बुधवार, 4 मार्च 2015

तारानगर एक साथ उठी मां,बेटे और बहू की अर्थियां



तारानगर

कस्बे के वार्ड 25 में होली के त्योंहार से पहले मंगलवार शाम एक ही घर से तीन अर्थियां उठती देख आस-पास के लोगों की आंखे गम से नम हो गई।



सोमवार सुबह चौमंू (जयपुर)के निकट ट्रौले एवं कार की भिड़ंत में कस्बे के सरावगी मौहल्ले के एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत का समाचार सुन न केवल मौहल्ले में बल्कि समूचे तारानगर में शोक की लहर छा गई। कस्बे का मुख्य बाजार बंद रहा।




10 वर्षो से जयपुर में था

मूल रूप से तारानगर के सरावगी मौहल्ले का निवासी राकेश मित्तल (32) गत 10 वर्षो से मां मुन्नी देवी(57) पत्नी प्रिंसी (27) पुत्र ध्रुव(4) एवं छोटे भाई दीपक कुमार के साथ दादी का फाटक,जयपुर में स्वयं के मकान में रहते हुए शेयर मार्केट का काम करता था।




परिवार में था सबसे बड़ा

तीन वर्ष पहले राकेश का पिता का देहांत हो चुका है। पांच भाई बहनों में राकेश सबसे बड़ा था। उसके तीन छोटी शादीशुदा बहने एवं अविवाहित छोटा भाई दीपक (25) है। राकेश के दो चाचाओं में एक राजकुमार तारानगर में तथा दूसरा बृजलाल परिवार के साथ नेपाल रहता है।




घर में मचा कोहराम

मां, बेटे एवं बहू तीनों के शव लेकर शाम 4.30 बजे एम्बुलेंस तारानगर के वार्ड 25 में पहुंची तो शवों को देख परिजन एवं रिश्तेदारों में कोहराम मच गया।महिलाएं दहाड़े मारकर रोने लगी। आस-पास के लोगों ने ढाढ़स बंधाया कर परिवारजनों को शांत किया।




खाटूृश्यामजी से लौट रहे थे जयपुर

राकेश सोमवार को मंा, पत्नी, बेटे व भाई के साथ साथ खाटूश्यामजी मंदिर में धोक लगाकर कार से जयपुर लौट रहा था। मंगलवार सुबह चौमू के निकट ट्रोले एवं कार की टक्कर में राकेश, उसकी मां व पत् नी की मौत हो। भाई दीपक गंभीर घायल हो गया जबकि चार वर्षीय पुत्र को मामूली चोट आई।




मंगलवार शाम निकली मित्तल परिवार के तीन सदस्यों की शव यात्रा में भाजपा नेता रामसिंह कस्वां, नगरपालिका अध्यक्ष जसवंत स्वामी, उपाध्यक्ष राकेश जांगिड़, भाजपा नगर अध्यक्ष सुशील सरावगी सहित कस्बे के अनेक लोग शामिल हुए।







मासूम ध्रुव ने पिता से मांगी थी नई पिचकारी

चार साल का मासूम धु्रव। अभी पिछले वर्ष से ही तो स्कूल जाने लगा है। होली पर नई पिचकारी व रंग लाने की जिद कर रहा था।




मां से नए कपड़े की मांग की थी तो पिता से नई पिचकारी की। लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था।अब ना मां रही ना पिता।




दादी भी साथ चल बसी। अकेला रह गया ध्रुव।कोई उसे दिलासा दे रहा था, मां व पिता आने वाले हैं तो कोई गोद में लेकर दुलार रहा था।




भले ही उसे कोई हकीकत नहीं बता रहा हो,लेकिन मासूम निगाहें आज बड़ी हो गई थी। शाम को सबकुछ समझकर वह भी गुमसुम हो गया।




ना रोटी खाई ना टॉफी। दूध को भी मुंह नहीं लगाया। धु्रव जब मम्मी कहकर आंसू बहाने लगा तो बड़ों के नयन भी छलक उठे।

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