45 बार हुआ दसवीं में फेल, आज भी कर रहा है परीक्षा की तैयारी, उम्र 72 साल
बहरोड़। उम्र 72 साल, न आशियाना है न सर पर साया है, जूनून है दसवीं पास करने का, बस दो जून की रोटी मंदिर के कोने में खाकर 72 साल गुजार दिए, लेकिन आज भी 45 बार दसवीं में फेल होने के बाद खाई कसम पर कायाम है शिवचरण यादव।
दरअसल कहानी फिल्म की स्क्रप्ट की तरह है, लेकिन ये फिल्माई गई कहानी नहीं है। ये सच्चाई है बहरोड़ के खोहरी गांव के 72 वर्षीय बुजुर्ग शिमचरण यादव की। आज भी यह बुजुर्ग जवानी जैसे जूनून में मग्न है और जुटा हुआ है दसवीं परीक्षा की तैयारी में।
उम्र के तकाज़े के अनुसार शिवचरण की आंख और कान भी अब कुछ खाश साथ नहीं निभा पाते। आंखों से टपकता पानी और कानों से कम सुनता शिवचरण सफलता की चाबी के पीछे दौड़ रहा है। इस अजुबे के हाथ भी थर-थर झूमते हैं, लेकिन फिर भी गांव में बने हनुमानजी के मंदिर के कोने में हाथों में किताब थामे परीक्षा की तैयारी करता रहता है।
शिवचरण ने वर्षों पहले दसवीं कक्षा पास करने के बाद शादी करने की कसम खाई थी, लेकिन यह कसम उसकी आज तक पूरी नहीं हुई। शिवचरण के परिजनों ने शादी कराने के बेहद प्रयास किए, लेकिन वह अपनी जिद पर अमादा रहा। इस तरह उम्र बढ़ती चली गई और शादी की ख्वाहीशें उम्र के ढेर के तले दबती चली गई। फिर भी दसवीं पास करने का जूनून बरकरार है।
परीक्षार्थियों के लिए अचंभा है शिवचरण
शिवचरण का परीक्षा केंद्र पिछले दो साल से बहरोड़ स्थित राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल रहा है। दूर-दराज से आए परीक्षार्थी भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं। वह हमेशा परीक्षा देने के लिए समय से पहले परीक्षा केंद्र पर पहुँच जाता है। शिवचरण का मानना है कि प्रयास में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। कभी तो सफलता मिलेगी।
बहरोड़। उम्र 72 साल, न आशियाना है न सर पर साया है, जूनून है दसवीं पास करने का, बस दो जून की रोटी मंदिर के कोने में खाकर 72 साल गुजार दिए, लेकिन आज भी 45 बार दसवीं में फेल होने के बाद खाई कसम पर कायाम है शिवचरण यादव।
दरअसल कहानी फिल्म की स्क्रप्ट की तरह है, लेकिन ये फिल्माई गई कहानी नहीं है। ये सच्चाई है बहरोड़ के खोहरी गांव के 72 वर्षीय बुजुर्ग शिमचरण यादव की। आज भी यह बुजुर्ग जवानी जैसे जूनून में मग्न है और जुटा हुआ है दसवीं परीक्षा की तैयारी में।
उम्र के तकाज़े के अनुसार शिवचरण की आंख और कान भी अब कुछ खाश साथ नहीं निभा पाते। आंखों से टपकता पानी और कानों से कम सुनता शिवचरण सफलता की चाबी के पीछे दौड़ रहा है। इस अजुबे के हाथ भी थर-थर झूमते हैं, लेकिन फिर भी गांव में बने हनुमानजी के मंदिर के कोने में हाथों में किताब थामे परीक्षा की तैयारी करता रहता है।
शिवचरण ने वर्षों पहले दसवीं कक्षा पास करने के बाद शादी करने की कसम खाई थी, लेकिन यह कसम उसकी आज तक पूरी नहीं हुई। शिवचरण के परिजनों ने शादी कराने के बेहद प्रयास किए, लेकिन वह अपनी जिद पर अमादा रहा। इस तरह उम्र बढ़ती चली गई और शादी की ख्वाहीशें उम्र के ढेर के तले दबती चली गई। फिर भी दसवीं पास करने का जूनून बरकरार है।
परीक्षार्थियों के लिए अचंभा है शिवचरण
शिवचरण का परीक्षा केंद्र पिछले दो साल से बहरोड़ स्थित राजकीय सीनियर सैकंडरी स्कूल रहा है। दूर-दराज से आए परीक्षार्थी भी आश्चर्यचकित रह जाते हैं। वह हमेशा परीक्षा देने के लिए समय से पहले परीक्षा केंद्र पर पहुँच जाता है। शिवचरण का मानना है कि प्रयास में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। कभी तो सफलता मिलेगी।
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