बाड़मेर सात समंदर पार से पहुंचे पावणे
सात समंदर का हवाई फासला तय कर शीतकालीन प्रवास के लिए प्रवासी परिन्दे कुरजां के पहले जत्थे ने जिले के पचपदरा, रैवाड़ा आदि इलाकों में दस्तक दी है।
यहां सोमवार को भोर की पहली किरण के साथ कलरव और आसमान में उड़ान भरते प्रवासी परिन्दों के समूह ने माहौल में नई जान फूंक दी। इन्हें निहारने के लिए लोग छतों पर खड़े नजर आए।
पचपदरा के तालर मैदान, इमरतिया, हरजी, गुलाबसागर तालाब के साथ ही गोपड़ी रोड पर खेतों में दिन भर कुरजां की अठखेलियां जारी रही। हर वर्ष की तरह इस बार भी तय समय पर साइबेरिया सहित ठंडे मुल्कों से शीतकालीन प्रवास के लिए विभिन्न प्रजातियों के विदेशी पखेरू अपनी मुआफिक ठौर पचपदरा पहुंच चुके हैं।
इनमें सबसे ज्यादा तादाद कुरजां की है। लगभग छह माह तक ये परिन्दे शीतकालीन प्रवास पर इस इलाके में रहेंगे। फरवरी माह के आखिर या मार्च माह के पहले सप्ताह में ये विदेशी मेहमान स्वदेश के लिए रवाना हो जाएंगे।
अनुशासन की बानगी
विदेशी परिंदे कुरजां में अनुशासन इनकी खास पहचान है। कतारबद्ध उड़ान भरते इन पक्षियों की यह खासियत लोगों का मन मोह लेती है। उड़ान में नवजात परिंदे सबसे आगे रहते हैं। यहां प्रवास के बाद स्वदेश रवानगी के वक्त भी दल का नेतृत्व नवजात परिन्दे ही करते हैं।
अनुकूल आबोहवा
इस बार क्षेत्र में अच्छी बारिश से तालाब लबालब हैं। कुरजां व अन्य परिन्दों के लिए चुग्गे-पानी की कोई कमी नहीं है। ऐसे में इन पक्षियों के लिए इस बार का प्रवास काफी सहूलियत भरा रहेगा।
धरातल पर साकार नहीं हुई योजना
कुरजां सहित विदेशी परिंदों की तादाद व इनके छह माह तक प्रवास को लेकर पचपदरा में पर्यटन विकास को लेकर बनी योजना अभी तक धरातल पर साकार रूप नहीं ले पाई है। भारतीय पर्यटन विभाग की ओर से सर्वे भी हो चुका है। जिला कलक्टर ने भी गत माह पचपदरा में भ्रमण कर पर्यटन विकास की संभावनाओं को नजदीकी से देखा था।
संरक्षण व पर्यटन विकास हो
कुरजां सहित विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी परिन्दों को संरक्षण की जरूरत है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बनी योजना पर अमल हो। इसके लिए पंचायत समिति की बैठक में भी मांग रखी जाएगी।
गायत्री जागरवाल, पंचायत समिति सदस्य
सात समंदर का हवाई फासला तय कर शीतकालीन प्रवास के लिए प्रवासी परिन्दे कुरजां के पहले जत्थे ने जिले के पचपदरा, रैवाड़ा आदि इलाकों में दस्तक दी है।
यहां सोमवार को भोर की पहली किरण के साथ कलरव और आसमान में उड़ान भरते प्रवासी परिन्दों के समूह ने माहौल में नई जान फूंक दी। इन्हें निहारने के लिए लोग छतों पर खड़े नजर आए।
पचपदरा के तालर मैदान, इमरतिया, हरजी, गुलाबसागर तालाब के साथ ही गोपड़ी रोड पर खेतों में दिन भर कुरजां की अठखेलियां जारी रही। हर वर्ष की तरह इस बार भी तय समय पर साइबेरिया सहित ठंडे मुल्कों से शीतकालीन प्रवास के लिए विभिन्न प्रजातियों के विदेशी पखेरू अपनी मुआफिक ठौर पचपदरा पहुंच चुके हैं।
इनमें सबसे ज्यादा तादाद कुरजां की है। लगभग छह माह तक ये परिन्दे शीतकालीन प्रवास पर इस इलाके में रहेंगे। फरवरी माह के आखिर या मार्च माह के पहले सप्ताह में ये विदेशी मेहमान स्वदेश के लिए रवाना हो जाएंगे।
अनुशासन की बानगी
विदेशी परिंदे कुरजां में अनुशासन इनकी खास पहचान है। कतारबद्ध उड़ान भरते इन पक्षियों की यह खासियत लोगों का मन मोह लेती है। उड़ान में नवजात परिंदे सबसे आगे रहते हैं। यहां प्रवास के बाद स्वदेश रवानगी के वक्त भी दल का नेतृत्व नवजात परिन्दे ही करते हैं।
अनुकूल आबोहवा
इस बार क्षेत्र में अच्छी बारिश से तालाब लबालब हैं। कुरजां व अन्य परिन्दों के लिए चुग्गे-पानी की कोई कमी नहीं है। ऐसे में इन पक्षियों के लिए इस बार का प्रवास काफी सहूलियत भरा रहेगा।
धरातल पर साकार नहीं हुई योजना
कुरजां सहित विदेशी परिंदों की तादाद व इनके छह माह तक प्रवास को लेकर पचपदरा में पर्यटन विकास को लेकर बनी योजना अभी तक धरातल पर साकार रूप नहीं ले पाई है। भारतीय पर्यटन विभाग की ओर से सर्वे भी हो चुका है। जिला कलक्टर ने भी गत माह पचपदरा में भ्रमण कर पर्यटन विकास की संभावनाओं को नजदीकी से देखा था।
संरक्षण व पर्यटन विकास हो
कुरजां सहित विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी परिन्दों को संरक्षण की जरूरत है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बनी योजना पर अमल हो। इसके लिए पंचायत समिति की बैठक में भी मांग रखी जाएगी।
गायत्री जागरवाल, पंचायत समिति सदस्य
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