शनिवार, 11 जुलाई 2015

जैसलमेर गैर आबाद क्षेत्र बनेगा डीएनपी



जैसलमेर  गैर आबाद क्षेत्र बनेगा डीएनपी 


राष्ट्रीय मरु उद्यान क्षेत्र में बढ़ते मानवीय दखल से वन्यजीवों विशेषकर गोडावण संरक्षण में आ रही दिक्कत को देखते हुए सरहदी जैसलमेर जिले के गैर आबाद क्षेत्र की तलाश की जा रही है। सूत्रों के अनुसार वर्तमान में डीएनपी क्षेत्र में ऐसे कईं गांव व ढाणियां हैं, जहां सैकड़ों लोग निवास कर रहे हैं।

ऐसे में यहां वन्यजीवों पर मंडरा रहे खतरे को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से मरुस्थलीय वन्यजीव अभारण्य का सीमांकन किया जा रहा है। नए सिरे से हो रहे सीमांकन में आबादी, खातेदारी व गैर खातेदारी जमीन को बाहर रखने और गैर आबाद जमीन को जोडऩे की कवायद की जाएगी। यदि यह कवायद सफल रहती हैं तो वन्यजीव विशेषज्ञों के लिए यहां वन्यजीवों को संरक्षित करना आसान हो जाएगा। साथ ही यहां ईको ट्यूरिज्म जैसे प्रोजेक्ट भी सफल होंगे।

यह होगा बदलाव

जैसलमेर-बाड़मेर जिले के वन्यजीव अभयारण क्षेत्र में कुछ समय बाद बदलाव देखने को मिलेंगे। इसके लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ का गठन किया गया है। इस बोर्ड की देखरेख में जैसलमेर में नए सिरे से डीएनपी क्षैत्र का सीमांकन किया जा रहा है। इसमें कई बदलाव किए जा सकते है।

जानकारों के मुताबिक नए सिरे से बनाए जा रहे मरुस्थलीय वन्यजीव अभयारण्य में वर्तमान में आ रही आबादी भूमि, खातेदारी भूमि, गैर खातेदारी जमीन को बाहर किया जाएगा। घटाई गई जमीन की पूर्ति विभाग की ओर से शाहगढ़ बल्ज की जमीन लेकर की जाएगी। ऐसे में संभवतया कुछ ही महिनों बाद मरुस्थलीय वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र में बदलाव होंगे।

डीएनपी क्षेत्र का सीमांकन करने और दुबारा से वन्यजीव अभयारण्य क्षेत्र का चयन करने के लिए वन्यजीव विभाग के एक्सपर्ट नक्सा बनाने में जुटे हैं। नक्सा तैयार करते समय आबादी, खातेदारी व गैर खातेदारी क्षेत्र को हटाया जा रहा है, जबकि गैर आबाद व वन्यजीवों के संरक्षण के लिए उपयुक्त क्षेत्र को जोड़ा जा रहा है।

यह है वर्तमान स्थिति

जैसलमेर-बाड़मेर जिलों के सीमावर्ती क्षैत्र में 1980 -81 में घोषित राष्ट्रीय मरु उद्यान क्षैत्र 3 हजार 16 1 वर्ग किलोमीटर में फैला है। वर्तमान में यहां 73 राजस्व गांव और 200 बड़ी ढाणियां होने से ये क्षेत्र सरकारी रेकर्ड में राजस्व भूमि है। यहां वन्य जीव अभयारण्य की घोषणा के बाद डीएनपी का संचालन शुरू कर दिया गया। मरु उद्यान स्थापित होने के बाद वन विभाग यहां वन्यजीवों के संरक्षण का कार्य कर रही है। ऐसे में मूलभूत सुविधाओं को लेकर जिम्मेदार विभाग को अमजन का विरोध भी झेलना पड़ रहा है।

गांवों में मिलेगी सुविधा

जानकारों के अनुसार डीएनपी क्षेत्र का नए सिरे से चिह्निकरण व सीमांकन करने का फायदा अभयारण्य में आबाद गांवों को मिल सकेगा, यही नहीं यहां के लोगों को मूलभूत सुविधा का लाभ भी मिल सकेगा। वर्तमान में क्षेत्र के लोगों को कोई सुविधा नहीं मिल रही। गौरतलब है कि मरुस्थलीय वन्यजीव अभ्यारण्य में वर्तमान में जैसलमेर व बाड़मेर जिले के 73 गांव व 200 ढाणियां आती है। वर्तमान में यहां यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे है।

सीमांकन जारी

डीएनपी क्षेत्र को नए सिरे से सीमांकन का कार्य चल रहा है। एक्सपर्ट वाइल्ड लाइफ बोर्ड के निर्देशन में नक्शा बना रहे हैं। इस नक्शे की स्वीकृति के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।

अनूप केआर, डीएफओ, डीएनपी जैसलमेर

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