रविवार, 22 मार्च 2015

पारंपरिक अंदाज में निकली गणगौर यात्रा, हजारों की संख्या में दिखे विदेशी



जयपुर। पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन, महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय संग्रहालय ट्रस्ट और नगर निगम की ओर से दो दिवसीय गणगौर की पारंपरिक सवारी अपनी शाही धूमधाम और शान के साथ रविवार शाम 5.30 बजे त्रिपोलिया गेट, सिटी पैलेस से शुरु होकर चौडा़ रास्ता, नेहरू बाजार, किशनपोल बाजार, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार से होते हुए तालकटोरा पहुंची। यात्रा में जहां एक ओर राजस्थानी से लेकर विदेशी पर्यटकों की भारी संख्या में भीड़ उमड़ी। त्रिपोलिया गेट से निकलने वाली गणगौर की सवारी के जुलूस का दीदार करने वालों की संख्या हिंद होटल से लेकर सड़कों और शहर में बने मकानों की छतों पर भी देखने को मिली।


पारम्परिक सवारी को देखकर लगा कि राजस्थान में भले ही भारतीय त्यौहारों और मेलों में बड़ा बदलाव आया हैं, लेकिन गणगौर की सवारी का आकर्षण आनंद आज भी उसी तरह मनाया जाता है जैसा कि राजा महाराजाओं के समय देखने को मिलता था। यही वजह है कि पिंकसिटी के हर तीज त्योहरों को देखने के लिए विदेशी पर्यटकों की भारी संख्या में भीड़ दिखाई देती है।




पारम्परिक जुलूस में जहां एक ओर हाथी का हाथी का गणगौर मां की सवारी को सलामी देना दिलचस्प पहलू था तो दूसरी और राज्य की पारंपरिक नृत्य शैली और फोक म्यूिजक था, इन प्रस्तुतियों में कच्ची घोड़ी, कालबेलिया, बहरूपिया, अलगोजा, गैर, और चकरी डांस का मनोरंजक डांस देखने को मिला। इतना ही नहीं जुलूस को आकर्षक अंदाज में ढालने के लिए तोप गाड़ी, सुसज्जित रथ, घोड़े और श्रृंगार से सुसज्जित ऊंट और ट्रैडिशनल बैंड की परोफोर्मेंस का नजारा दिखा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें