अनूपगढ़ हिफाजत को तरसती विरासत
अनूपगढ़. शहर के हृदय के बीचों-बीच वर्षों पुराना गढ़ स्थित है, यह गढ़ अनूपगढ़ के वार्ड नं. 12, 13, 14, 18 के अतंर्गत आता है। वर्तमान में यह गढ़ एक दम जर्जर स्थिति में है और यह एक विषाला खण्डहर में तबदील हो चुका है। गढ़ के अन्दर कंटीली झाडिय़ा उग कर जंगल सा प्रतीत करवाती है और इसका अधिकतर हिस्सा गिर चुका है और जो दीवारें शेष हैं वो भी गिरनासन्न अवस्था में है और कभी भी गिर सकती है और इसके गिरने से काफी जान-माल का नुकसान हो सकता है और कुछ वर्ष पहले गढ़ की दीवार गिरने से एक महिला के हाथ-पैर टूटने की घटना घटित हो चुकी है।
आसपास के घरों के लिए खतरा
शहर का हृदय स्थल होने के कारण व चार वार्ड के घरों के साथ चिपके होने के कारण रिहायषी मकानों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है, गढ़ की दीवारें 60-80 फीट ऊंची है। इसके बिल्कुल आस-पास विद्युत ट्रांसफॉर्मर भी कई जगह लगे हैं यदि कभी भविष्य में ये गढ़ की दीवार कभी इन विद्युत तारों पर गिरती है तो सारे ट्रांसफार्मर गिर जायेंगे और शॉर्ट-सर्किट से लोगों का बिजली उपकरण जल के राख हो जायेगा और इसका मलबा लोगों के मकानों तक पहुंच जायेगा। वर्तमान में आबकारी विभाग इस गढ़ में स्थित है आबकारी विभाग इसे नजूल सम्पति मानता है ज्ञात रहे 1993 से आबकारी विभाग यही स्थित है इससे पहले यहां राजस्व तहसील हुआ करती है। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने भी इसे असुरक्षित घोषित कर दिया है विभाग भी इस बात को मानता है कि गढ़ एकदम असुरक्षित है और कहीं-कहीं तो मात्र मिट्टी की मोटी दीवारें रह गई हैं। ईटों का कहीं कोई नामोनिषान नहीं है, जिससे लोगों का मानना है कि यह मिट्टी की दीवार बाहर गली में खेलते उनके छोटे-छोटे बच्चों पर कभी भी गिर सकती है।
कमरे हो चुके नष्ट
सार्वजनिक निर्माण विभाग के अनुसार गढ़ के अन्दर जो कमरे हैं वे लगभग नष्ट हो चुके हैं। वार्डवासियों ने इस गढ़ को नगरपालिका को हस्तान्तरित कर हेरिटेज पार्क बनाने की मांग की है, जिससे कि विरासत की पहचान बनी रहे और लोगों को जान-माल का नुकसान भी न हो।
वार्ड नं. 18 निवासी रवि शर्मा के अनुसार यदि कभी कोई अनहोनी होती है, तो इसकी जिम्मेवारी कोई भी नहीं लेगा हमारे घरों में लाखों के विद्युत उपकरण है व अमूल्य जिंदगिया है, जो कि मानो चाकु की नोक पर टिकी हुई है, सरकार से हमारी यही मांग है कि इसका शीघ्र उद्धार करवाया जावे। वार्ड नं. 18 के ही पार्षद मुकेष बाघला उर्फ राजू ने बताया कि जब भी बरसात होती है हमारे वार्ड में गढ़ का मलबा पूरी सड़क पर पसर जाता है, मैंने खुद के खर्च से ये मलबा कई बार उठवाया है, सरकार को चाहिए कि इस सम्पति का उचित प्रयोग करें। वार्ड नं. 13 के कालु सोनी ने बताया कि पहले भी हमारी नानी इस गढ़ का षिकार हो चुकी है उसके हाथ-पैर टूट गये थे, आगे से ऐसा न हो उसके लिए इसे मरम्मत कर पार्क बना दिया जाना चाहिए। वार्ड नं. 14 के राजेन्द्र चुघ ने बताया कि अगर गढ़ गिरता है, तो हमारे मकानों को भारी नुकसान पहुंच सकता है।
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