विश्व मलेरिया दिवस पर विचार गोष्ठी का आयोजन
मलेरिया रोकने में सरकार के साथ ही खुद भी उठाएं जिम्मेदारीः डॉ बिष्ट
बाड़मेर हर साल विश्व में लाखों लोग एक ऐसी बीमारी के शिकार बन मौत के आगोश में समा जाते हैं जिसकी वजह बहुत छोटी सी होती है. एक छोटे से मच्छर की वजह से विश्व में हर साल 2,05,000 मौतें होती हैं. इतनी बढ़ी संख्या में होने वाली मौतों के पीछे अक्सर वजह तो मच्छर होते हैं लेकिन उनके पनपने में हमारा ही हाथ होता है.यह विचार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुनील कुमार सिंह बिष्ट ने विश्व मलेरिया दिवस पर जयनारायण व्यास फॉर्मेसी कॉलेज में आयोजित विचार गोष्टी में मुख्य वक्ता के रूप में कही ,विचार गोष्ठी का आयोजन चिकित्सा विभाग और कृष्णा संस्था के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया था ,संस्था द्वारा जिले के आठो ब्लॉक में विश्व मलेरिया दिवस पर विभिन कार्यक्रम आयोजित किये गए।
डॉ बिष्ट ने कहा की कभी आस-पड़ोस में जमा गंदे पानी में तो कभी छत पर पड़े घड़े या अन्य बर्तनों में पैदा होने वाले यह मच्छर इंसान का खून चूस दूसरे में इंजेक्ट कर देते हैं जिसकी वजह से मलेरिया हो जाता है.
उन्होंने कहा की मलेरिया एक प्रकार का बुखार है. इसमें बुखार ठण्ड या सर्दी (कंपकपी) के साथ आता है. मलेरिया बुखार के मुख्य लक्षण हैं सरदर्द, उलटी और अचानक तेज सर्दी लगना. मलेरिया मुख्यत: संक्रमित मादा एनोलीज मच्छर द्वारा काटने पर ही होता है. जब संक्रमित मादा एनोलीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्त में मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देता है. संक्रमित मच्छर के काटने के 10-12 दिनो के बाद उस व्यक्ति में मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं. मलेरिया के रोगी को काटने पर असंक्रमित मादा एनोलीज मच्छर रोगी के खून के साथ मलेरिया परजीवी को भी चूस लेते हैं व 12-14 दिनों में ये मादा एनोलीज मच्छर भी संक्रमित होकर जितने भी स्वस्थ मनुष्यों को काटते हैं उनमें मलेरिया फैलाने में सक्षम होते हैं. इस तरह एक मादा मच्छर कई स्वस्थ लोगों को बीमार कर सकती है.
विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए संस्था सचिव चन्दन सिंह भाटी ने कहा की मलेरिया बहुत तेजी से स्वस्थ मनुष्यों में फैलता है और इसकी वजह से जान का नुकसान भी होने का आसार रहता है. मच्छर के काटने से फैलने वाली इस बीमारी के स्वरूप और संक्रामकता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने पाया कि इस बीमारी से निपटने के लिए सरकारी उपायों के साथ-साथ लोगों में मलेरिया के प्रति जागरूकता भी आवश्यक है. इसे ध्यान में रखते हुए डबल्यूएचओ की संस्था वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली की मई 2007 की 60वें सत्र की बैठक में 25 मई को विश्व मलेरिया दिवस मनाने का निर्णय लिया गया.
उन्होंने कहा की वैसे मलेरिया से निपटने के लिए भारत ने बहुत पहले ही उपाय करने शुरु कर दिए थे. भारत सरकार ने वर्ष 1953 में राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएमसीपी) चलाने के साथ ही डीडीटी का छिड़काव शुरू किया, जबकि वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली के अनुरोध पर वर्ष 1958 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (एनएमईपी) और आगे चलकर मॉडिफाइड प्लान ऑफ ऑपरेशन (एमपीओ) नाम से नई योजना शुरू की गई.
इस अवसर पर कॉलेज प्रबंधक अनिल सुखानी ने कहा की तमाम कोशिशों और उपायों के बाद भी मलेरिया पर नियंत्रण पाना बहुत ही मुश्किल काम साबित हुआ जिसकी वजह थी जन जागरुकता की कमी. आज विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर हमें उन छोटी-छोटी बातों का खास ख्याल रखना चाहिए जिससे मलेरिया के फैलने के आसार होते हैं. सबसे पहले तो अपने आसपास गंदा पानी जमा ना होने दें, बाल्टी या छत पर रखी टंकी की नियमित तौर पर सफाई करनी चाहिए. पानी की सफाई के साथ एक सबसे अहम बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि यदि आपको कभी मलेरिया हो या उसके लक्षण दिखें तो घर पर ना बैठें बल्कि अपने खून की जांच कराएं और उचित दवाइयां ले. याद रखें कि मलेरिया का इलाज संभव है बस जरुरत है तो सही समय पर उपचार की.इस अवसर पर आखे दान बारहट ,रमेश सिंह इन्दा ,प्रवीण चौधरी ,राजेंद्र सिंह ,सेवाराम खत्री ,दिलीप शर्मा नीलेश शर्मा ,नितिन शर्मा और ठाकराराम चौधरी ने भी विचार रखे ,कार्यक्रम का संचालन ठाकरे राम चौधरी ने किया
बाड़मेर हर साल विश्व में लाखों लोग एक ऐसी बीमारी के शिकार बन मौत के आगोश में समा जाते हैं जिसकी वजह बहुत छोटी सी होती है. एक छोटे से मच्छर की वजह से विश्व में हर साल 2,05,000 मौतें होती हैं. इतनी बढ़ी संख्या में होने वाली मौतों के पीछे अक्सर वजह तो मच्छर होते हैं लेकिन उनके पनपने में हमारा ही हाथ होता है.यह विचार मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुनील कुमार सिंह बिष्ट ने विश्व मलेरिया दिवस पर जयनारायण व्यास फॉर्मेसी कॉलेज में आयोजित विचार गोष्टी में मुख्य वक्ता के रूप में कही ,विचार गोष्ठी का आयोजन चिकित्सा विभाग और कृष्णा संस्था के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया था ,संस्था द्वारा जिले के आठो ब्लॉक में विश्व मलेरिया दिवस पर विभिन कार्यक्रम आयोजित किये गए।
डॉ बिष्ट ने कहा की कभी आस-पड़ोस में जमा गंदे पानी में तो कभी छत पर पड़े घड़े या अन्य बर्तनों में पैदा होने वाले यह मच्छर इंसान का खून चूस दूसरे में इंजेक्ट कर देते हैं जिसकी वजह से मलेरिया हो जाता है.
उन्होंने कहा की मलेरिया एक प्रकार का बुखार है. इसमें बुखार ठण्ड या सर्दी (कंपकपी) के साथ आता है. मलेरिया बुखार के मुख्य लक्षण हैं सरदर्द, उलटी और अचानक तेज सर्दी लगना. मलेरिया मुख्यत: संक्रमित मादा एनोलीज मच्छर द्वारा काटने पर ही होता है. जब संक्रमित मादा एनोलीज मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह अपने लार के साथ उसके रक्त में मलेरिया परजीवियों को पहुंचा देता है. संक्रमित मच्छर के काटने के 10-12 दिनो के बाद उस व्यक्ति में मलेरिया रोग के लक्षण प्रकट हो जाते हैं. मलेरिया के रोगी को काटने पर असंक्रमित मादा एनोलीज मच्छर रोगी के खून के साथ मलेरिया परजीवी को भी चूस लेते हैं व 12-14 दिनों में ये मादा एनोलीज मच्छर भी संक्रमित होकर जितने भी स्वस्थ मनुष्यों को काटते हैं उनमें मलेरिया फैलाने में सक्षम होते हैं. इस तरह एक मादा मच्छर कई स्वस्थ लोगों को बीमार कर सकती है.
विचार गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए संस्था सचिव चन्दन सिंह भाटी ने कहा की मलेरिया बहुत तेजी से स्वस्थ मनुष्यों में फैलता है और इसकी वजह से जान का नुकसान भी होने का आसार रहता है. मच्छर के काटने से फैलने वाली इस बीमारी के स्वरूप और संक्रामकता को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने पाया कि इस बीमारी से निपटने के लिए सरकारी उपायों के साथ-साथ लोगों में मलेरिया के प्रति जागरूकता भी आवश्यक है. इसे ध्यान में रखते हुए डबल्यूएचओ की संस्था वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली की मई 2007 की 60वें सत्र की बैठक में 25 मई को विश्व मलेरिया दिवस मनाने का निर्णय लिया गया.
उन्होंने कहा की वैसे मलेरिया से निपटने के लिए भारत ने बहुत पहले ही उपाय करने शुरु कर दिए थे. भारत सरकार ने वर्ष 1953 में राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण कार्यक्रम (एनएमसीपी) चलाने के साथ ही डीडीटी का छिड़काव शुरू किया, जबकि वर्ल्ड हेल्थ एसेम्बली के अनुरोध पर वर्ष 1958 में राष्ट्रीय मलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम (एनएमईपी) और आगे चलकर मॉडिफाइड प्लान ऑफ ऑपरेशन (एमपीओ) नाम से नई योजना शुरू की गई.
इस अवसर पर कॉलेज प्रबंधक अनिल सुखानी ने कहा की तमाम कोशिशों और उपायों के बाद भी मलेरिया पर नियंत्रण पाना बहुत ही मुश्किल काम साबित हुआ जिसकी वजह थी जन जागरुकता की कमी. आज विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर हमें उन छोटी-छोटी बातों का खास ख्याल रखना चाहिए जिससे मलेरिया के फैलने के आसार होते हैं. सबसे पहले तो अपने आसपास गंदा पानी जमा ना होने दें, बाल्टी या छत पर रखी टंकी की नियमित तौर पर सफाई करनी चाहिए. पानी की सफाई के साथ एक सबसे अहम बात का भी ख्याल रखना चाहिए कि यदि आपको कभी मलेरिया हो या उसके लक्षण दिखें तो घर पर ना बैठें बल्कि अपने खून की जांच कराएं और उचित दवाइयां ले. याद रखें कि मलेरिया का इलाज संभव है बस जरुरत है तो सही समय पर उपचार की.इस अवसर पर आखे दान बारहट ,रमेश सिंह इन्दा ,प्रवीण चौधरी ,राजेंद्र सिंह ,सेवाराम खत्री ,दिलीप शर्मा नीलेश शर्मा ,नितिन शर्मा और ठाकराराम चौधरी ने भी विचार रखे ,कार्यक्रम का संचालन ठाकरे राम चौधरी ने किया
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