केन्द्र सरकार के साथ तल्ख रिश्तों के चलते पद से हटाए जाने की अटकलों के बीच सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाले मिजोरम के राज्यपाल अजीज कुरैशी को उनके पद से हटा दिया गया है. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी को अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है.
राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, 'कुरैशी के मिजोरम के राज्यपाल का पद संभालने पर रोक लगाई जाती है. पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी को नियमित व्यवस्था होने तक अपनी जिम्मेदारियों के साथ ही मिजोरम के राज्यपाल का कामकाज भी संभालने को कहा गया है.'
कुरैशी का कार्यकाल मई 2017 तक था. कमला बेनीवाल के बाद कुरैशी दूसरे राज्यपाल हैं, जिन्हें नरेन्द्र मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद उनके पद से हटाया गया है. उन्हें कुछ ही महीने पहले मिजोरम का राज्यपाल बनाया गया था.
कुरैशी, उन राज्यपालों में शामिल थे, जिन्हें पिछली यूपीए सरकार ने नियुक्त किया था. तत्कालीन गृह सचिव अनिल गोस्वामी ने उनसे सरकार बदलने के बाद पद छोड़ने को कहा तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उस समय वह उत्तराखंड के राज्यपाल थे.
अपनी याचिका में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुरैशी ने दावा किया था कि एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद गोस्वामी ने 30 जुलाई को उन्हें फोन किया और इस्तीफा देने को कहा और यह भी कहा कि अगर वह पद नहीं छोड़ेंगे तो उन्हें हटा दिया जाएगा. कुरैशी ने आरोप लगाया था कि गोस्वामी ने 8 अगस्त को उन्हें दोबारा फोन किया और उनसे इस्तीफा देने को कहा.
इससे पहले नई सरकार के सत्ता संभालने के बाद पिछली सरकार द्वारा नियुक्त कई राज्यपालों को हटाया गया. इनमे 87 साल की कमला बेनीवाल शामिल हैं, जो पहले गुजरात की राज्यपाल रही थी. नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर रहते दोनों के रिश्ते अच्छे नहीं थे.वहीं, पूर्व कांग्रेस नेता वीरेन्द्र कटारिया को पुडुचेरी के उपराज्यपाल पद से हटा दिया गया था.
एम के नारायणन (पश्चिम बंगाल), अश्विनी कुमार (नगालैंड), बी एल जोशी (उत्तर प्रदेश), शेखर दत्त (छत्तीसगढ़) और बी वी वांछू (गोवा) ने केन्द्रीय गृह सचिव का फोन आने के बाद अपना इस्तीफा दिया.
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