राजस्थान हाईकोर्ट ने अहम फैसले में होमगार्ड के रूप में कार्य करने वाले याचिकाकर्ताओं को पुलिस कांस्टेबल के समान वेतन-भत्ता देने के आदेश दिए हैं।
ईश्वरसिंह व अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर दायर पांच याचिकाओं का निस्तारण कर न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने यह आदेश दिया। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि होमगार्ड जवान कई वर्षो से पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।
वर्तमान में इनको मजदूर से भी कम मानदेय मात्र 320 रूपए दिए जाते हैं। पूरे वर्ष में मात्र 4 या 5 माह नौकरी पर रखा जाता है। इससे परिवार का लालन-पालन संभव नहीं है। होमगार्ड में रहते हुए इनके सामने रोजी-रोटी का भी संकट है। होमगार्ड में रहते ये अन्य काम भी नहीं कर सकते।
सरकार का तर्क
होमगार्ड को साल में कभी-कभी डयूटी पर बुलाया जाता है। ये सरकार के नियमित कर्मचारी नहीं हैं। डयूटी देने पर इन्हें 320 रूपए मानदेय दिए जाते हैं। इन्हें प्रतिमाह नियमित डयूटी पर नहीं रखा जाता है। होमगार्ड से मात्र आपात स्थिति में ही डयूटी ली जाती है।
कानूनी बिन्दु
होमगार्ड जवानों को होमगार्ड मुख्यालय की रोटेशन पॉलिसी के तहत ड्यूटी का आवंटन किया जाता है। यह उनका शोषण है। मानवाधिकार आयोग मध्यप्रदेश की रिपोर्ट में इसे असंवैधानिक बताया है। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने भी इस प्रकिया को खत्म कर होमगार्ड को वर्षभर नियमित ड्यूटी देने के आदेश दिए। इसे उच्चतम न्यायालय ने भी सही माना।
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