अजमेर। शिक्षा राज्य मंत्री के मौखिक आदेश पर बंद हुआ इंग्लिश मीडियम स्कूल
अजमेर। अजमेर में सावित्री माध्यमिक स्कूल को अंग्रेजी माध्यम से हिंदी माध्यम में मर्ज किये जाने का विवाद थम नही रहा है। शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी के मौखिक आदेश के बाद स्कूल प्रशासन स्वेच्छा से छात्राओं को हिंदी मीडियम में दाखिला दे रहा है। वही जो छात्राएं अंग्रेजी माध्यम में पढ़ना चाहती है उन छात्राओ को टीसी थमाई जा रही। सत्र शुरू होते ही अंग्रेजी मीडियम की शिक्षा को बंद कर देने से छात्राएं और अभिभावक परेशान है। वही यह मामला अब तूल पकड़ने भी लगा है।
क्या है मामला
एक और पीएम नरेंद्र मोदी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देकर बेटियो को शिक्षा से जोड़कर उन्हें स्वावलंबी बनाने की बात कर रहे है। वही राज्य सरकार भी बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। वही राज्य के शिक्षा राज्य मन्त्री वासुदेव देवनानी की खुद की विधानसभा में स्थित सावित्री गर्ल्स माध्यमिक विद्यालय में छात्राओ को शिक्षा से रोका जा रहा है। दरअसल 2009 में सावित्री गर्ल्स माध्यमिक स्कूल में हिंदी के साथ अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा देने की व्यवस्था लागू की गई थी। तब से दोनों ही अलग अलग माध्यम में छात्राएं अध्यन करती आ रही थी। मगर इस बार सत्र शुरू होने के साथ ही स्कूल में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा बंद कर दी गई। स्कूल में पहले से ही दाखिला प्राप्त छात्राओ को स्कूल में ही हिंदी माध्यम में दाखिला दिया जा रहा है। जबकि छात्राएं और उनके अभिभावक अपनी बेटियों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा दिलाने की मांग कर रहे है। जिला कलक्टर , जिला शिक्षा अधिकारी तक अभिभावक बेटियो के खातिर चक्कर लगा चुके है। मगर यह नन्ही बेटियां फिर से अंग्रेजी माध्यम में पढ़ पाए। इसके लिए कही से कोई सकारात्मक जवाब छात्राओं और अभिभावकों को नही मिला है।
क्यों किया जा रहा है बंद
स्कूल में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा बंद करने के बाद ज्यादात्तर छात्राएं अंग्रेजी माध्यम में ही अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाना चाहती है। स्कूल प्रशासन की ओर से दिया गया हिंदी माध्यम का विकल्प चुनने में छात्राएं और अभिभावक दोनों पशो पेश में है। आज स्कूल खुलने पर कई अभिभावक अपनी बेटियो को अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के लिए स्कूल लेकर पहुंचे। मगर स्कूल में पढ़ाई की जगह छात्राओं को टीसी कटवाकर अंग्रेजी माध्यम की स्कूल दूसरी स्कूल में दाखिला देने की बात की जा रही है। लोगों के रोष को देखते हुए महिला कांग्रेस ने विवाद को मुद्दा बना लिया है और राज्य सरकार और शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी से बेटियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए स्कूल में अंग्रेजी माध्यम को फिर से शुरू करने की मांग की है।
गौरतलब है कि सावित्री प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय शहर के सबसे पुराने स्कूलों में शुमार है। राज्य सरकार ने स्कूल को अग्रहित कर चुकी है। मगर स्टाफ की कमी को राज्य सरकार ने पूरा नही किया। यही वजह है कि स्टाफ की कमी की गाज 203 बच्चियो पर गिर रही है। वही शिक्षा राज्य मंत्री के मौखिक आदेशो ने तो छात्राओ की सारी उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया है। जब सरकार खुद नही चाहती कि स्कूल में छात्राओं को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा मिले तो स्कूल की शिक्षिकों के पास भी आदेशो की पालना करने के अलावा कोई चारा नही है।
क्या है मामला
एक और पीएम नरेंद्र मोदी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देकर बेटियो को शिक्षा से जोड़कर उन्हें स्वावलंबी बनाने की बात कर रहे है। वही राज्य सरकार भी बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। वही राज्य के शिक्षा राज्य मन्त्री वासुदेव देवनानी की खुद की विधानसभा में स्थित सावित्री गर्ल्स माध्यमिक विद्यालय में छात्राओ को शिक्षा से रोका जा रहा है। दरअसल 2009 में सावित्री गर्ल्स माध्यमिक स्कूल में हिंदी के साथ अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा देने की व्यवस्था लागू की गई थी। तब से दोनों ही अलग अलग माध्यम में छात्राएं अध्यन करती आ रही थी। मगर इस बार सत्र शुरू होने के साथ ही स्कूल में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा बंद कर दी गई। स्कूल में पहले से ही दाखिला प्राप्त छात्राओ को स्कूल में ही हिंदी माध्यम में दाखिला दिया जा रहा है। जबकि छात्राएं और उनके अभिभावक अपनी बेटियों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा दिलाने की मांग कर रहे है। जिला कलक्टर , जिला शिक्षा अधिकारी तक अभिभावक बेटियो के खातिर चक्कर लगा चुके है। मगर यह नन्ही बेटियां फिर से अंग्रेजी माध्यम में पढ़ पाए। इसके लिए कही से कोई सकारात्मक जवाब छात्राओं और अभिभावकों को नही मिला है।
क्यों किया जा रहा है बंद
स्कूल में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा बंद करने के बाद ज्यादात्तर छात्राएं अंग्रेजी माध्यम में ही अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाना चाहती है। स्कूल प्रशासन की ओर से दिया गया हिंदी माध्यम का विकल्प चुनने में छात्राएं और अभिभावक दोनों पशो पेश में है। आज स्कूल खुलने पर कई अभिभावक अपनी बेटियो को अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई के लिए स्कूल लेकर पहुंचे। मगर स्कूल में पढ़ाई की जगह छात्राओं को टीसी कटवाकर अंग्रेजी माध्यम की स्कूल दूसरी स्कूल में दाखिला देने की बात की जा रही है। लोगों के रोष को देखते हुए महिला कांग्रेस ने विवाद को मुद्दा बना लिया है और राज्य सरकार और शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवनानी से बेटियों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए स्कूल में अंग्रेजी माध्यम को फिर से शुरू करने की मांग की है।
गौरतलब है कि सावित्री प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय शहर के सबसे पुराने स्कूलों में शुमार है। राज्य सरकार ने स्कूल को अग्रहित कर चुकी है। मगर स्टाफ की कमी को राज्य सरकार ने पूरा नही किया। यही वजह है कि स्टाफ की कमी की गाज 203 बच्चियो पर गिर रही है। वही शिक्षा राज्य मंत्री के मौखिक आदेशो ने तो छात्राओ की सारी उम्मीदों पर ही पानी फेर दिया है। जब सरकार खुद नही चाहती कि स्कूल में छात्राओं को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा मिले तो स्कूल की शिक्षिकों के पास भी आदेशो की पालना करने के अलावा कोई चारा नही है।
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