाब की टुकड़ी ने धूल चटा दी थी। करीब डेढ़ दशक पहले 'बॉर्डर' फिल्म में युद्ध का बखूबी चित्रांकन किया गया था। अब थलसेना ने इस गौरवशाली युद्ध को 45 साल बाद जीवंत कर दिखाया है। 1965 के युद्ध की स्वर्ण जयंती के मौके पर कोणार्क कोर ने लोंगेवाला में इस युद्ध स्थल को वैसे ही सजीव किया है, जैसे वर्ष 1971 में 4 5 दिसंबर की रात को हुआ था। यहां पर युद्ध स्थल बनाने के साथ उस दौर का सैन्य सामान, टैंक आदि प्रदर्शित किए हैं। साथ ही थिएटर में बेहतरीन दृश्य श्रव्य माध्यम से इसे जीवंत किया है। इसे पर्यटकों के लिए गत 24 अगस्त को खोल दिया गया।


तनोट जाने वाले पर्यटक अब इस स्थल को देख सकेंगे।
1971 युद्ध की गाथा

4-5दिसंबर 1971 को पाकिस्तान की दो आर्म्ड रेजिमेंट ने करीब 1 हजार सैनिकों के साथ भारत पर हमला कर दिया था। उस समय लोंगेवाला में मेजर कुलदीपसिंह चांदपुरी के नेतृत्व में केवल 120 जवान तैनात थे। जैसलमेर एयरबेस पर चार हंटर विमान थे जो रात में उड़ान नहीं भर सकते थे। ऐसे में मेजर चांदपुरी के जिम्मे पाक सेना को लोंगेवाला में रोकने की जिम्मेदारी थी। केवल 120 जवानों ने अपनी बहादुरी का परिचय देते हुए पाक सेना को धूल चटा दी। उनके टैंक नेस्तनाबूद कर दिए और लोंगेवाला तक आई पाक सेना को आगे नहीं बढ़ने दिया। दिन उगने के साथ हंटर विमानों ने पाक सेना के टैंकों की कब्रगाह यहीं खोद दी। भारतीय सैनिकों के हौसले उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से सेना ने लोंगेवाला में उसी स्थान पर युद्ध स्थल बनाया है।
हमारे सैनिकों को श्रद्धांजलि है
ब्रिगेडियरविपुल सिंघल ने गुरुवार को युद्ध स्थल पर पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हमारा सौभाग्य है कि यहां पर युद्ध हुआ था और उस पवित्र जमीन पर आज हम मौजूद हैं। एल्फा कंपनी 23 पंजाब के 120 जवानों ने 70 टैंकों 1 हजार पाक सैनिकों को नेस्तनाबूद कर दिया था। बहादुर सैनिकों के खून से सींची हुई जमीन है यह। हमने उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से युद्ध को रीक्रिएट किया है। यहां से युवा पीढ़ी प्रेरणा लेगी और यह युद्ध स्थल जैसलमेर का नया टूरिस्ट प्वाइंट बनकर उभरेगा। इस अवसर पर कर्नल हरप्रीतसिंह, कर्नल अहमद, ले. कर्नल मनीष ओझा भी मौजूद थे।
असली युद्ध स्थल के ठीक सामने तैयार किया स्मारक
लोंगेवालामें इस युद्ध स्मारक का निर्माण ठीक उसी स्थान पर किया गया हैं, जहां 4 दिसंबर 1971 की रात को भारत के बहादुर सैनिकों ने अपने जज्बे के दम पर पाकिस्तान को करारी शिकस्त देते हुए 179 दुश्मनों को हताहत करने के साथ-साथ उसके 37 टैंकों को भी ध्वस्त किया था। युद्ध की दृश्यावली का सजीव चित्रण बंकरों, बारूदी सुरंगों और बर्बाद हुए टैंकों अन्य सैन्य वाहनों की मदद से किया गया है। उच्च नैतिक मूल्यों से ओत-प्रोत भारतीय सैनिकों की चित्रावली भी प्रदर्शित की गई है, जिनका देश के प्रति समर्पण बलिदान भाव ही लोंगेवाला विजय की आधारशिला बना। युद्ध में पाकिस्तानी टैंकों को ध्वस्त करने वाली 106 एमएम रिकाइलेस गन को भी इस संग्रहालय में गौरवपूर्ण तरीके से स्थापित किया गया है। लोंगेवाला युद्ध की सजीव प्रस्तुति क चलचित्र के माध्यम से प्रदर्शित करने के लिए संग्रहालय में एक सिनेमाहॉल भी है। इस प्रस्तुति में मेजर कुलदीपसिंह चांदपुरी के युद्ध विश्लेषणों को सम्मिलित कर इसे इतना सजीव बना दिया गया है कि इसे देखते हुए हर कोई गर्व से भर उठता है।

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