बुधवार, 22 जुलाई 2015

झुग्गी-झोपड़ी की बेटियों की पढ़ाई में बीकानेर प्रेरक

झुग्गी-झोपड़ी की बेटियों की पढ़ाई में बीकानेर प्रेरक


बीकानेर शहर की झुग्गी -झोपडिय़ों में रहने वाली बच्चियों को पढाने के लिए किया गया नवाचार राज्य के अन्य शहरों के लोगों ने प्रेरणा के रूप में लिया है।
बीकानेर शहर के 40 चिकित्सकों ने झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली 40 बेटियों को स्कूलों में पढ़ाने के लिए अभिभावक की भूमिका निभा रहे हैं।
ये डाक्टर झुग्गी -झोपड़ी में रहने वाली बेटी से हर माह में एक बार पढ़ाई को लेकर मिलते हैं। इसकी रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को देते हैं।
इसी तर्ज पर ऑफ स्टेटिक एण्ड गायनोकोलोजी सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. सुमन मित्तल ने जयपुर समेत राज्य के अन्य शहरों के डाक्टरों की ओर से झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली बच्चियों को पढ़ाने का प्रस्ताव किया है।
इसमें राज्य सरकार के स्तर पर इसका अनुमोदन का आग्रह किया गया है। सभी जिलों में झुग्गी -झोपडिय़ों में रहने वाली बेटियों को पढ़ाने के स्वैच्छिक कार्य को 16 अगस्त 2015 से शुरू करवाने का प्रस्ताव है।
इसमें बेटियों के अभिभावक के रूप में निगरानी करने वाले डाक्टरों की यह वचनबध्द रहेगी कि जब तक बेटी स्कूल जाती रहेगी तब तक वे उससे हर माह मिलकर रिपोर्ट सीएमएचओ को भेजते रहेंगे।
जयपुर में 1 हजार बच्चियों की इस तरह शिक्षित करने का कार्य 16 से शुरू करने की तैयारी की जा रही है।
हर माह मिलती है रिपोर्ट:-
बीकानेर में जिन 40 डाक्टरों ने झुग्गी-झोपड़ी की बेटियों के पढ़ाई की जिम्मेदारी ली है। वे सभी डाक्टर हर माह बच्चियओं से मिलते हैं।
इनकी रिपोर्ट हर माह वाट्सअप पर मिलती है। डॉ. सुमन मित्तल ने जयपुर में बीकानेर की तर्ज पर इस नवाचार के आधार पर काम शुरू किया जा रहा है।
उन्होंने इसकी प्रेरणा एवं जानकारी बीकानेर से ली है। ये डाक्टर हर माह उनकी निगरानी में रहने वाली बच्ची से केवल मिलते ही नहीं है, बल्कि उनको वर्ष में एक पोशाक, बैग, जूते, जरूरत की पाठ्य सामग्री तथा चिकित्सा भी देते हैं।
डॉ. देवेन्द्र चौधरी, सीएमएचओ बीकानेर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें