बहरोड़ तीन बच्चों की हत्या, मां को आजीवन कारावास
बहरोड़ के अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सुशील कुमार शर्मा ने गुरुवार को अपने ही तीन बच्चों की हत्या करने के आरोप में एक महिला को आजीवन कारावास एवं दस हजार रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
प्रकरण के अनुसार 16 नवम्बर 2013 को हरियाणा के ग्राम मूंडियाखेड़ा निवासी यादराम यादव ने शनिवार तड़के तीन बजे थाने पर सूचना दी कि उसकी बहन गंभीर घायल है और उसके तीन बच्चेे अचेत हैं। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची।
पुलिस को तीनों बच्चे अचेत मिले और महिला गम्भीर घायल अवस्था में मिली। पुलिस सभी को लेकर बहरोड़ के एक निजी अस्पताल पहुंची, जहां पर चिकित्सकों ने जांच के बाद बालिका रवीना (12), मनीषा (9) व बालक करमेश (7) को मृत घोषित कर दिया।
महिला मीरा (40)गम्भीर घायल थी, जिसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्चों की मौत विषाक्त पदार्थ के सेवन के कारण होने का खुलासा हुआ। बालक करमेश के गले पर दबाने के निशान भी मिले थे।
उपचार के दौरान महिला मीरा ने पुलिस को लिख कर बताया कि उसके पति हवासिंह ने अन्य दो लोगों के साथ मिलकर उनको मारा है। पुलिस जांच में महिला के बयान झूठे निकले। महिला से कड़ाई की गई पूछताछ में महिला ने कबूल किया कि तीनों बच्चों की हत्या उसी ने की है।
महिला ने यह भी बताया कि उसका पति उसे खर्चा नहीं देता था, इसीलिए आर्थिक तंगी के चलते वह घर का खर्चा वहन नहीं कर पा रही थी, जिसके चलते उसे बच्चों की पढ़ाई की फीस देने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इस सब से छुटकारा पाने के लिए वह बच्चों सहित स्वयं भी मरना चाहती थी। शनिवार को उसने बच्चां को पांच-पांच नींद की गोलियां दे दी और तौलिए से उनका गला दबा कर मार दिया। इस सब के बाद महिला खुद डर गई और दीवार से सर को मार-मार कर स्वयं को घायल करने की कोशिश कर पति को फंसाने की साजिश रची।
उसने बचने के लिए झूठी कहानी भी गढ़ ली। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायाधीश शर्मा ने मातृत्व को शर्मसार करने वाली मां को अपने ही तीन बच्चों की हत्या करने के मामले में दोषी करार देते हुए महिला मीरा को आजीवन कारावास एवं दस हजार रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।
बहरोड़ के अपर जिला एवं सेशन न्यायाधीश सुशील कुमार शर्मा ने गुरुवार को अपने ही तीन बच्चों की हत्या करने के आरोप में एक महिला को आजीवन कारावास एवं दस हजार रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
प्रकरण के अनुसार 16 नवम्बर 2013 को हरियाणा के ग्राम मूंडियाखेड़ा निवासी यादराम यादव ने शनिवार तड़के तीन बजे थाने पर सूचना दी कि उसकी बहन गंभीर घायल है और उसके तीन बच्चेे अचेत हैं। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची।
पुलिस को तीनों बच्चे अचेत मिले और महिला गम्भीर घायल अवस्था में मिली। पुलिस सभी को लेकर बहरोड़ के एक निजी अस्पताल पहुंची, जहां पर चिकित्सकों ने जांच के बाद बालिका रवीना (12), मनीषा (9) व बालक करमेश (7) को मृत घोषित कर दिया।
महिला मीरा (40)गम्भीर घायल थी, जिसे उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्चों की मौत विषाक्त पदार्थ के सेवन के कारण होने का खुलासा हुआ। बालक करमेश के गले पर दबाने के निशान भी मिले थे।
उपचार के दौरान महिला मीरा ने पुलिस को लिख कर बताया कि उसके पति हवासिंह ने अन्य दो लोगों के साथ मिलकर उनको मारा है। पुलिस जांच में महिला के बयान झूठे निकले। महिला से कड़ाई की गई पूछताछ में महिला ने कबूल किया कि तीनों बच्चों की हत्या उसी ने की है।
महिला ने यह भी बताया कि उसका पति उसे खर्चा नहीं देता था, इसीलिए आर्थिक तंगी के चलते वह घर का खर्चा वहन नहीं कर पा रही थी, जिसके चलते उसे बच्चों की पढ़ाई की फीस देने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
इस सब से छुटकारा पाने के लिए वह बच्चों सहित स्वयं भी मरना चाहती थी। शनिवार को उसने बच्चां को पांच-पांच नींद की गोलियां दे दी और तौलिए से उनका गला दबा कर मार दिया। इस सब के बाद महिला खुद डर गई और दीवार से सर को मार-मार कर स्वयं को घायल करने की कोशिश कर पति को फंसाने की साजिश रची।
उसने बचने के लिए झूठी कहानी भी गढ़ ली। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायाधीश शर्मा ने मातृत्व को शर्मसार करने वाली मां को अपने ही तीन बच्चों की हत्या करने के मामले में दोषी करार देते हुए महिला मीरा को आजीवन कारावास एवं दस हजार रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें