राजस्थान उच्च न्यायालय ने उपभोक्ता संरक्षण राज्य आयोग व राजस्थान सिविल सेवा अपील अधिकरण की स्थाई पीठ जोधपुर में नहीं होने के कारण राज्य सरकार, खाद्य-आपूर्ति सचिव व आयोग रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
यह आदेश वरिष्ठ न्यायाधीश गोपालकृष्ण व्यास व एएस ग्रेवाल की खण्डपीठ ने आयोग व अधिकरण की स्थाई पीठ की मांग पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिए।
याचिकाकर्ता राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन अध्यक्ष रणजीत जोशी की ओर से अधिवक्ता अनिल भण्डारी व सुनिल भण्डारी ने बताया कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 इस उद्देश्य से बनाया गया कि उपभोक्ताओं को तत्काल राहत प्रदान की जा सके। जबकि पीडि़तों को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
आयोग के अध्यक्ष का पद गत अगस्त माह से तथा न्यायिक सदस्य का भी एक पद रिक्त है।
1250 प्रकरण लंबित
न्यायालय को बताया गया कि राज्य सरकार ने 1 जून 2005 को आदेश जारी कर जोधपुर में राज्य आयोग की चलपीठ गठित की, जिसमें निर्देश दिया गया था कि चलपीठ जोधपुर के अलावा बाड़मेर, जैसलमेर, पाली, सिरोही व जालोर जिलों से संबंधित प्रकरणों की प्रत्येक माह के दूसरे सप्ताह में 5 दिन सुनवाई करेगी। जबकि चलपीठ ने जोधपुर में कभी भी 3 दिन से अधिक सुनवाई नहीं की।
अधिनियम की धारा 13 के तहत प्रकरण का निस्तारण 3 से 5 माह में हो जाना चाहिए। हालत यह है कि वर्ष 2007 से फरवरी 2015 तक जोधपुर में 1250 प्रकरण लंबित हैं।
अधिवक्ताओं ने कहा कि राजस्थान सिविल सेवा अधिकरण की चलपीठ जोधपुर में अनियमित होने से हजारों प्रकरण कई वर्षों से लंबित पड़े हैं।
इस पर खण्डपीठ ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा कि जोधपुर में आयोग व अधिकरण की स्थाई पीठ क्यों नहीं घोषित की जाए।
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