गुरुवार, 9 जुलाई 2015

जोधपुर डॉक्टर ने सरकारी स्कूल में कराया बेटी का दाखिला

जोधपुर  डॉक्टर ने सरकारी स्कूल में कराया बेटी का दाखिला

सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर तमाम सवालिया निशान लगते रहे हैं, दूसरी ओर एक चिकित्सक ने इन सारी बातों को दरकिनार कर सरकारी विद्यालयों पर भरोसा जताया है। डॉक्टर विकास जैन ने अपनी पुत्री डिंपल को निजी स्कूल से निकालकर उसका दाखिला राजकीय माध्यमिक विद्यालय पावटा में कक्षा तीसरी में करवाया है। उनका मानना है कि इतनी भारी फीस होने के बावजूद निजी स्कूलों में कोई परफॉर्मेंस नजर नहीं आती।
डॉ. जैन मूलत: नागौर जिले के डेगाना जंक्शन के रहने वाले हैं, यहां उनका आवास पावटा में है। उनकी पोस्टिंग डेगाना जंक्शन कम्यूनिटी सेंटर में है। हाल में वे महात्मा गांधी अस्पताल स्थित ऑर्थोपेडिक विभाग में एक साल का सॢटफिकेट कोर्स कर रहे हैं।
सफाई करवाओ मगर मास्क लगाकर
सरकारी स्कूल में कक्षों की साफ-सफाई बच्चों से करवाना आम बात है। एक दिन डॉ. जैन की पत्नी कविता स्कूल पहुंची तो बच्चे सफाई कर रहे थे। उन्होंने इसपर तो कोई एेतराज नहीं जताया मगर सफाई के दौरान बच्चों के मुंह पर मास्क लगाने की नसीहत जिम्मेवारों को जरूर दी। क्लास टीचर के अनुसार डिंपल क्लास में सबसे होशियार बच्ची है।
निजी स्कूलों में आए दिन बदलते हैं शिक्षक
डॉ. जैन का कहना है कि इससे पहले उनकी बेटी पावटा स्थित एक निजी स्कूल में पढ़ती थी। जहां बच्चों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। वे खुद अपने गांव डेगाना जंक्शन में आदर्श विद्या मंदिर स्कूल में पढ़े। उनके बड़े भाई, जो कि डॉक्टर हैं, उन्होंने 12वीं तक पूरी स्कूल शिक्षा सरकारी विद्यालय से ली है। जितने पढ़ाने में पारंगत सरकारी शिक्षक हैं, उतने निजी स्कूल के शिक्षक नहीं हैं। बच्चे में पढऩे की लगन होनी चाहिए।
सरकारी स्कूल सभी शांत एरिया में हैं, प्राइवेट स्कूल सभी रोड पर होते हंै। ऐसे में ज्यादातर दुर्घटना का भी खतरा रहता है। यहां खेलने-कूदने के बड़े-बड़े ग्राउंड होते हैं। इस स्कूल में वे एक साल तक अपनी बच्ची को पढ़ाएंगे। यदि उन्हें लगा कि स्कूल का माहौल अच्छा है तो वे आगे भी बच्ची को यहीं पढ़ाएंगे। वे अपनी बेटी की गुरुवार को टीसी जमा करवाकर उसका पंजीयन करा देंगे। उनकी बेटी पिछले तीन-चार दिन से स्कूल पढऩे आ रही है।
बच्चों से नहीं कराते काम
चिकित्सक की बच्ची स्कूल में पढ़ रही है बहुत अच्छी बात है, स्कूल में बच्चों से किसी तरह का काम नहीं करवाया जाता है। यूं तो थोड़ी बहुत धूल उड़ेगी।
मेघसिंह राठौड़, कार्यवाहक प्रधानाध्यापक, रामावि पावटा

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