यह सृष्टि शिव और शक्ति का साकार स्वरूप है। जहां शक्ति है, वहां समृद्धि है, नवनिर्माण है, नवसृजन है। शक्ति के बिना संसार का अस्तित्व नहीं हो सकता। आमतौर पर मां भगवती के मंदिरों में उनकी प्रतिमा, ज्योति आदि का पूजन किया जाता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में स्थित एक मंदिर इस दृष्टि से अनोखा है।
यहां देवी की पूजा लिंग रूप में होती है। यह मंदिर छत्तीसगढ़ के अलोर गांव में है। माता का यह मंदिर साल में सिर्फ एक ही दिन खुलता है और उसी दिन यहां पूजा होती है। अन्य दिनों मंदिर के पट बंद रहते हैं।
इस मंदिर में मां भगवती लिंगई माता के रूप में विराजमान हैं। मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार, यहां शिव और शक्ति- दोनों का वास है। इसलिए यहां माता का पूजन लिंग रूप में होता है। मां के दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं।
मन की मुराद पूरी करती है मां
भक्तों का दृढ़ विश्वास है कि लिंगई माता ने अनेक बार उनकी रक्षा की है और सच्चे मन से कोई मन्नत मांगो तो वह कभी मना नहीं करती। मां के भंडार हर प्राणी के लिए खुले हैं।
माता का ये मंदिर एक पहाड़ पर स्थित है। मन्नत पूरी होने के बाद स्थानीय परंपरा के अनुसार लोग माता को खीरे का प्रसाद चढ़ाते हैं। जो खीरा मां को चढ़ाया जाता है, वह अर्पण करने के बाद उन दंपत्तियों को दिया जाता है जो संतान प्राप्ति के इच्छुक हैं।
यह खीरा नाखून से दो भागों में विभाजित किया जाता है। उसका एक भाग माता के सामने पति-पत्नी ग्रहण कर ते हैं। कहा जाता है कि इससे उन्हें संतान की प्राप्ति होती है।
बढ़ रहा है लिंग का आकार
लिंगई माता के बारे में एक और बात इस मंदिर को खास बना देती है। कहते हैं कि पहले यह लिंग आकार में बहुत छोटा था। अब इसकी ऊंचाई में बढ़ोतरी हो रही है और इसका बढ़ना जारी है। माता के इस मंदिर में प्रवेश करना बहुत कठिन है, क्योंकि इसका द्वार बहुत संकरा है।
हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के बाद आने वाले बुधवार को यह मंदिर खोला जाता है। एक दिन की पूजा के पश्चात मंदिर बंद किया जाता है। पूजा के बाद मंदिर को बंद करने के बाद बाहर रेत बिछाई जाती है।
पुजारी बताते हैं भविष्य का हाल
अगले साल रेत पर जो चिह्न दिखाई देते हैं, उसके आधार पर पुजारी भविष्यवाणी करते हैं। यदि रेत पर कमल का निशान दिखाई दे तो यह शुभ चिह्न माना जाता है। इसका मतलब है धन-समृद्धि में वृद्धि होगी। हाथी के पांव का निशान हो तो तरक्की होगी। गाय का खुर भी समृद्धि की ओर संकेत है।
घोड़े का खुर दिखे तो विवाद तथा युद्ध होंगे। बाघ का निशान मिलना भय और आतंक की निशानी है। मुर्गी के निशान मिलना अकाल की ओर इशारा माना जाता है। लोगों की इसमें गहरी आस्था है।
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