जोधपुर।भारत में सिर्फ गुजरात के कच्छरण और मारवाड़ के मरूस्थल में पाई जाने वाली मरू लोमड़ी का अस्तित्व खतरे में है। वनविभाग की सैन्सस रिपोर्ट की मानें तो पश्चिमी राजस्थान के थार में स्थित डेजर्ट नेशनल पार्क व मारवाड़ के जोधपुर, बाड़मेर, जालोर, जैसलमेर और बीकानेर जिले में भी मरू लोमड़ी की संख्या लगातार कम हुई है।
वष्ाü 2014 की वन्यजीव गणना के अनुसार मरू लोमडियों की संख्या बीकानेर में 28, जोधपुर में 63 तथा बाड़मेर जैसलमेर के 3162 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले डेजर्ट नेशनल पार्क में केवल 238 ही बची है।
वन्यजीव विशेष्ाज्ञ मरू लोमडियों की संख्या में कमी का प्रमुख कारण इनके प्राकृतिक आवास की तबाही होने से प्रजनन स्थल में लगातार कमी और चर्म रोग (सारकॉप्टिक मेंज) बीमारी को मानते हैं।
सूखे कुएं से सुरक्षित निकाला
जोधपुर नागौर रोड स्थित टांकला गांव में 21 अप्रेल को 40 फीट गहरे सूखे कुएं में गिरे लोमडियों के दो बच्चों को जोधपुर वन्यजीव मंडल की रेस्क्यू टीम ने बचा लिया।
ग्रामीणों की सूचना पर रेस्क्यू टीम डॉ. श्रवणसिंह राठौड़ के साथ मौके पर पहुंची और कई दिनों से भूखे प्यासे लोमडियों के बच्चों को बगैर ट्रेन्क्यूलाइज गन से बेहोश किए सुरक्षित निकालने के बाद मौके पर ही ग्लूकोज चढ़ाया गया। उम्मेद उद्यान स्थित रेस्क्यू सेंटर में दोनों बच्चों को जीवन रक्षक दवाइयों के साथ उनके पसंदीदा भोजन देने के बाद उनकी स्थिति में तेजी से सुधार हुआ हैं।
कमी का प्रमुख कारण
मरू लोमडियों की संख्या में कमी का कारण प्राकृतवास की तबाही, सड़क सम्पर्क में बढ़ोतरी और चर्म रोग (सारकॉप्टिक मेंज) बीमारी का तेजी से फैलना है। यह बीमारी कुत्तों के सम्पर्क में आने से फैलती है और ऊंटों व भ्ौंसों में भी यह बीमारी पाई जाती है। इस बीमारी से जानवर के बाल झड़ते हैं और कमजोर होकर मौत हो जाती है। इसके लिए टीकाकरण एवं जन जागरूकता अभियान की आवश्यकता है। डॉ. सुमित डूकिया, वन्यजीव विशेष्ाज्ञ
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