नई दिल्ली।उम्रकैद 14 साल सजा नहीं, पूरी उम्र जेल है : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि उम्रकैद की सजा का मतलब 14 वर्ष का कारावास बिल्कुल नहीं है। यह सजा पूरी जिंदगी जेल में काटने की है। इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
न्यायाधीश टीएए ठाकुर और वी गोपाल गौड़ा की पीठ ने ये टिप्पणियां हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा पाए दोषियों की अपील पर सुनवाई करते हुए की।
पीठ ने कहा कि मारूराम (1981) के केस में सुप्रीम कोर्ट संविधान पीठ ने स्पष्ट कर दिया था कि आजीवन कारावास का मतलब पूरा जीवन जेल में काटना है।पीठ ने कहा कि एक तरफ यह आंदोलन चलाया जा रहा है कि मौत की सजा समाप्त की जाए और उसकी जगह उम्रकैद दी जाए। जब यह मोल-तोल किया जा रहा है, ऐसे में उम्रकैद को 14 साल की सजा कैसे माना जा सकता है। वे लोग खुद ही कहते हैं कि दोषियों को फांसी के फंदे से बचाया जाए। यदि उसे 14 साल के बाद छोड़ देंगे तो उम्रकैद का क्या मतलब रह जाएगा।दोषियों के वकील ने कहा कि उम्रकैद के कैदियों को 14 साल जेल में काटने के बाद कैदियों को छोडऩे का प्रावधान है। राज्य सरकार को यह अधिकार सीआरपी की धारा 433 ए के मिला हुआ है। इसमें वह कैदियों की सजा माफ कर सकती है कम कर सकती है या निलंबित कर सकती है।पीठ ने कहा कि मारूराम के केस में कोर्ट ने नाथूराम गोडसे केस में दी गई व्यवस्था की पुष्टि की थी कि सजा में राहत के प्रावधानों का प्रयोग तभी किया जा सकता है कि जब कोर्ट उम्रकैद की सजा की अवधि तय करे। इस अवधि के बीतने के बाद उसे माफी करने के प्रावधान 433 ए के तहत माफ किया जा सकता है लेकिन जहां यह अवधि तय नहीं है और सजा में सिर्फ उम्रकैद शब्द कहा गया है, वहां पूरी जिंदगी कैद में गुजारना माना जाएगा। उस केस में राहत के प्रावधान 433 ए को लागू नहीं किया जा सकता।
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