बुधवार, 15 जुलाई 2015

‘लुप्त सरस्वती नदी को खोजने का काम इसी साल जैसलमेर से शुरू होगा’



जैसलमेर: केन्द्रीय भूजल विभाग ने लुप्त हुई प्राचीन सरस्वती नदी को खोजने एवं उसके जल प्रवाह को ढूंढने का चालू वर्ष में जैसलमेर से शुरू किया जाएगा।

‘लुप्त सरस्वती नदी को खोजने का काम इसी साल जैसलमेर से शुरू होगा’




विभाग के मुख्य अभियंता सूरजभान सिंह के अनुसार राज्य के पांच जिलों में सरस्वती को खोजने के लिए 69 करोड़ रुपये की योजना बनाई हैं। इस योजना की विस्तारित परियोजना रिपोर्ट केंद्र सरकार के जल संसाधन मंत्रालय को भिजवाई हैं। इस योजना में केन्द्र और राज्य सरकार की चार ऐजेन्सियां केन्द्रीय भूजल विभाग के अलावा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हार्डलॉजी (एनआईएच) रुड़की, फिजीकल रिसर्च लेब्रोटरी (पीआरएल) अहमदाबाद एवं इसरो संयुक्त रूप से कार्य कर रहे हैं।




उन्होंने बताया कि इस परियोजना पर वर्ष 2015 में जैसलमेर से काम शुरु होकर वर्ष 2019 तक पूरा होने की संभावना हैं। जैसलमेर, बाड़मेर, बीकानेर, गंगानगर एवं हनुमानगढ़ के 543 किमी क्षेत्र में होने वाली इस नदी की खोज की जायेगी। वरिष्ठ भू जल वैज्ञानिक विमल सोनी ने बताया कि इसके प्रथम चरण में करीब 100 ट्यूबवैल खोदे जायेंगे। इनसे निकले पानी की एनआईएच रुड़की द्वारा कार्बन डेटिंग की जायेगी तथा इन कुओं के सेडीमेंट की टेस्टिंग की फिजीकल रिसर्च लेब्रोटरी अहमदाबाद द्वारा किया जाएगी।




सोनी ने बताया कि खासकर गंगानगर क्षेत्र में 20 ऐसे कुएं खोदे जायेंगे जिसमे जोधपुर का पानी पाकिस्तान जाता हैं। उस पानी को इन कुओं में रिचार्ज किया जाएगा इसके बाद इनका अध्ययन किया जायेगा कि ये पानी कहां जा रहा हैं। अगर ये पानी गंगानगर से होता हुआ जैसलमेर. बाड़मेर तक जाए तो निश्चित रुप से स्पष्ट हो जाएगा कि यह ही सरस्वती का प्राचीन मार्ग हैं। इस मार्ग से सरस्वती नदी बहती थी। जारी




सोनी ने बताया कि परियेाजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाकर केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय को भिजवाई गई हैं। भू जल वैज्ञानिक डॉ एन डी इणखिया ने बताया कि जैसलमेर के नाचना क्षेत्र से करीब 40 किमी दूर 50.60 किमी के रेडिएशन में 500 फुट के नीचे से अपने आप निकल रहे पानी के संबंध में उन्होंने कहा कि यह सरस्वती का पानी हैं या नहीं, यह कहना मुश्किल हैं। इस पर शोध के बाद ही कुछ कहा जा सकता हैं।




जिला कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा ने भी नाचना क्षेत्र के भ्रमण के दौरान नाचना से 430 फुट गहरे खुदे नलकूप में अपने आप आ रहे भूमिगत जल का अवलोकन किया। नाचना के किसान सगताराम के खेत में खोदे गए नलकूप से कम गहराई से आ रहे पानी के बारे में जानकारी ली। वहीं किसान ने बताया कि उसने फरवरी 2015 में इस नलकूप को खोदा था तब से ही भूगर्भ से स्वत: तेजी से पानी आ रहा है।

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