शनिवार, 11 जुलाई 2015

बेंगलूरु सफल रहा इसरो का सबसे वजनी विदेशी मिशन



बेंगलूरु  सफल रहा इसरो का सबसे वजनी विदेशी मिशन


भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार रात पांच ब्रिटिश उपग्रहों का एक साथ प्रक्षेपण किया। इनमें से तीन अर्थ ऑब्जर्वेशन और दो तकनीकी उपग्रह था। इसरो का यह अब तक सबसे वजनी प्रक्षेपण था।

आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लांच पैड से इसरो के विश्वसनीय रॉकेट ध्रुवीय प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी सी-28) ने रात 9.58 बजे उड़ान भरी और बादलों को चीरते हुए अंतरिक्ष में समा गया। प्रक्षेपण सटीक रहा और नियत मार्ग पर चलते हुए पीएसएलवी ने अनुमानित समय में एक-एक कर पांचों उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया गया।

सबसे पहले प्रक्षेपण के 18 मिनट बाद डीएमसी-3 (1) उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित हुआ और उसके बाद एक-एक कर सभी उपग्रह अपनी-अपनी कक्षाओं में चले गए। पूरी प्रक्रिया लगभग 20 मिनट में पूरी हो गई। प्रक्षेपण के वक्त ऊपरी वायुमंडल में हवा की रतार 15 किलोमीटर प्रति घंटा थी,जो कि प्रक्षेपण के लिए आदर्श माना जाता है।

अब तक 45 विदेशी उपग्रह

इन पांच ब्रिटिश उपग्रहों के प्रक्षेपण के साथ ही इसरो द्वारा विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण का आंकड़ा 40 से बढ़कर 45 हो गया। पीएसएलवी की यह 30 वीं उड़ान थी। इसरो की यह पूर्णत: वाणिज्यिक उड़ान थी, इसमें कोई भारतीय उपग्रह नहीं था। इसरो के लिए यह इस साल का दूसरा प्रक्षेपण था जबकि पहला वाणिज्यिक मिशन था। इससे पहले मार्च में इसरो ने स्वदेशी नौवहन उपग्रह आईआरएनएसएस 1 डी का प्रक्षेपण किया था।
 sriharikota satish dhawan space


सबसे वजनी वाणिज्यिक मिशन

शुक्रवार को प्रक्षेपित किए गए पांचों उपग्रहों का वजन 1440 किलोग्राम था, इस लिहाज से यह सबसे वजनी मिशन था। ब्रिटेन की सबसे बड़ी लघु उपग्रह कंपनी सरे सैटेलाइट टेक्नोलॉजी लिमिटेड (एसएसटीएल) के तीन ऑप्टिल अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रहों डीएमसी 3-1, डीएमसी 3-2 और डीएमसी 3-3 में से प्रत्येक उपग्रह का वजन 447 किलोग्राम था। जबकि ब्रिटेन के एसएसटीएल द्वारा ही निर्मित अर्थ ऑब्जर्वेशन उपग्रह सीबीएनटी-1 सीबीएनटी-1 और नैनो उपग्रह डी-ऑर्बिटसेल का वजन क्रमश: 91 व 7 किलोग्राम था।

इसरो ने इससे पहले पिछले साल 30 जून को 714 किलो वजनी फ्रांसीसी उपग्रह स्पॉट-7 का प्रक्षेपण किया था। यह इसरो द्वारा प्रक्षेपित अब तक सबसे वजनी एकल विदेशी उपग्रह है। प्रक्षेपण के मौके पर इसरो अध्यक्ष ए एस किरण कुमार, पूर्व अध्यक्ष के. राधाकृष्णन भी उपस्थित थे।

अब जीसैट-6 के प्रक्षेपण की तैयारी

इस मिशन के बाद इसरो उन्नत संचार उपग्रह जीसैट-6 के प्रक्षेपण की तैयारी में जुट गया है। इसका प्रक्षेपण अगले महीने के पहले पखवाड़े में होने की संभावना है। पीएसएलवी सी-28 के सफल प्रक्षेपण के बाद पत्रकारों से बातचीत में इसरो अध्यक्ष ने कहा कि हमारा अगला मिशन जीसैट-6 होगा। उन्होंने कहा कि औसतन हर महीने हम एक प्रक्षेपण करने की तैयारी में हैं।

इसरो के पदस्थ सूत्रों के अनुसार बेंगलूरु से रवाना किए जाने के बाद उपग्रह जीसैट-6 श्रीहरिकोटा पहुंच चुका है जहां प्रक्षेपण की तैयारियां चल रही है। इस उपग्रह का प्रक्षेपण इसरो भू-स्थैतिक प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) से करेगा।

इसके लिए तीन चरणों वाले जीएसएलवी के पहले चरण (इंजन) का संयोजन भी किया जा चुका है। जीसैट-6 लगभग 2000 किलोग्राम वजनी उन्नत संचार उपग्रह है जिसमें पांच विशेष प्रकार के ट्रांसपोंडर हैं जो मल्टीमीडिया सर्विसेज के लिए हैं।

देवास मल्टी मीडिया से इस उन्नत उपग्रह के प्रक्षेपण के करार को लेकर एंट्रिक्स कॉरपोरेशन काफी विवादों में रहा। गौरतलब है कि सरकार ने देवास मल्टीमीडिया के साथ इस उपग्रह प्रक्षेपण के करार को रद्द कर इसे सैन्य सेवाओं के लिए आरक्षित कर दिया था। इसरो अधिकारियों के अनुसार जीसैट-6 के बाद इसरो पुन: उपयोगी प्रक्षेपण यान (आरएलवी टी-डी) का प्रायोगिक प्रक्षेपण करेगा।

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