बाड़मेर पानी फिर उसी राह, कवास में चिंता
2006 की बाढ़ से तबाह हुए कवास में एक बार फिर चिंता के बादल छा गए हैं। जिलेभर में पिछले पांच दिनों से हो रही बारिश से भय का माहौल बना हुआ है। कवास में भी लोग डरे हुए हैं। प्रशासन की ओर से लोगों को सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है।
जिले में लगातार पांच दिनों से बारिश चल रही है। हालांकि मंगलवार को दिन में कुछ स्थानों पर मामूली बारिश हुई थी, लेकिन रात में मूसलाधार बारिश से फिर वही स्थिति रही। बुधवार को भी भारी बारिश हुई।
गुड़ामालानी व इसके आस-पास के इलाके में अभी भी पानी भरा हुआ है। उधर, भाडखा व नागड़दा से एकत्र पानी बुधवार दोपहर तक रोहिली गांव की रपट तक पहुंच गया। गुरुवार सुबह तक यह पानी मंूढ़ों की ढाणी तक पहुंचने का अनुमान है।
गौरतलब है कि वर्ष 2006 में कवास में बाढ़ का पानी इसी रास्ते से आया था। कवास में बुधवार को हुई मूसलाधार बारिश से गलियों समेत मुख्य चौराहे पर तीन-तीन फीट पानी जमा हो गया। कवास के पास ही नौसर ग्राम के दो राजस्व गांवों में ढाणियां टापू बन गई है।
उधर, सीमावर्ती सेड़वा क्षेत्र में स्थिति खराब हो रही है। यहां मंगलवार रात में 146 एमएम बारिश हुई, वहीं बुधवार को दिनभर बारिश चली। शाम के समय भी मूसलाधार बारिश का दौर जारी था। इस कारण क्षेत्र में करीब 36 गायों की मौत हो गई।
बायतु। क्षेत्र में लगातार बारिश से व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है। उन्होंने अपनी दुकानों से सामान निकाल सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की कवायद शुरू कर दी है। किराणा, अनाज व कपड़े के बड़े व्यापारियों ने बुधवार को अधिकतर सामान सुरक्षित स्थान पर भिजवा दिया। वहीं छोटे व्यापारी भी अपना सामान पैक करने में लग गए हैं। उधर, भाडखा व नागड़दा से एकत्र पानी बुधवार दोपहर तक रोहिली गांव की रपट तक पहुंच गया।
दोपहर बाद हुई तेज बारिश के मद्देनजर इस पानी का वेग बढ़ गया। इससे कवास के लोगों की चिंता बढ़ गई है। गुरुवार सुबह तक यह पानी मंूढ़ों की ढाणी तक पहुंचने का अनुमान है। कवास से व्यापारी दिनेश माहेश्वरी, तगाराम गोदारा, किस्तुरचंद राठी व चौथमल ने अपनी दुकानें तथा गोदाम खाली कर दिए।
नागाणा थानाधिकारी देवीचंद ढाका बीते तीन दिनों से स्थिति पर पूरी तरह से नजर बनाए हुए हैं। कवास में बुधवार को हुई मूसलाधार बारिश से गलियों समेत मुख्य चौराहे पर तीन-तीन फीट पानी जमा हो गया।
नौसर में बढ़ा खतरा
कवास के नजदीक के नौसर ग्राम पंचायत के दो राजस्व गांव टापू बन गए हैं। नौसर तालाब में लगातार पानी की आवक होने से आस-पास के आबादी क्षेत्रों में खतरा बढ़ गया है।
तालाब से पानी के रिसाव के कारण कई ढाणियां टापू का रूप ले चुकी हैं। मेघवालों का बास व भीलों का बास के लोगों ने अपने घर खाली कर दिए हैं। बुधवार को करीब पचास से ज्यादा परिवारों ने ऊंचाई वाले स्थानों पर अस्थायी छप्पर बना लिए।
खाने-पीने का बंदोबस्त नहीं
नौसर गांव में तालाब के पानी से बचने के लिए घरों को छोड़कर गए परिवार धोरों पर समस्याआें से जूझ रहे हैं। नौसर सरपंच शंकरलाल ने बताया कि धोरों पर बैठे लोगों के लिए खाने-पीने का बंदोबस्त नहीं हो पाया है। प्रशासन ने तालाब के पानी की निकासी लूणी नदी की ओर करने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
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