अजमेर भक्तों की कतार में वानर भी
हनुमान भक्तों की आस्था के प्रतीक बजरंगगढ़ मंदिर में पिछले सात साल से रामू नाम का एक बंदर भी प्रभू की भक्ति कर रहा है। रात में वह मंदिर की पहरेदारी भी करता है। उसमें कई एेसी खास विशेषताएं हैं जो आम वानरों में देखने को नहीं मिलती।
रामू मंदिर में ही रहता, खाता-पीता और सोता है। रामू अपने माथे पर एक सच्चे भक्त की तरह बालाजी का तिलक लगवाता है। अपने पैर धुलवाता है, साथ ही हनुमान भक्तों को आशीर्वाद भी देता है। रामू मंदिर में रखे घंटे-झालर भी बजाता है। साथ ही बालाजी के दर पर आए भक्तजनों के साथ आरती व हनुमान चालीसा पाठ के दौरान मंदिर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। वहीं कई बार भजन या आरती पर नृत्य भी करता है।
चौकीदार खास रिश्ता
रामू बजरंगगढ़ मंदिर के चौकीदार ओंकार सिंह के बेहद करीब है। मनुष्य व जानवर के बीच का खूबसूरत रिश्ता इन दोनों के बीच देखने को मिलता है। ओंकार सिंह बताते हैं कि रामू सात वर्ष पूर्व श्राद्ध के दौरान किसी मदारी से छूट कर यहां आया था। रामू जब आया था तब बीमार था, लोगों ने उसे नजरअंदाज किया। मगर ओंकार ने उसकी बहुत सेवा की। जैसे-जैसे समय बीतता गया ओंकार और रामू का रिश्ता गहरा होता गया। ओंकार ने धीरे-धीरे रामू को उछलना-कूदना, रोटी खाना, पेड़ों पर चढऩा खुद पानी पीने आदि कई चीजें सिखाई।
सबके लिए शुभ
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि रामू के कदम मंदिर के लिए शुभ हैं। वह साक्षात बालाजी के रूप में मंदिर की रक्षा करता है। जब से रामू आया तब से मंदिर से जुड़े कई लोगों को विभिन्नतरह के लाभ हुए हैं। ओंकार ने बताया कि कुछ समय पूर्व मंदिर में आई एक महिला भक्त की सोने की बाली कहीं खो गई थी। उसको लेकर वह बेहद परेशान थी। लेकिन रामू ने बाली ढूंढकर ओंकार को बताई। ओंकार ने रामू के बताए संकेतों के आधार पर बाली ढूंढ कर उस महिला भक्त को सुरक्षित लौटा दी।
'व्यवहार का होता असर Ó
जीवों पर आसपास के माहौल और मानवीय व्यवहार का असर पड़ता है। वे परस्पर व्यवहार के प्रति बहुत संवेदनशील और सतर्क रहते हैं। यदि मानवीय व्यवहार आक्रामक अथवा मित्रता वाला होगा तो वे पर तत्काल वैसी ही प्रतिक्रिया करेंगे। बजरंगगढ़ में रहने वाले वानर पर भी आसपास के माहौल का असर दिखता है। - डॉ. एम. एम. रंगा, पूर्व प्राचार्य एवं जूलॉजी विभागाध्यक्ष राजकीय महाविद्यालय, अजमेर
हनुमान भक्तों की आस्था के प्रतीक बजरंगगढ़ मंदिर में पिछले सात साल से रामू नाम का एक बंदर भी प्रभू की भक्ति कर रहा है। रात में वह मंदिर की पहरेदारी भी करता है। उसमें कई एेसी खास विशेषताएं हैं जो आम वानरों में देखने को नहीं मिलती।
रामू मंदिर में ही रहता, खाता-पीता और सोता है। रामू अपने माथे पर एक सच्चे भक्त की तरह बालाजी का तिलक लगवाता है। अपने पैर धुलवाता है, साथ ही हनुमान भक्तों को आशीर्वाद भी देता है। रामू मंदिर में रखे घंटे-झालर भी बजाता है। साथ ही बालाजी के दर पर आए भक्तजनों के साथ आरती व हनुमान चालीसा पाठ के दौरान मंदिर में अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है। वहीं कई बार भजन या आरती पर नृत्य भी करता है।
चौकीदार खास रिश्ता
रामू बजरंगगढ़ मंदिर के चौकीदार ओंकार सिंह के बेहद करीब है। मनुष्य व जानवर के बीच का खूबसूरत रिश्ता इन दोनों के बीच देखने को मिलता है। ओंकार सिंह बताते हैं कि रामू सात वर्ष पूर्व श्राद्ध के दौरान किसी मदारी से छूट कर यहां आया था। रामू जब आया था तब बीमार था, लोगों ने उसे नजरअंदाज किया। मगर ओंकार ने उसकी बहुत सेवा की। जैसे-जैसे समय बीतता गया ओंकार और रामू का रिश्ता गहरा होता गया। ओंकार ने धीरे-धीरे रामू को उछलना-कूदना, रोटी खाना, पेड़ों पर चढऩा खुद पानी पीने आदि कई चीजें सिखाई।
सबके लिए शुभ
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि रामू के कदम मंदिर के लिए शुभ हैं। वह साक्षात बालाजी के रूप में मंदिर की रक्षा करता है। जब से रामू आया तब से मंदिर से जुड़े कई लोगों को विभिन्नतरह के लाभ हुए हैं। ओंकार ने बताया कि कुछ समय पूर्व मंदिर में आई एक महिला भक्त की सोने की बाली कहीं खो गई थी। उसको लेकर वह बेहद परेशान थी। लेकिन रामू ने बाली ढूंढकर ओंकार को बताई। ओंकार ने रामू के बताए संकेतों के आधार पर बाली ढूंढ कर उस महिला भक्त को सुरक्षित लौटा दी।
'व्यवहार का होता असर Ó
जीवों पर आसपास के माहौल और मानवीय व्यवहार का असर पड़ता है। वे परस्पर व्यवहार के प्रति बहुत संवेदनशील और सतर्क रहते हैं। यदि मानवीय व्यवहार आक्रामक अथवा मित्रता वाला होगा तो वे पर तत्काल वैसी ही प्रतिक्रिया करेंगे। बजरंगगढ़ में रहने वाले वानर पर भी आसपास के माहौल का असर दिखता है। - डॉ. एम. एम. रंगा, पूर्व प्राचार्य एवं जूलॉजी विभागाध्यक्ष राजकीय महाविद्यालय, अजमेर
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