जयपुर। राजस्थान में आने वाले पर्यटन सीजन में पर्यटकों के लिए जैसलमेर में इको पर्यटन का आकर्षण भी रहेगा। राजस्थान सरकार एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत अगले माह से इसकी शुरुआत कर रही है।
इसके तहत पर्यटकों को ऊंट की सवारी के साथ ही राष्ट्रीय मरू उद्यान में रेगिस्ताानी बिल्ली, गोडावण, हिरण, चिंकारा और रेगिस्तानी लोमड़ी जैसे जानवर तो देखने को मिलेंगे ही, साथ ही रेगिस्तानी गांवों में रहने का मौका भी मिलेगा।
इसके लिए गांव भी चिन्हित किए गए हैं और इस क्षेत्र के कुछ युवाओं को गाइड के रूप में प्रशिक्षित भी किया जा रहा है। राजस्थान में पर्यटन सीजन अक्टूबर से मार्च तक रहता है और इस दौरान जैसलमेर पर्यटकों की पहली पसंद रहता है।
दिसंबर में तो जैसलमेर के किसी भी होटल में जगह नहीं मिलती और होटल संचालक टैंट लगा कर पर्यटकों को ठहराते हैं। यही कारण है कि इको पर्यटन के पायलट प्रोजेक्ट के लिए जैसलमेर को चुना गया है। इसके तहत जैसलमेर में विश्व प्रसिद्ध सम तथा खुहाडी क्षेत्र तथा राष्ट्रीय मरू उद्यान के आस-पास के 25-30 गांवों और ढाणियों को इको पर्यटन के लिए चुना गया है।
इसी क्षेत्र के 30 युवाओं कोे उंट की सवारी और गाइड के रूप में काम करने के लिए प्रषिक्षित किया जा रहा है। ये युवा एक निष्चित पोषाक पहनेंगे और इनके पास सरकार की ओर से दिए गए परिचय पत्र होंगे। राष्ट्रीय मरू उद्यान के उप वन संरक्षक अनूप कुमार के अनुसार इको पर्यटन से जैसलमेर को एक नई पहचान मिलेगी।
पर्यटक यहां के ग्रामीण जनजीवन और रहन-सहन में काफी रूचि दिखाते हैं। इसी को देखते हुए गांवों का चयन किया गया है। मरू उद्यान में कई दुर्लभ रेगिस्तानी पशु-पक्षी हैं, जो पर्यटकों के लिए बडा आकर्षण रहेंगे और पर्यटक ऊंट की सवारी करते हुए मरू उद्यान घूम सकेंगे। यह सब सुविधाएं पर्यटकों के लिए प्रति घंटा की निश्चित दर से उपलब्ध कराई जाएंगी। इससे गांवों का विकास भी होगा और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
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