बुधवार, 15 जुलाई 2015

धोरीमन्ना डॉक्टरों एव सुविधाओ की कमी से मरीज परेशान


धोरीमन्ना डॉक्टरों एव सुविधाओ की कमी से मरीज परेशान



सरकार द्वारा सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने के लिए तरह-तरह के प्रयास किये जाते हैं, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से यह सुविधा मरीजों को नहीं मिल पाती है. यही वजह है कि आये दिन अस्पतालों से छोटी-छोटी बीमारियों व दुर्घटनाओं मे मरीजों को तुरंत रेफर कर दिया जाता है. इतना ही नहीं अस्पताल में मरीजों को दी जाने वाली सुविधाओं मे भी कटौती की जाती है. जिसे देखने वाला कोई नहीं होता।

धोरीमन्ना। उपखंड क्षेत्र का बड़ा अस्पताल होने के बावजूद भी हालात बद से बदतर होते आ रहे हैं।धोरीमन्ना का राजकीय चिकित्सालय वर्तमान में वंचित खोखला बना हुआ है। जो सुविधा एक उपखंड स्तर के अस्पताल में होनी चाहिए ऐसी सुविधाए न तो अस्पताल को पा रही हैं एवं ना ही मरीजों को। लेकिन जब को इस अस्पताल के में भ्रमण करेंगे तो यहां मरीजों के फटे व गंदे बेड नजर आएंगे. जब किसी प्रशासनिक अधिकारी के औचक निरीक्षण की बात आती है, तो पूरा परिसर चकाचक रहता है, लेकिन आम दिनों में यहां आने वाला मरीज स्वस्थ्य होने के वजाय बीमार पड़ सकता है. मानें तो इतनी अस्पताल की हालत गंदी होती है कि मरीज स्वयं बैठना नहीं चाहता बड़ी बात यह की टेबलो के पास कचरा पेटी पर मच्छरों की फौज भर्मण करते नजर आती हैं। अपना खाया हुआ पान तम्बाकू थूकने में काम लेते हैं। दुर्गध आती है। साफ सफाई का नामो निशान ही नहीं हैं। उपखण्ड में सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में भी ये दावे खोखले साबित हो रहे हैं। यही वजह है कि इलाज के लिए आज भी 70 फीसद मरीज सरकारी अस्पताल के बजाय निजी नर्सिग होम जाना पसंद करते हैं। वजह दवा, जांच व एक्सरे की सुविधा नहीं मिलना, गंदगी समेत अन्य कई कारण हैं।

डॉक्टरों की कमी
धोरीमन्ना तहसील के अंतगर्त करीबन 28 ग्राम पंचायते आती है। आसपास के गांवो की मरीज सुविधायों के लिए एवं अपनी हालात में सुधार के लिए स्थानीय अस्पताल में आते हैं। लकिन डॉक्टरों की कमी के कारण पूर्ण दिशा निर्देश नहीं मिल पाते एवं निराश होकर उन्हें पुनः घर का रुख करना पड़ता हैं। डॉक्टरों की कमी पिछले कई वर्षो से जस की तस बनी हुई है। उपखंड क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल होने पर कम से कम पांच डॉक्टरों की नियुक्ति आवश्यक है। परन्तु एक चिकित्सक के हवाले पूरा चिकित्सालय किया गया हैं।

बड़ी दुर्घटनाओँ में कोई नहीं सहारा

आसपास के क्षेत्र में सड़क दुर्घटना घटित होने पर घायलों को सीधा राजकीय चिकित्सालय में लाया जाता है। परन्तु सुविधाओ के अभाव में उसको बिना उपचार किए ही आगे रेफर कर दिया जाता है। कई बार ऐसा भी हो चूका की घटना होने पर यहाँ लाया भी नहीं जाता हैं क्योकि सुविधांए नहीं है। पिछले वर्षो में ऐसी घटनाए घटित हो गई है जिसमे चिकित्सक या तो अनुपस्थित होते हैं या उनको जानकारी देने के पश्चात् भी देरी से पंहुचते हैं।।


पर्याप्त सुविधाओं से वंचित राजकीय चिकित्सालय में साख सुविधाओं का नहीं मिल पाना सबसे बड़ी गंभीर समस्या है। क्षेत्र के बड़े बड़े हॉस्पिटल के नाम से जाना जाने वाला यह अस्पताल उन सुविधाओँ से वंचित है जो प्रत्येक छोटे हॉस्पिटल में होना जरुरी है। एक्स-रे मशीन, सोनोग्राफी मशीन जैसी सुविधा नही है। वही लेबोरेटरी तो है परन्तु वह ना होने जैसी स्थिति मे है। उपखण्ड क्षेत्र पर आये अस्पताल मे ब्लड बैंक की भी सुविधा नही है। वही 108 एम्बुलेंस का सही स्थिति मे नही पाया जाना शर्मनाक बात है। राज्य सरकार द्वारा मुफ्त की दवाईयॉ मिलने के बावजूद बाहरी मेडिकलो की दवाईयॉ पर्ची पर लिखी जाती है। क्षेत्र की गरीब जनता को मेडिकलो की दवाईयॉ लेने पर आर्थिक रूप से मार झेलनी पडती है। मरीजो द्वारा मेडिकल से दवाई लेने के बारे मे पूछा भी जाता है।


पार्किग की अनुपलब्धता

हॉस्पीटल मे पार्किग की सुविधा नही होने के कारण दुपहिया एवं बडे वाहन अस्त-व्यस्त तरीके से खडे कर दिये जाते है जिसके कारण मरीजो को आने जाने मे असुविधा रहती है। कभी बडी दुर्घटना होने पर मरीज को अस्पताल के अंदर तक ले जाना बहुत बडी दुविधा बन जाती है।

छोटी दुर्घटनाए समय रहते बन जाती है भयावह

क्षेत्र की छोटी घटनाए भी समय पर उपचार प्राप्त नही होने पर बडी बन जाती है जिससे घायलो को अपनी जान खोनी पडती है। प्राथमिक उपचार भी समय पर प्राप्त नही होने से घायल की हालात मे समय रहते सुधार नही आ पाता वही आगे रैफर करने मे देरी होने से व्यक्ति अपनी जान गवां देता है। किसी का आम मे झुलस जाना, जहर का खा लेना, पानी मे डुब जाना, सडक दुर्घटना का होना इत्यादि जैसे मामलो मे शीघ्र उपचार नही मिलने से खतरा बना रहता है।

एम्बुलेन्स से पूर्व पहुचते है समाजसेवी

सर्वप्रथम तो हॉस्पीटल की 108 एम्बुलेन्स कभी भी ठीक नही मिलती। या तो डीजल नही होता या फिर खराब ही पडी मिलती है। वही सडक दुर्घटना घटित होने पर मौके स्थल पर एम्बुलेन्स से पहले समाजसेवी अपनी गाड़िया लेकर पहुंचते है। समाजसेवी अपनी बिना परवाह किए स्वयं के वाहनो मे घालयो को लेकर अस्पताल पहुचते है। उसके भी घंटो बाद एम्बुलेन्स मौके पर आती है तब तक पूरा कार्य समाजसेवियो द्वारा हो जाता है।


ग्रामीणो की मांग

धोरीमन्ना क्षेत्र के ग्रामीणो की मांग को देखा जाए तो यहॉ कम से कम 5 चिकित्सक लगाना आवश्यक है जिसमे एक स्त्री चिकित्सक होनी चाहिये। कभी एक-दो डॉक्टर के अनुपस्थित रहने के कारण अन्य डॉक्टर स्थिति के संभाले लेवे। अगर समय रहते चिकित्सकों की नियुक्ति की जाती हैं तो क्षेत्र के लोगों के लिए इस समस्या जैसी स्थिति साबित हो सकेगी।


अस्पताल के प्रबंधक और प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा भी इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं करने से अस्पताल की स्थिति दिनप्रतिदिन बिगड़ती जा रही है।

इनका कहना

सूचना का अधिकार 2005 के तहत राजकीय चिकित्सालयो का करना होगा कायाकल्प। सरकार द्वारा राजकीय चिकत्सालयों में आमजन को प्रदत्त मूलभूत सुविधाओं को अविलंब व् सुचारू रूप से उपयोग करने के लिए इसकी वर्तमान की अवांशित भ्रान्तियों से पीछा छूडाना होगा जो सूचना के अधिकार से सम्भव है। तथापि हम सब को आगे आना होगा सूचना के अधिकार का उपयोग होने लगे तो कई समस्याओं का स्वत: ही समाधान हो सकता है। "अभिनव राजस्थान" बानने के लिए आमजन को अपने क्षेत्र में इस समस्या को हल करने के लिए आगे आयें ताकि हम उन समस्याओं को हल कर सकें जो सार्थक हैं।



आरटीआई कार्यकर्ता

प्रकाशचंद बिश्नोई (धोरीमन्ना)



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