बाड़मेर। मातृ मृत्यु दर रोकने को गर्भवती महिलाआंे की होगी ट्रेकिंग
बाड़मेर, 18 सितंबर। मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए अब गर्भवती महिलाओं की प्रसव के बाद 42 दिन तक निगरानी रखी जाएगी। इसके लिए अक्टूबर माह से कुशल मंगल योजना प्रारंभ होगी। गर्भवती महिलाआंे की हाई रिस्क एवं अन्य बीमारियांे की पहचान के लिए ममता कार्ड पर लाल एवं पीला स्टीकरण चस्पा किया जाएगा।
गर्भवती महिलाआंे को जोखिम से सुरक्षा दिलाने के लिए नेशनल हेल्थ मिशन के तहत कुशल मंगल की समेकित योजना बनाई है। इसमंे पहले से चल रही चार योजनाआंे को शामिल किया गया है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं की सूची बनाई जाएगी। जांच के बाद चिह्नित हाई रिस्क प्रेगनेंसी महिलाओं के नाम दर्ज किए जाएंगे। गर्भवती महिलाआंे की जोखिम से सुरक्षा के लिए गर्भधारण से प्रसव के बाद 42 दिन तक मोनेटरिंग की जाएगी। कुशल मंगल योजना में मुख्य भूमिका आशा सहयोगिनियों, एएनएम की रहेगी। योजना में प्रसव पूर्व जांच एवं उपचार के लिए नियमित फॉलोअप किया जाएगा। ब्लॉक स्तर पर बीसीएमएचओ एवं जिला स्तर पर आरसीएचओ मोनेटरिंग करेंगे।
ऐसे होगा हाई रिस्क ट्रेकिंग प्रबंधनः आशा सहयोगिनी गर्भवती महिला का पंजीयन करेगी। जिससे गर्भधारण के पूर्व की तिमाही में महिलाओं मे जटिलताओं की पहचान की जा सके। इसके बाद सूचीबद्ध महिलाओं का डाक्टर की सलाह से जांच एवं उपचार किया जाएगा।
सुविधाआंे की मिलेगी जानकारीः रजिस्टर में दर्ज रिकार्ड को साफ्टवेयर में अपडेट करने के बाद राज्य स्तर पर 104 काल सेंटर के जरिए अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी। प्रसव के बाद एएनएम महीने में निर्धारित शुक्रवार को सुरक्षित मातृत्व दिवस पर विशेषज्ञ डॉक्टर से जांच के लिए एएनएम प्रेरित करेगी और केस का फॉलोअप करेगी।
लाल एवं पीले स्टीकर से होगी पहचानः गर्भवती महिलाआंे की हाई रिस्क एवं अन्य बीमारियांे की पहचान के लिए ममता कार्ड पर लाल एवं पीला स्टीकरण चस्पा किया जाएगा। अधिकारिक सूत्रांे के मुताबिक
बाड़मेर, 18 सितंबर। मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए अब गर्भवती महिलाओं की प्रसव के बाद 42 दिन तक निगरानी रखी जाएगी। इसके लिए अक्टूबर माह से कुशल मंगल योजना प्रारंभ होगी। गर्भवती महिलाआंे की हाई रिस्क एवं अन्य बीमारियांे की पहचान के लिए ममता कार्ड पर लाल एवं पीला स्टीकरण चस्पा किया जाएगा।
गर्भवती महिलाआंे को जोखिम से सुरक्षा दिलाने के लिए नेशनल हेल्थ मिशन के तहत कुशल मंगल की समेकित योजना बनाई है। इसमंे पहले से चल रही चार योजनाआंे को शामिल किया गया है। इसके तहत गर्भवती महिलाओं की सूची बनाई जाएगी। जांच के बाद चिह्नित हाई रिस्क प्रेगनेंसी महिलाओं के नाम दर्ज किए जाएंगे। गर्भवती महिलाआंे की जोखिम से सुरक्षा के लिए गर्भधारण से प्रसव के बाद 42 दिन तक मोनेटरिंग की जाएगी। कुशल मंगल योजना में मुख्य भूमिका आशा सहयोगिनियों, एएनएम की रहेगी। योजना में प्रसव पूर्व जांच एवं उपचार के लिए नियमित फॉलोअप किया जाएगा। ब्लॉक स्तर पर बीसीएमएचओ एवं जिला स्तर पर आरसीएचओ मोनेटरिंग करेंगे।
ऐसे होगा हाई रिस्क ट्रेकिंग प्रबंधनः आशा सहयोगिनी गर्भवती महिला का पंजीयन करेगी। जिससे गर्भधारण के पूर्व की तिमाही में महिलाओं मे जटिलताओं की पहचान की जा सके। इसके बाद सूचीबद्ध महिलाओं का डाक्टर की सलाह से जांच एवं उपचार किया जाएगा।
सुविधाआंे की मिलेगी जानकारीः रजिस्टर में दर्ज रिकार्ड को साफ्टवेयर में अपडेट करने के बाद राज्य स्तर पर 104 काल सेंटर के जरिए अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी दी जाएगी। प्रसव के बाद एएनएम महीने में निर्धारित शुक्रवार को सुरक्षित मातृत्व दिवस पर विशेषज्ञ डॉक्टर से जांच के लिए एएनएम प्रेरित करेगी और केस का फॉलोअप करेगी।
लाल एवं पीले स्टीकर से होगी पहचानः गर्भवती महिलाआंे की हाई रिस्क एवं अन्य बीमारियांे की पहचान के लिए ममता कार्ड पर लाल एवं पीला स्टीकरण चस्पा किया जाएगा। अधिकारिक सूत्रांे के मुताबिक
गर्भवती महिलाआंे मंे 10 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन, ब्लड प्रेशर की दिक्कत, गर्भाशय में शिशु उल्टा होना आदि को हाई रिस्क में रखा जाता है। 10 ग्राम से कम हिमोग्लोबिन वाली महिलाओं के ममता कार्ड पर लाल स्टीकर लगाया जाएगा। जबकि शूगर, बीपी, थायराइड आदि से ग्रसित महिलाओं के ममता कार्ड पर पीला स्टीकर लगाया जाएगा। लाल स्टीकर वाले ममता कार्ड को देखकर महिला को हिमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए ट्रीटमेंट दिया जाएगा। वहीं पीले कार्ड वाली महिलाओं को उनके रोग के मुताबिक ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाएगा।
महिलाआंे को करेंगे जागरूकः कुशल मंगल योजना के तहत बीस वर्ष की आयु के बाद गर्भधारण, दूसरी बार गर्भधारण में 3 साल का अंतर तथा 35 साल के बाद गर्भधारण को टालने के लिए जागरूकता का कार्य किया जाएगा। गर्भवती महिलाओं की जांच के दौरान उन्हें 108 एंबुलेंस 104 जननी एक्सप्रेस के नंबर दिए जाएंगे, ताकि डिलेवरी के लिए वे समय पर अस्पताल पहुंच सके। उन्हें आशा सहयोगिनी, एएनएम संबंधित डाक्टर के नंबर भी दिए जाएंगे, ताकि परेशानी होने पर वह संपर्क कर सके। हाई रिस्क प्रेगनेंसी का संस्थागत प्रसवः प्रसूता को अस्पताल ले जाने के लिए 104 जननी एक्सप्रेस, 108 एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएगी। आपात स्थिति में निजी वाहन से पहुंचने पर भुगतान होगा। प्रसव के बाद आशा एएनएम 7, 28 औैर 42 वें दिवस पर प्रसूता और नवजात शिशु का फॉलोअप करेंगी। खतरे के लक्षण मिलने पर तुरंत रेफर किया जाएगा।
महिलाआंे को करेंगे जागरूकः कुशल मंगल योजना के तहत बीस वर्ष की आयु के बाद गर्भधारण, दूसरी बार गर्भधारण में 3 साल का अंतर तथा 35 साल के बाद गर्भधारण को टालने के लिए जागरूकता का कार्य किया जाएगा। गर्भवती महिलाओं की जांच के दौरान उन्हें 108 एंबुलेंस 104 जननी एक्सप्रेस के नंबर दिए जाएंगे, ताकि डिलेवरी के लिए वे समय पर अस्पताल पहुंच सके। उन्हें आशा सहयोगिनी, एएनएम संबंधित डाक्टर के नंबर भी दिए जाएंगे, ताकि परेशानी होने पर वह संपर्क कर सके। हाई रिस्क प्रेगनेंसी का संस्थागत प्रसवः प्रसूता को अस्पताल ले जाने के लिए 104 जननी एक्सप्रेस, 108 एंबुलेंस उपलब्ध कराई जाएगी। आपात स्थिति में निजी वाहन से पहुंचने पर भुगतान होगा। प्रसव के बाद आशा एएनएम 7, 28 औैर 42 वें दिवस पर प्रसूता और नवजात शिशु का फॉलोअप करेंगी। खतरे के लक्षण मिलने पर तुरंत रेफर किया जाएगा।
कुशल मंगल योजना के तहत महिलाआंे की मातृ दर मंे कमी लाने के लिए छह सूत्रीय एजेंडे पर कार्य किया जाएगा। योजना की प्रभावी क्रियान्वयन के लिए स्वास्थ्य समिति की बैठक मंे संबंधित अधिकारियांे को निर्देश दिए गए है।
-मधुसूदन शर्मा, जिला कलक्टर, बाड़मेर
मातृ-शिशु दर पर अंकुश लगाने के लिए कुशल मंगल योजना शुरू की जा रही है। इसके तहत हाई रिस्क वाली प्रसूताएं निगरानी में रहेंगी। इसकी एएनएम, आशा मॉनिटरिंग करेगी। प्रसूताआंे को कईं सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
-एस.के.बिष्ट, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बाड़मेर
-मधुसूदन शर्मा, जिला कलक्टर, बाड़मेर
मातृ-शिशु दर पर अंकुश लगाने के लिए कुशल मंगल योजना शुरू की जा रही है। इसके तहत हाई रिस्क वाली प्रसूताएं निगरानी में रहेंगी। इसकी एएनएम, आशा मॉनिटरिंग करेगी। प्रसूताआंे को कईं सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
-एस.के.बिष्ट, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, बाड़मेर
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