जयपुर। पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्मित 99029 किलोमीटर की सड़कों में से 15000 किमी की हालत खस्ता
जयपुर। चमचमाती सड़के किसी भी देश और शहर की सूरत और सीरत का एहसास करा देती है। लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग के अंडर में आने वाली करीब 30 हजार किलोमीटर सड़कों की हालात बेहद खस्ता है। ताज्जुब की बात है कि कईं साल बाद भी उनके मरम्मत का काम नहीं हो रहा।
खराब सड़कों में नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे, जिलों की सड़के, तहसील सड़के और ग्रामीण क्षेत्रों की सड़के शामिल है। सबसे बुरी दुर्दशा ग्रामीण अंचल की सड़कों की है। पीडब्ल्यूडी की टोटल 99 हजार 29 किलोमीटर सड़के हैं जिनमें करीब 15 हजार सड़के बेहद क्षतिग्रस्त है। जिन पर वाहनों का चलना ही दुश्वार हो गया हैं।
हालांकि विभाग का दावा है कि टोटल पीडब्ल्यूडी की 1 लाख 38 हजार किलोमीटर सड़के प्रदेश में हैं। जिनमें से करीब 15 हजार किलोमीटर सड़के ही नॉन पेचेबल है। वहीं कोटा से झालावाड़ होते हुए मध्यप्रदेश जाने वाले नेशनल हाइवे की हालात तो बेहद खस्ता है।
विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद दर्रा क्षेत्र से गुजरने वाले भाग की हालत नहीं सुधर रही हैं, ऐसे में विभाग का दावा है कि जल्द ही टूटी सड़कों की रिपेयरिंग करा ली जाएगी। इसके लिए चार हजार किलोमीटर सड़कों की रिपेयरिंग के लिए पैसा भी मंजूर हो चुका है।
खराब सड़कों में नेशनल हाइवे, स्टेट हाइवे, जिलों की सड़के, तहसील सड़के और ग्रामीण क्षेत्रों की सड़के शामिल है। सबसे बुरी दुर्दशा ग्रामीण अंचल की सड़कों की है। पीडब्ल्यूडी की टोटल 99 हजार 29 किलोमीटर सड़के हैं जिनमें करीब 15 हजार सड़के बेहद क्षतिग्रस्त है। जिन पर वाहनों का चलना ही दुश्वार हो गया हैं।
हालांकि विभाग का दावा है कि टोटल पीडब्ल्यूडी की 1 लाख 38 हजार किलोमीटर सड़के प्रदेश में हैं। जिनमें से करीब 15 हजार किलोमीटर सड़के ही नॉन पेचेबल है। वहीं कोटा से झालावाड़ होते हुए मध्यप्रदेश जाने वाले नेशनल हाइवे की हालात तो बेहद खस्ता है।
विभाग के तमाम प्रयासों के बावजूद दर्रा क्षेत्र से गुजरने वाले भाग की हालत नहीं सुधर रही हैं, ऐसे में विभाग का दावा है कि जल्द ही टूटी सड़कों की रिपेयरिंग करा ली जाएगी। इसके लिए चार हजार किलोमीटर सड़कों की रिपेयरिंग के लिए पैसा भी मंजूर हो चुका है।
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