जोधपुर केसरिया बालम आवोनी पधारो म्हारे देस रे...। मद्रास के अय्यर परिवार से ताल्लुक रखने वाले गायक से राजस्थान की प्रसिद्ध मांड़ प्रस्तुत करने का कथन करते हुए पाश्र्व गायक ए हरिहरन ने राजस्थान की मिट्टी की सुगन्ध घोलते हुए सूर्यनगरी के श्रोताओं का दिल जीता।
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के तत्वावधान में शुक्रवार को जनाना पार्क में आयोजित गजल गायन कार्यक्रम की शुरुआत हरिहरन ने काश एेसा कोई मंजर होता, मेरे कांधे पे तेरा सर होता की प्रस्तुति दी।
इसके बाद उन्होंने अपने एलबम हाजिर-2 की बेख्याली में चलन उसका बताया, उसको वो मिला तो मैं पहचान नहीं पाया से अपनी मखमली आवाज का सिलसिला शुरु किया। जिसमें उन्होंने उस चेहरे पे आफताब कहां है इस इलाके में घर जनाब का है, अमीर खुसरो का रूठ गई मोरे बांके सांवरिया, मरीजे ईश्क का क्या है जीया जीया ना जीया, गालिब की रंजिश ही सही दिल दुखाने के लिए सहित विभिन्न गजलें प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीता।
इसी कड़ी में मोहे अपने रंग में रंग दे को शास्त्रीय संगीत की विभिन्न अलापों व तालों के साथ प्रस्तुत किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत में अकादमी सचिव छगनलाल श्रीमाली व अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट अरुणकुमार हसीजा ने हरिहरन को पुष्प गुच्छ भेंट कर उनका स्वागत किया। हरिहरन के साथ हारमोनियम पर अखलाब हुसैन पारसी, तबले पर शादाब रोशन भारतीय, गिटार पर संजय दास तथा सारंगी पर दिलशान खान ने संगत की। कार्यक्रम संचालन प्रमोद सिंघल ने किया।
फिल्मी नगमों के साथ समाप्ति
श्रोताओं की फरमाइश पर हरिहरन शामें-गजल की समाप्ति फिल्मी गीतों रोजा जानेमन, तु ही रे तथा यादें फिल्म के गीत शिकवे हैं नगमे हैं यादे हैं से की।
बीच में रुके
कार्यक्रम प्रस्तुति के दौरान जनाना पार्क के पास की मजिस्द से अजान की आवाज आने पर हरिहरन गाते हुए बीच में रुके और अजान की समाप्ति पर गायन शुरु किया।
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