बीकानेर रियासत के 5 स्वतंत्रता सैनानियों की खुली थी हिस्ट्रीशीट
बीकानेर आजादी के दीवाने बीकानेर के पांच स्वतंत्रता सैनानियों की रियासतकाल में हिस्ट्रीशीट खोली गई। ये स्वतंत्रता सैनानी मेहनतकश परिवारों से लेकर शिक्षित एवं सम्पन्न परिवारों के लोग भी थे।
इन सबको आजादी के बाद स्वतंत्रता सैनानियों का सम्मान दिया गया है। इन स्वतंत्रता सेनानी में भीखा लाल शर्मा, सत्य नारायण सर्राफा, लक्ष्मी दास स्वामी, रघुवर दयाल, गंगा दास सेवग का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2015 के अवसर पर राजस्थान राज्य अभिलेखागार की ओर से विवरण जारी किया गया है।
नया शहर क्षेत्र के निवासी भीखा लाल शर्मा सिलाई का कार्य करते थे। आजादी के आन्दोलन में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने पर इनके खिलाफ बीकानेर रियासत ने हिस्ट्रीशीट खोल दी गई।
इसी तरह रघुवर दयाल के बीकानेर मेें दो मकान थे। उनके पिता अलीगढ़ से यहां आकर वकालत करते थे। रघुवर दयाल खुद भी वकालत करने लगे।
उन्होंने 1936 में डिफेंस प्रजा मण्डल बनाया। साथ ही आजादी के आन्दोलन में सक्रिय हो गए। बीकानेर रियासत ने बाद में उन्हें देश निकाला दे दिया गया।
बीकानेर रियासत के भादरा निवासी सत्य नारायण सर्राफा विधि स्नातक थे। उनकी भादरा में भू सम्पदा एवं मकान थे। लक्ष्मी नारायण स्वामी 1931 में बीकानेर आए।
वे 1929 से ब्रह्मचारी के रूप में देश भर में घूमकर आजादी का आन्दोलन चलाते रहे। बीकानेर आकर पेन्टिंग का काम करना शुरू कर दिया। गंगा दास सेवग सेवगों का चौक बीकानेर के रहने वाले थे। उनका खुद का मकान था। वे समाचार पत्र एजेन्ट का काम करते थे।
बीकानेर आजादी के दीवाने बीकानेर के पांच स्वतंत्रता सैनानियों की रियासतकाल में हिस्ट्रीशीट खोली गई। ये स्वतंत्रता सैनानी मेहनतकश परिवारों से लेकर शिक्षित एवं सम्पन्न परिवारों के लोग भी थे।
इन सबको आजादी के बाद स्वतंत्रता सैनानियों का सम्मान दिया गया है। इन स्वतंत्रता सेनानी में भीखा लाल शर्मा, सत्य नारायण सर्राफा, लक्ष्मी दास स्वामी, रघुवर दयाल, गंगा दास सेवग का स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 2015 के अवसर पर राजस्थान राज्य अभिलेखागार की ओर से विवरण जारी किया गया है।
नया शहर क्षेत्र के निवासी भीखा लाल शर्मा सिलाई का कार्य करते थे। आजादी के आन्दोलन में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गतिविधियों में शामिल होने पर इनके खिलाफ बीकानेर रियासत ने हिस्ट्रीशीट खोल दी गई।
इसी तरह रघुवर दयाल के बीकानेर मेें दो मकान थे। उनके पिता अलीगढ़ से यहां आकर वकालत करते थे। रघुवर दयाल खुद भी वकालत करने लगे।
उन्होंने 1936 में डिफेंस प्रजा मण्डल बनाया। साथ ही आजादी के आन्दोलन में सक्रिय हो गए। बीकानेर रियासत ने बाद में उन्हें देश निकाला दे दिया गया।
बीकानेर रियासत के भादरा निवासी सत्य नारायण सर्राफा विधि स्नातक थे। उनकी भादरा में भू सम्पदा एवं मकान थे। लक्ष्मी नारायण स्वामी 1931 में बीकानेर आए।
वे 1929 से ब्रह्मचारी के रूप में देश भर में घूमकर आजादी का आन्दोलन चलाते रहे। बीकानेर आकर पेन्टिंग का काम करना शुरू कर दिया। गंगा दास सेवग सेवगों का चौक बीकानेर के रहने वाले थे। उनका खुद का मकान था। वे समाचार पत्र एजेन्ट का काम करते थे।
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