वाराणसी
बात बनारस (वाराणसी) के मणिकर्णिका शमशान घाट की है। कहा जाता है कि ये दुनिया का ऐसा शमशान घाट है, जहां चिता की आग कभी ठंडी नहीं होती और यहां चिता पर लेटने वाले को सीधे मोक्ष मिलता है। साथ ही यहां लाशों के आने और चिता के जलने का सिलसिला भी कभी नहीं थमता।
लेकिन यहां कि एक और अजीब लगने वाली बात ये भी है कि यहां साल में एक बार पूरी रात सेक्स वर्कर्स जमकर डांस करती है। शमशान घाट पर चैत्र नवरात्रि अष्टमी को सेक्स वर्कर्स के डांस की ये परंपरा सैकड़ों साल से जारी है।
मौत की खामोशी के बीच दहकती चिताओं के करीब जब जमकर डांस होने लगे तो ये बात किसी भी चौंका सकती है। लेकिन हकीकत राजा मान सिंह के शासनकाल से लगातार जारी है। श्मशान के बगल में मौजूद शिव मंदिर में शहर की तमाम सेक्स वर्कर्स इकट्ठा होती हैं और फिर भगवान के सामने उनसे तेज संगीत के बीच घुंघरु पहने हुए उनके पैर थिरकने लगते हैं।
श्मशान पर जश्न मनाकर सेक्स वर्कर्स खुद को खुदकिस्मत समझती हैं। मान्यता है कि ऐसा करके उन्हें अगले जन्म में सेक्स वर्कर बनने का कलंक नहीं झेलना पड़ेगा और उन्हें मोक्ष मिल जाएगा।
चिता जलने के करीब 364 रातों में से एक रात घुंघरुओं और तेज संगीत के आवाज सुनाई देने की इस परंपरा की शुरूआत का इतिहास भी बड़ा रोचक है। दरअसल, जब राजा मान सिंह ने बाबा मशान नाथ के मंदिर में कार्यकम के लिए उस समय के जाने-माने नर्तकियों और कलाकारों को बुलाया तो सभी ने इसलिए आने से मना कर दिया, क्योंकि ये मंदिर शमशान घाट के नजदीक था।
लेकिन राजा ने डांस के इस कार्यक्रम का ऐलान पूरे शहर में करवा दिया था, लिहाज़ा वो अपनी बात से पीछे नहीं हट सकते थे। इस बीच उस वक्त नगरवधुएं कही जाने वाली उन महिलाओं ने शमशान घाट के नजदीक डांस करने का न्योता स्वीकार कर लिया और फिर ये परंपरा बन गई।
बदलते वक्त के साथ उन नगरवधुओं ने अपने रहन-सहन और अपने काम करने का तरीका बदल लिया। अब तो इस कार्यक्रम के लिए बाकायदा मुंबई से बारगर्ल तक को बुलाया जाता है। यही नहीं, परंपरा किसी भी कीमत पर छूटने ना पाए, इसका भी खास ख्याल रखा जाता है।
इस आयोजन को सफ़ल बनाने के लिए पुलिस और प्रशासन की भी मदद ली जाती है। इस परंपरा को बनारस (वाराणसी) आने वाले कई विदेशी सैलानी भी बहुत उत्साह से देखते हैं।
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