बीकानेर पुरावस्तुओं से सजेगा गंगा म्यूजियम
बीकानेर यूं तो बीकानेर का राजकीय संग्रहालय हजारों साल पुरानी पुरा सम्पदा को संजोए हुए है लेकिन अगले कुछ महीनों में इसकी महत्ता और बढ़ जाएगी।
पर्यटकों को लुभाने और पुरामहत्व की जानकारी आमजन तक सहज उपलब्ध कराने के लिए संग्रहालय को निखारने की कवायद शुरू हुई है।
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के प्रस्ताव को हरी झंडी मिली तो संग्रहालय को स्वरूप ही बदल जाएगा। राज्य के अन्य राजकीय संग्रहालयों की तर्ज पर बीकानेर के म्यूजियम का आंतरिक स्वरूप निखारा जाएगा।
इसके तहत यहां खुले में रखे रियासतकालीन हथियार जहां कोच के शो केस में नजर आएंगे वहीं खुदाई में मिले सिक्के भी वॉल शो केस में सजेंगे।
विभाग के वृत अधीक्षक कार्यालय की ओर से कुल 90 लाख रूपए की अनुमानित राशि के प्रस्ताव तैयार किए गए है।
वृत अधीक्षक जफर उल्ला खान ने बताया कि म्यूजियक का आतंरिक स्वरूप निखारने और पुरावस्तुओं को सही तरीके से प्रदर्शित करने के प्रस्ताव मुख्यालय भेजने के साथ-साथ इसकी जानकारी जिला कलक्टर को दी गई है।
गंगा संग्रहालय भले ही प्राचीन स्मृतियों से भरा हो, लेकिन इसमें पुरा महत्व की वस्तुएं मौजूदा हाल में अव्यस्थित रखी हुई है।
इससे पर्यटकों का रूझान नहीं बढ़ता। संग्रहालय में आने वालों को संबंधित वस्तु के इतिहास की जानकारी भी सहज नहीं मिलती।
एेसे में एेतिहासिक महत्व के बावजूद यह संग्रहालय पर्यटकों पर अपनी छाप नहीं छोड़ रहा। औसतन सौ पर्यटक रोजाना यहां पहुंच रहे है।
बीकानेर यूं तो बीकानेर का राजकीय संग्रहालय हजारों साल पुरानी पुरा सम्पदा को संजोए हुए है लेकिन अगले कुछ महीनों में इसकी महत्ता और बढ़ जाएगी।
पर्यटकों को लुभाने और पुरामहत्व की जानकारी आमजन तक सहज उपलब्ध कराने के लिए संग्रहालय को निखारने की कवायद शुरू हुई है।
पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग के प्रस्ताव को हरी झंडी मिली तो संग्रहालय को स्वरूप ही बदल जाएगा। राज्य के अन्य राजकीय संग्रहालयों की तर्ज पर बीकानेर के म्यूजियम का आंतरिक स्वरूप निखारा जाएगा।
इसके तहत यहां खुले में रखे रियासतकालीन हथियार जहां कोच के शो केस में नजर आएंगे वहीं खुदाई में मिले सिक्के भी वॉल शो केस में सजेंगे।
विभाग के वृत अधीक्षक कार्यालय की ओर से कुल 90 लाख रूपए की अनुमानित राशि के प्रस्ताव तैयार किए गए है।
वृत अधीक्षक जफर उल्ला खान ने बताया कि म्यूजियक का आतंरिक स्वरूप निखारने और पुरावस्तुओं को सही तरीके से प्रदर्शित करने के प्रस्ताव मुख्यालय भेजने के साथ-साथ इसकी जानकारी जिला कलक्टर को दी गई है।
गंगा संग्रहालय भले ही प्राचीन स्मृतियों से भरा हो, लेकिन इसमें पुरा महत्व की वस्तुएं मौजूदा हाल में अव्यस्थित रखी हुई है।
इससे पर्यटकों का रूझान नहीं बढ़ता। संग्रहालय में आने वालों को संबंधित वस्तु के इतिहास की जानकारी भी सहज नहीं मिलती।
एेसे में एेतिहासिक महत्व के बावजूद यह संग्रहालय पर्यटकों पर अपनी छाप नहीं छोड़ रहा। औसतन सौ पर्यटक रोजाना यहां पहुंच रहे है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें