नयी दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज रेडियो के जरिये एक बार फिर मन की बात कही. मोदी इस बार बोर्ड और प्रतियोगी परीक्षाओं के छात्रों से मुखातिब थे. उन्होंने कहा, मैं आज मैं जिस विषय पर बात करना चाहता हूं इस विषय पर मां बाप चाहते हैं कि मैं वो बातें करूं जो वो चाहते हैं और इसी तरह शिक्षक और छात्र भी चाहते हैं. लेकिन मैं यहां उपदेश देने नहीं आया हूं
प्रधानमंत्री ने मन की बात में अपने छात्र जीवन को याद करते हुए कहा, मैं एक औसत छात्र था. मेरी लिखावट भी साफ नहीं थी. मैं कभी अव्वल नहीं आया. मैं आपको यह बताने नहीं आया हूं कि कैसे ज्यादा नंबर आयेंगे. कैसे सफलता मिलेगी. मैं यहां हल्की फुल्की बातें करने आया हूं प्रधानमंत्री ने कहा, हमारी पूरी शक्ति प्रतिस्पर्धा में खप जाती है. स्वंय के विकास के लिए प्रतिस्पर्धा इतनी प्रेरणा नहीं देती. अगर प्रतिस्पर्धा करनी है तो खुद से कीजिए, कोशिश कीजिए की बीते हुए कल से आज अच्छा हो.
मोदी ने कहा, इच्छाएं स्थिर होनी चाहिए. परीक्षा क्षमता प्रदर्शन के लिए नहीं, खुद की क्षमता पहचाने के लिए है जब आप यह मंत्र पकड़ लेंगे, आपके भीतर का विश्वास बढ़ता चला जाएगा. मोदी ने एथलिट सर्गेई बूबका का उदाहण देते हुए कहा, हम लोग बड़े गर्व के साथ एथलिट सर्गेई बूबका का स्मरण करते हैं, जिन्होंने 35 बार खुद का ही रिकॉर्ड तोडा था. इससे पता चलता है प्रतिस्पर्दा हमेंशा अपनेआप से होती है. लोगों को लगता है कि परीक्षा अच्छी नहीं गयी तो पूरी दुनिया डूब जाएगी, दुनिया ऐसी नहीं है और इसीलिए कभी इतना तनाव मत पालिए.
प्रधानमंत्री ने कहा, इच्छा + स्थिरता = संकल्प, संकल्प + पुरुषार्थ = सिद्धि होती है. मोदी ने यहां उन विद्यार्थियों की चर्चा की जो परीक्षा के बोझ में दब जाते हैं. अगर हमारे जीवन में पहली बार परीक्षा दे रहे हो थोड़ा चिड़चिड़ापन आ जाता है. प्रधानमंत्री ने छात्रों को सलाह दी कि अगर आपकी कोई बहन है, तो उसे देखिये मां को घर के काम में मदद भी करती है और परीक्षा में अच्छे नंबर भी लाती है. कारण बाहरी नहीं होता भीतरी होता है. आत्मविश्वास बेहद जरूरी है. अंधविश्वास में हम बाहरी कारण ढुढ़ते हैं. जो जिंदगी की परीक्षा से लड़ता है उसके लिए क्लास की परीक्षा कोई मायने नहीं रखता. आपने भी बहुत सारा काम किया होगा जो आपके नजर में अच्छा होगा. कभी- कभी हम बहुत दूर का सोचते हैं.
परीक्षा के समय वर्तमान में जीना अच्छा होता है. क्या कोई बल्लेबाज यह सोचता है कि पिछली बार कितने में आउट हुआ. सीरिज जीतूंगा इन सब बातों पर विचार नहीं करता वह सिर्फ एक बॉल जो उसे खेलना है उसकी सोचता है. सफल जीवन का एक ही मंत्र है वर्तमान में जीना सीखिये. परीक्षा को चुनौती के रूप में नहीं अवसर के रूप में लीजिए.
मोदी ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए विद्यार्थियों के साथ साथ माता- पिता और शिक्षकों से भी सुझाव मांगे थे.प्रधानमंत्री गत वर्ष अक्टूबर से ही हर महीने रेडियो के जरिये देशवासियों से जु़ड़ते हैं. अमूमन इस कार्यक्रम का प्रसारण रविवार सुबह 11 बजे होता है, लेकिन 22 फरवरी को विश्वकप में भारत-दक्षिण अफ्रीका मैच होने के कारण इसका समय बदलकर रात आठ बजे किया गया है. मोदी यह अच्छी तरह जानते हैं कि किस तरह युवाओं का मन जीता जाए इसलिए उन्होंने मैच के बाद छात्रों को संबोधित करने का मन बनाया. रेडियो के अलावा 'मन की बात' का प्रसारण डीडी नेशनल, डीडी न्यूज, डीडी भारती व डीडी इंडिया पर भी हुआ.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें