रेत के समन्दर में गरजी तोपें, उड़ा धूल का गुब्बार
बीकानेर चारों तरफ रेत का अथाह समन्दर, मामूली हवा से उड़ता धूल का गुब्बार। ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी भारतीय सेना के लड़ाकों का लक्ष्य सिर्फ एक रेगिस्तान के जंगल में छिपकर कब्जा जमाए बैठे दुश्मनों का सफाया।
हाथों में हथियार व निगाहें लक्ष्य पर। मन में दृढ़ संकल्प और आखिरी क्षण तक संघर्ष का जज्बा। इस चुनौती को नाम दिया गया 'ऑपरेशन ब्रह्मशीराÓ सेना के उच्चाधिकारियों द्वारा 'मूवÓ कहने के साथ ही दनादन फायरिंग शुरू।
धोरों की धरती बम धमाकों से धूजने लगी और चन्द मिनटों में ही दुश्मन को नेस्तनाबूद कर टारगेट पर सेना का कब्जा।
कुछ ऐसा ही माहौल मंगलवार को बीकानेर जिले के महाजन में 20 हजार सैनिकों ने अपना शौर्य इस क्षेत्र में नजर आया।
युद्धाभ्यास ब्रह्मशीरा सेना की खर्गा कोर द्वारा पश्चिमी सीमा के पास रेगिस्तानी भू-भाग में आयोजित किया गया। बीस हजार से भी अधिक सैनिकों और खर्गा कोर के एकीकृत योद्धाओं ने पश्चिमी कमान के तत्वावधान में इस अभ्यास में भाग लिया।
रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेट कर्नल मनीष ओझा ने बताया कि अभ्यास का ध्येय पूर्ण ताल मेल के साथ एक युद्ध लडऩे के लिए नए और कुशल तरीके पर केन्द्रित था।
सैन्य अभ्यास के दौरान रणनीतिक और ऑपरेशनल अवधारणाओं को सफलतापूर्वक जांचा गया। अभ्यास के दौरान कोर ने दिन और रात दोनों स्थितियों में तेजी से युद्ध संचालन किया।
इस युद्धाभ्यास की विशेषता वायुसेना के साथ तीव्र घातक ऑपरेशन था। एक नेटवर्क वातावरण में ऑपरेशन एवं लॉजिस्टिक की मान्यताओं को भी परखा गया।
युद्धाभ्यास में भाग लेने वाली इकाइयां और फॉर्मेशन एक यथार्थवादी युद्ध के मैदान के माहौल की तरह ही दुश्मन का सफाया करने के लिए आगे बढ़े।
अभ्यास के दौरान आदेश, लड़ाई का निर्णय लेने और सूचना युद्ध के सभी तत्व सक्रिय थे। पश्चिमी कमान के जीओसी-इन-सी लेफ्टिनेट जनरल के. जे. सिंह ने यह अभ्यास देखा।
खर्गा कोर के जीओसी लेफ्टिनेट जनरल अमरजीत सिंह ने उन्हें युद्धाभ्यास की तैयारियों के बारे में जानकारी दी। आर्मी कमाण्डर ने वायुसेना के हैलीबॉर्न और एअरबॉर्न बलों की गतिविधियों सहित एकीकृत युद्धाभ्यास की समीक्षा की।
सेना कमाण्डर ने उच्च प्रशिक्षण मानकों और सैनिकों के हौंसलों की सराहना करते हुए असाधारण प्रदर्शन के लिए जवानों को बधाई दी।
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