बालोतरा। गांव की गलियों में आ गया काला पानी..,ग्रामीण गाँव से पलायन करने पर मजबूर
रिपोर्ट :- ओमप्रकाश सोनी / बालोतरा
बालोतरा। काले पानी का दंश झेल रहे इस गांव के निवसियों का रंग भी काला हो गया है। इस गांव की हालत पर दया कोई दया नहीं कर रहा है। दरअलस ये कहानी है बाड़मेर जिले की एक गांव की, जो तीन सालों से काले पानी का दंश भुगत रहा है।जोधपुर शहर से आने वाले काले पानी से जिले की सीमा पर बसा डोली गांव घिरा हुआ नज़र आ रहा है। ये ग्रामीण इस समस्या के कारण गांव छोड़ने पर मजबूर हो रहे है, लेकिन सरकारी कारिंदें इस गांव की ओर कोई ध्यान ही नहीं दे रहे हैं।
दरअसल जोधपुर की औद्योगिक इकाईयों व सीवरेज से निकलने वाले प्रदूषित पानी जोजरी नदी से बहता हुआ डोली तक पहुंच कर चारों ओर फ़ैल जाता है। इस प्रदूषित पानी से गांव के तालाब, कुएं दूषित हो चुके है। इतना ही नहीं बल्कि खेत भी बंजर होते जा रहे है।बरसात के दिनों में हालत और भी खराब हो जाती है। गांव के चारों ओर गलियो में प्रदूषित पानी से मच्छर पनप रहे है। जो कई बीमारियों को न्योता दे रहे हैं।तीन साल से चली आ रही इस समस्या को लेकर दोनों जिलों का प्रशासन इसका स्थाई समाधान नहीं कर पाया है। अब ग्रामीण इस समस्या का समाधान नहीं निकलता देख आंदोलन का मन बना चुके है।
रिपोर्ट :- ओमप्रकाश सोनी / बालोतरा
बालोतरा। काले पानी का दंश झेल रहे इस गांव के निवसियों का रंग भी काला हो गया है। इस गांव की हालत पर दया कोई दया नहीं कर रहा है। दरअलस ये कहानी है बाड़मेर जिले की एक गांव की, जो तीन सालों से काले पानी का दंश भुगत रहा है।जोधपुर शहर से आने वाले काले पानी से जिले की सीमा पर बसा डोली गांव घिरा हुआ नज़र आ रहा है। ये ग्रामीण इस समस्या के कारण गांव छोड़ने पर मजबूर हो रहे है, लेकिन सरकारी कारिंदें इस गांव की ओर कोई ध्यान ही नहीं दे रहे हैं।
दरअसल जोधपुर की औद्योगिक इकाईयों व सीवरेज से निकलने वाले प्रदूषित पानी जोजरी नदी से बहता हुआ डोली तक पहुंच कर चारों ओर फ़ैल जाता है। इस प्रदूषित पानी से गांव के तालाब, कुएं दूषित हो चुके है। इतना ही नहीं बल्कि खेत भी बंजर होते जा रहे है।बरसात के दिनों में हालत और भी खराब हो जाती है। गांव के चारों ओर गलियो में प्रदूषित पानी से मच्छर पनप रहे है। जो कई बीमारियों को न्योता दे रहे हैं।तीन साल से चली आ रही इस समस्या को लेकर दोनों जिलों का प्रशासन इसका स्थाई समाधान नहीं कर पाया है। अब ग्रामीण इस समस्या का समाधान नहीं निकलता देख आंदोलन का मन बना चुके है।
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