उदयपुर मौताणे के विवाद में सवा साल से स्कूल में लटका है शव
मौताणे पर सहमति नहीं बनी तो सवा साल बाद भी मृतक को मुक्ति नहीं मिल पाई। इस युवक की मौत मई 2014 में हुई थी।
तब से शव मांडवा थाना क्षेत्र से सटी गुजरात सीमा के निचली आंजणी गांव के खण्डहर हो चुके स्कूल के पुराने भवन में लटका हुआ है।
कंकाल में तब्दील हो रहा शव आधा ही बचा है। इधर, परिजन अब तक मौताणे के लिए अड़े हैं और आरोपित पक्ष के गांव वाले आरोपों को सिरे से नकारते हुए खर्च नहीं देने की जिद पर हैं।
परिजन बोले-हत्या हुई
मृतक की पहचान अजमेरी (36) के रूप में हुई है। उसके भाई पोपट ने बताया कि पिछले साल मई में अजमेरी अपनी बहन से मिलने बूझा गांव गया था। तीन दिन बाद नहीं लौटा तो तलाश शुरू की गई।
एक माह बाद मवेशी चराने गए गांव के लोगों ने पास की पहाड़ी पर शव मिलने की सूचना दी, जो आधा कटा था। शव का निचला हिस्सा सड़-गल चुका था।
परिजन व ग्रामीण शव को पोटली में बांधकर गांव ले आए। परिजनों ने बूझा के ग्रामीणों पर हत्या का आरोप लगाते हुए मौताणे की मांग की।
बूझा के लोगों ने हत्या में अपनी भूमिका नहीं होना बताते हुए मौताणा देने से इनकार कर दिया। परिजनों ने शव की पोटली पहाड़ी पर गांव के स्कूल भवन में लटका दी।
कोर्ट की हिदायत पर हरकत में आई पुलिस
मामला गुजरात और राजस्थान पुलिस के बीच है, जिसका पता होने के बावजूद जाप्ता आदिवासियों के कथित रिवाज के आगे बेबस बना रहा।
निचली आंजणी गांव गुजरात के पोशीना थाना क्षेत्र में आता है। अजमेरी वहीं का रहने वाला था, लेकिन बूझा गांव मांडवा थाना क्षेत्र में है।
इस कारण भी विवाद दोनों थानों के बीच टलता रहा। मौताणे के लिए बार-बार दबाव बनाने पर बूझा वासियों ने कोटड़ा कोर्ट में इस्तगासा पेश किया। कार्रवाई की हिदायत पर पुलिस इसे सुलझाने में जुटी है। छोटी आंजणी के लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है।
बूझा के ग्रामीणों की तरफ से मामला दर्ज करवाया गया था। दो दिन पूर्व कोर्ट से भी इस्तगासा आया है। आज ही उस क्षेत्र में जाकर आया हूं। मृतक के परिजन घर पर नहीं मिले, इसलिए बातचीत नहीं हो पाई है। दोनों पक्षों को बुलाकर मामला सुलझाने के प्रयास कर रहे हैं।
भगवतसिंह काला, थानाधिकारी, मांडवा
जल्द निपटवाने का होगा प्रयास
मैंने दो दिन पहले चार्ज लिया है। मामला जानकारी में नहीं है। पता करवाकर मामले जल्द से जल्द निपटवाने का प्रयास किया जाएगा।
जी.के. इसरानी, थानाधिकारी, पोशीना (गुजरात)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें