नई दिल्ली।पीएम ने नहीं किया वन रैंक-वन पेंशन का एलान, बोले- जल्द मिलेंगे सुखद परिणाम
वन रैंक-वन पेंशन (ओआरओपी) की मांग को लेकर पिछले दो महीने से आंदोलनरत पूर्व सैनिकों की स्वंतत्रता दिवस पर इसे लागू किए जाने के ऐलान की उम्मीद पूरी नहीं हुई और उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शनिवार को भी केवल आश्वासन ही मिला।
पिछले कुछ दिनों से इस तरह की रिपोर्ट आ रही थी कि प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले के प्राचीर से अपने संबोधन में ओआरओपी लागू करने की घोषणा कर सकते हैं। इसे देखते हुए पूर्व सैनिकों ने अपनी ओर से दबाव भी बना रखा था।
मोदी ने 69 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कहा कि सरकार ने ओआरओपी को सिद्धांतत: स्वीकार किया है और वह अपने इस वादे से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने कहा, 'वह तिरंगे की छत्रछाया में लालकिले के प्राचीर से आश्वासन देते हैं कि इस मांग को पूरा किया जाएगा।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मुद्दा कई सरकारों के सामने आया है और उन्होंने छोटे मोटे वादे भी किए थे। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका। हमारी सरकार ओआरओपी को लागू करने की प्रक्रिया में गंभीरता से जुटी है और संबंधित लोगों से बातचीत चल रही जिसके जल्द सुखद परिणाम मिलेंगे और इस पेंशन योजना को जल्द लागू किया जाएगा।
चुनावों में बनाया था बड़ा मुद्दा
उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनाव से पहले खुद मोदी ने ओआरओपी को बड़ा मुद्दा बनाते हुए सत्ता में आने के बाद इसे लागू करने का वादा किया था लेकिन सरकार के सवा साल बीत जाने के बाद भी यह मांग पूरी नहीं की गई।
सरकार अब इसे लागू करने में कुछ तकनीकी दिक्कतों का हवाला देकर इसे लटकाने में लगी है। इससे पूर्व सैनिकों का धैर्य जवाब दे गया है और वे फिर से सड़कों पर उतर आए हैं। पूर्व सैनिकों का संयुक्त संगठन पिछले दो महीने से यहां जंतर मंतर पर क्रमिक अनशन कर रहा है। इसके अलावा देश भर में भी अलग अलग जगहों पर आंदोलन किया जा रहा है।
पूर्व सैनिक पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि यदि स्वतंत्रता दिवस पर उनकी मांग पूरी नहीं की जाती है तो वे देश भर में अपने आंदोलन को और तेज करेंगे तथा अपने पदक लौटाने के साथ साथ सभी सरकारी समारोह का बहिष्कार करेंगे।
ओआरओपी लागू होने से लगभग 25 लाख पूर्व सैनिकों को फायदा मिलेगा जो लंबे समय से इसका इंतजार कर रहे हैं। कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व सैनिकों की इस मांग को मानते हुए बजट में एक हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।
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