गुरुवार, 30 जुलाई 2015

अलविदा डॉ. कलाम, राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक हुए कलाम



रामेश्वरम।
पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के पार्थिव शरीर को गुरुवार सुबह रामेश्वर में राजकीय सम्मान के साथ सुपुर्द-ए-खाक किया गया। डेढ़ एकड़ के प्लॉट में कलाम की समाधि बनाई जाएगी। अपने प्यारे कलाम को अलविदा कहने के लिए पूरा रामेश्वरम सड़क पर उतर आया।



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए रामेश्वरम पहुंचे और डॉ. कलाम को आखिरी सलामी दी। इसके आलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी कलाम को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए।



जनता के राष्ट्रपति कहे जाने वाले कलाम के अंतिम दर्शन के लिए सभी के लिए दरवाजे खुले थे। वे चाहे वीआईपी हो या फिर एक आम भारतीय, हर किसी ने अपने प्यारे कलाम को भीगी पलकों से अंतिम सलाम किया।



रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू रामेश्वरम पहुंच चुके है। वहीं तबीयत खराब होने के वजह से तमिलनाडु की सीएम जयललिता शामिल नहीं हो पाएंगी।











पूर्व राष्ट्रपति के बड़े भाई के पोते ए.पी.जे.एम.के. शेख सलीम ने बताया, हमारे सभी रिश्तेदार अंत्येष्टि में शामिल होने के लिए पहुंच चुके हैं।



कलाम के सम्मान में सरकार ने गुरुवार को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। स्कूल, कॉलेज, बैंक आदि सरकारी प्रतिष्ठान बंद रहेंगे। सरकार ने शराब की दुकानों और बार को भी बंद कर दिया है।










कलाम के सम्मानस्वरूप यहां करीब 30,000 आभूषण की दुकानें भी बंद रहेंगी और पेट्रोल पंपों पर सुबह 10-11 के बीच ही पेट्रोल मिलेंगे।



सिनेमाघर के मालिकों ने भी इसे बंद रखने का निर्णय लिया है। वहीं, मछुआरों ने भी गुरुवार को समुद्र में नहीं उतने का फैसला किया है। निजी क्षेत्रों ने बंद का फैसला स्वत: लिया है, जिससे स्पष्ट है कि कलाम वास्तव में 'जनता के राष्ट्रपति' थे।













बुधवार को वायुसेना के एक विशेष विमान से उनका पार्थिव शरीर नई दिल्ली से मदुरै एयरपोर्ट पर लाया गया था। मदुरै से दो अलग-अलग हेलिकॉप्टरों में सवार होकर डॉ. कलाम के परिजनों के अलावा रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, संसदीय ममलों के मंत्री एम वेंकैया नायडू भी पहुंचे।










इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को सेना के एक वाहन में रखकर रामेश्वरम के बस स्टैंड के निकट लाया गया। जहां उसे रात आठ बजे तक लोगों के दर्शनों के लिए रखा गया।










रास्ते में सड़क के दोनों ओर बड़ी संख्या में लोग विशेष रूप से छात्र उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए खड़े रहे। इनमें से कुछ फूट-फूट कर रो रहे थे।

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