जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता मसरत आलम की रिहाई के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि इस तरह की गतिविधि भारत सरकार को जानकारी दिए बिना हो रही हैं और देश की एकता अखंडता के लिए जो भी जरूरी होगा उनकी सरकार करेगी। मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली राज्य की पीडीपी-भाजपा गठबंधन सरकार के मसरत की रिहाई के फैसले पर लोकसभा में आज विपक्ष द्वारा प्रकट किए गए भारी आक्रोश पर प्रधानमंत्री ने सदन में कहा, सरकार बनने के बाद वहां जो कुछ भी गतिविधियां हो रही हैं, वे न तो भारत सरकार से मशविरा करके हो रही हैं और न भारत सरकार को जानकारी देकर हो रही हैं।
मोदी ने कहा, सदन में और देश में जो आक्रोश है, उस आक्रोश में मैं भी अपना स्वर मिलाता हूं। यह देश अलगाववाद के मुद्दे पर दलबंदी के आधार पर न पहले कभी सोचता था, न अब सोचता है और न आगे कभी सोचेगा। प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर विपक्ष के हंगामे पर कहा, समय आने पर अवश्य राजनीतिक टिप्पणियां करें, बीजेपी वहां सरकार में हिस्सेदार है, आप उसकी भरपूर आलोचना करें, होनी भी चाहिए लेकिन ऐसा करते समय देश की एकता के संबंध में यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि हमारे भिन्न स्वर हैं। ऐसा संदेश न देश में, न दुनिया में और न कश्मीर में जाना चाहिए।
इस मुद्दे पर विपक्ष द्वारा हंगामा किए जाने पर उन्होंने कहा, यह पूछा जा रहा है कि मोदी जी चुप क्यों हैं, ऐसा कोई कारण नहीं है कि हमें इस मुद्दे पर चुप रहना पड़े, हम वो लोग हैं जिन्होंने इन आदर्शों के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान दिया है, इसलिए कृपया करके हमें देशभक्ति न सिखाएं।
मसरत की रिहाई के मसले पर राष्ट्रीय हितों से समझौता करने के विपक्ष के आरोपों के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, सरकार ऐसी किसी भी हरकत को स्वीकार नहीं करती है। देश की एकता अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। संविधान की मर्यादा में कदम उठाए जाते रहे हैं और आगे भी उठाए जाते रहेंगे। इस मसले पर जम्मू कश्मीर सरकार से स्पष्टीकरण मांगे जाने की बात कहते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, कुछ बातों का स्पष्टीकरण मांगा है। गृह मंत्री ने भी इसकी जानकारी दी है। स्पष्टीकरण आने के बाद जरूरी हुआ तो उनके बारे में भी सदन को जानकारी दी जाएगी।
विपक्षी सदस्यों की टोकाटोकी के बीच मोदी ने कहा, यह आक्रोश किसी दल का नहीं देश का है। यह आक्रोश इस बैंच या उस बैंच का नहीं बल्कि पूरे सदन का है। उन्होंने सदन को आश्वस्त किया कि अलगाववादी ताकतों, उनका समर्थन करने वालों और कानून का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ और देश की एकता अखंडता के लिए जो भी आवश्यक कदम होंगे, सरकार उठाएगी।
इससे पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में राज्य सरकार के गृह विभाग से मिली रिपोर्ट को सदन के साथ साक्षा करते हुए कहा कि सरकार जन सुरक्षा पर किसी सूरत में समझौता नहीं करेगी। सिंह ने कहा, केंद्र सरकार ने इस पूरे मामले को गंभीरतापूर्वक लिया है। राज्य सरकार से पूरा स्पष्टीकरण मांगा गया है। स्पष्टीकरण मिलने के बाद यदि जरूरत हुई तो कठोर से कठोर परामर्श जारी किया जाएगा।
इससे पहले आज सदन की कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष ने इस मुद्दे पर भारी हंगामा किया और प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग की। हंगामे के चलते सदन की कार्यवाही करीब 15 मिनट के लिए स्थगित भी हुई।
गृह मंत्री ने राज्य सरकार से मिली जानकारी के आधार पर बताया कि मसरत ने 2010 में घाटी में हुए उग्र प्रदर्शनों में मुख्य भूमिका निभाई थी। 1995 से लेकर अब तक उस पर 27 मामले दर्ज किए गए जिनमें देशद्रोह, हत्या का प्रयास और साजिश रचने के मामले हैं। उन्होंने बताया कि उसे अदालत से 27 मामलों में जमानत मिल चुकी है। उसे फरवरी 2010 से अब तक आठ बार हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के गृह विभाग से मिली रिपोर्ट से केंद्र अभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं है तथा इस संबंध में और स्पष्टीकरण मांगे गए हैं।
गृह मंत्री और प्रधानमंत्री के बयानों से असंतोष जाहिर करते हुए कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी सदस्य सदन से वाकआउट कर गए। इससे पूर्व आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही जम्मू कश्मीर की पीडीपी म् भाजपा गठबंधन सरकार द्वारा अलगावादी नेता मसरत आलम की रिहाई के मुद्दे पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा, राजद, जदयू और वामदलों के सदस्यों ने प्रधानमंत्री के बयान की मांग करते हुए भारी हंगामा किया जिसके कारण लोकसभा की बैठक करीब सवा 11 बजे 15 मिनट के लिए स्थगित करनी पड़ी।
आसन के समक्ष सदस्यों की नारेबाजी के बीच संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा, यह बेहद गंभीर मामला है। और पूरे देश से संबद्ध है। यह किसी एक पार्टी से जुड़ा मामला नहीं है। इस मुद्दे पर कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, दीपेन्द्र सिंह हुड्डा और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया था। खड़गे ने कहा कि एक राष्ट्रविरोधी आतंकवादी को जेल से रिहा करना बेहद गंभीर मामला है। देश यह जानना चाहता है कि क्या मसरत की रिहाई पर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के बीच कोई अंदरूनी चर्चा हुई है।
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