अलवर गेट थाना पुलिस ने पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजन के सुपुर्द कर दिया।नगरा बारह कोठी क्षेत्र में शुक्रवार सुबह एकबारगी फिर सन्नाटा पसर गया। जगदीशचंद सोनी के बेटे अरुण सोनी(40) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। मोबाइल पर कॉल रिसिव नहीं करने पर मित्र देवांशु जोधा उसको जगाने आया था।
कई मर्तबा दरवाजा खटखटाने के बाद भी जवाब नहीं मिला तो देवांशु ने खिड़की से कमरे में ताक-झाक की। कमरे का दृश्य देखकर देवांशु सन्न रह गया। उसने अलवर गेट थाना पुलिस को इत्तला कर दी। सहायक पुलिस अधीक्षक(दक्षिण) गौरव यादव, थानाप्रभारी विक्रमसिंह भाटी पहुंचे। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर कमरे में दाखिल हुई। पंखे पर फंदे से लटके अरुण को उतारा।
पुलिस ने कमरे की तलाशी ली लेकिन सुसाइड नोट नहीं मिला। शव जेएलएन अस्पताल की मोर्चरी में रखाया। यहां पोस्टमार्टम के बाद शव अरुण के बड़े भाई राजकुमार को सुपुर्द कर दिया।मां ने ली थी बच्चों जानदो माह पहले एक मार्च को अरुण की दोनों बेटियां सोनिया(2) व छह माह की नवजात बेटियों के शव बारह कोठी क्षेत्र में सूखे कुएं में प्लास्टिक कट्टों में मिले थे।
भूख से बिलखती दोनों बच्चियों को उनकी मां रतना ने लोहे के स्क्रू (पेच) खिला दिए थे। जिससे दोनो बच्चियों की मौत हो गई। उनके शव प्लास्टिक के कट्टों में कुएं में मिले थे। बच्चों की हत्या के मामले में पुलिस ने रतना को गिरफ्तार कर लिया। तब से अरुण अकेला रह रहा था।
मानसिक अवसाद में था अरुण
दोस्त देवांशु जोधा ने बताया कि अरुण रतलाम की गौरव फूड्स कम्पनी के लिए उसके साथ सेल्समैन का काम कर रहा था। बच्चों की मौत और पत्नी रतना के जेल जाने के बाद से अरुण मानसिक अवसाद में था। काम के सिलसिले में वह शहर से बाहर आता-जाता था लेकिन जब अजमेर में रहता तो कमरे में बंद रहता। खाने की व्यवस्था भी किरायदार हरीश बॉथम व भूतल पर रहने वाले बड़े भाई राजकुमार के यहां से थी।
आत्महत्या से पहले बेचेन
परिजन और किरायदार हरीश बॉथम ने अरुण को गुरुवार रात आखरी बार देखा। वह कुछ बेचेन नजर आ रहा था। अरुण दूसरी मंजिल स्थित अपने कमरे से बार-बार ऊपर नीचे चक्कर लगा रहा था लेकिन किसी से बात नहीं की। सुबह अरुण का दोस्त देवांशु आया तो सीढिय़ों के साथ कमरे के दरवाजा भी अन्दर लॉक था। पुलिस ने दरवाजा तोड़कर शव को बाहर निकाला।
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