शुक्रवार, 8 मई 2015

बाड़मेर थार का स्टार: सिर चढ़कर बोला विवेक का गूंगा पहलवान



बाड़मेर थार का स्टार: सिर चढ़कर बोला विवेक का गूंगा पहलवान
barmer's vivek chaudhary got national film award

तीन दोस्तों ने मिलकर कुछ करने की सोची, लेकिन क्या किया जाए, यह समझ में नहीं आ रहा था। इस उधेड़बुन में समय गुजर रहा था कि एक दिन अखबार में एक गूंगे पहलवान की सफलता व संघर्ष की कहानी पढऩे को मिली। तीनों ने मिलकर गूंगे पहलवान पर डॉक्यूमेंट्री बनाने की ठानी।

मिट जानी, प्रतीक गुप्ता व विवेक चौधरी नाम के तीन गुमनाम दोस्तों की बनाई डॉक्यूमेंट्री गूंगा पहलवान 62वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में बोल उठी। तीनों को बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर का अवॉर्ड तीन मई को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों मिला। इन तीनों में से एक विवेक चौधरी मूलत: बाड़मेर जिले के तारातरा गांव का निवासी है। विवेक का कहना है कि पहले ही प्रयास में इतनी बड़ी सफलता उसके लिए न सिर्फ अविश्वसनीय है बल्कि ऐसा सपना है, जो देखा ही नहीं गया, लेकिन पूरा हो गया।

कौन है गूंगा पहलवान

गूंगा पहलवान हरियाणा का वीरेन्द्रसिंह है, जिसने बेथ ओलम्पिक में दो गोल्ड सहित तीन मेडल जीते। पहला मेडल 2005 में मेलबर्न में, दूसरा 2009 में ताइवान में, तीसरा 2013 में बुल्गारिया में जीता। मेलबर्न व बुल्गारिया में वीरेन्द्र ने गोल्ड व ताइवान में कांस्य पदक जीता। इसके अलावा वल्र्ड बेथ चैम्यिनशिप में दो गोल्ड मेडल भी वीरेन्द्र के नाम है।

डॉक्यूमेंट्री में वीरेन्द्र की दास्तां

मिट, प्रतीक व विवेक ने 18 माह में बनाई 45 मिनट की डॉक्यूमेंट्री गूंगा पहलवान में वीरेन्द्रसिंह की दास्तां को बखूबी बयां किया है। डॉक्यूमेंट्री में बताया गया है कि वीरेन्द्र मूक है, इसलिए वह बेथ ओलम्पिक में ही खेल सकता है। लेकिन ओलम्पिक मेडलिस्ट को हराने में सक्षम है। बेथ ओलम्पियन होने के कारण वीरेन्द्र के पास न शोहरत है, ना दौलत। सरकार भी उन्हें प्रोत्साहित नहीं करती। लिहाजा वह रेसलिंग मुकाबलों से प्राप्त होने वाली इनामी राशि से ही अपनी आजीविका चलाने को मजबूर है।

दिल की सुनो, जुनून के साथ बढ़ो- विवेक

मूलत: बाड़मेर जिले के तारातरा गांव निवासी विवेक चौधरी के पिता हमीरसिंह विरड़ा अहमदाबाद में सर्विस टैक्स विभाग में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं। विवेक के दादा सुखाराम किसान थे। विवेक की पढ़ाई अहमदाबाद व दिल्ली में हुई। उसने डीयू से एमबीए किया। वर्ष 2013 में एमबीए करने के बाद 24 वर्षीय विवेक व उसके दो मित्रों ने गूंगा पहलवान शुरू की।

डॉक्यूमेंट्री व फिल्म निर्माण क्षेत्र के उभरते सितारे विवेक ने बताया कि पहली सफलता के बाद वे नए प्रोजेक्ट के बारे में सोच रहे हैं। एक-एक कदम आगे बढ़ाना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि यदि कोई अपने दिल की सुनकर पूरे जुनून के साथ आगे बढ़े, तो भगवान भी उसे सफलता जरूर दिलाता है।

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