गुरुवार, 23 जुलाई 2015

सूफीयत के रंग में रगी दरगाह, जन्नती दरवाजे से गुजर पूरी की कुल की रस्म

सूफीयत के रंग में रगी दरगाह, जन्नती दरवाजे से गुजर पूरी की कुल की रस्म


अजमेर सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के पीरो मुर्शिद ख्वाजा उस्मान हारूनी के उर्स में गुरुवार को अकीदतमंद का सैलाब उमड़ा। दरगाह क्षेत्र में चारों तरफ जायरीन का रैला नजर आया। जायरीन नाचते-गाते दरगाह पहुंचे। उनमें दोपहर एक बजे तक जन्नती दरवाजे से गुजर कर जियारत करने की होड़ मची रही।

कुल की रस्म के बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया। उर्स में शिरकत करने के लिए जायरीन सुबह जल्दी ही दरगाह पहुंचने लगे। सुबह पांच बजे जन्नती दरवाजा खुलते ही वहां जियारत के लिए लम्बी कतार लग गई। अकीदतमंद ने सिर पर चादर और फूलों की टोकरियां लेकर जन्नती दरवाजे से प्रवेश कर आस्ताना में हाजिरी दी। सुबह 9 बजे महाना छठी की दुआ के वक्त दरगाह परिसर खचाखच भर गया। इस दौरान शिजराख्वानी हुई। खुद्दामें ख्वाजा ने मुल्क में अमन-चैन और खुशहाली की दुआ की।

बजे शादियाने, तोप की सलामी

महफिलखाने में सुबह 11 बजे कुल की महफिल शुरू हुई। इसमें शाही कव्वाल असरार हुसैन ने रंग व बधावा पेश किया। उन्होंने आसमान से बरसत है रंग ख्वाजा के घर अंगना...Ó सूफियाना कलाम पेश कर अकीदतमंद को झूमने पर मजबूर कर दिया। दोपहर पौने एक बजे दरगाह में शादियाने बजाए गए। बड़े पीर की पहाड़ी से तोप दागी गई। इस दौरान आस्ताना शरीफ में कुल की रस्म हुई।

इसके बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया गया। उर्स के मौके पर आहता-ए-नूर में भी महफिल हुई। खादिम एस.एफ.हसन चिश्ती ने बताया कि महफिल की शुरुआत तिलावत-ए-कुरान शरीफ से हुई। इसमें नात-मनकबत और कव्वालियों के नजराने पेश किए गए। कव्वालों ने ख्वाजा साहब और उनके गुरु के शान में कलाम पेश किए। ख्वाजा उस्मान हारूनी के जीवन पर प्रकाश डाला गया।

जगह-जगह लगा जाम

उर्स में उमड़ी भीड़ के कारण दरगाह क्षेत्र में जगह-जगह जाम की सी स्थिति रही। खाईलैंड मार्केट, नया बाजार, डिग्गी चौक, पन्नीगरान चौक, लंगरखाना गली, नला बाजार, फूल गली, दरगाह बाजार, अंदरकोट आदि क्षेत्रों में ज्यादा भीड़ रही। छठी की दुआ के बाद दरगाह से निकलते वक्त भी धक्का-मुक्की का आलम रहा।

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