अलवर। राजस्थान में अलवर वाणिज्यिक कर विभाग में एक महिला अधिकारी ने उपायुक्त (डीसी) वीरभान मीणा पर मानसिक प्रताडना का आरोप लगाया है।
महिला अधिकारी के पक्ष में लामबन्द हुए अन्य कर्मचारियों ने डीसी और उसका साथ दे रही महिला सीटीओ के खिलाफ प्रदर्शन भी किया। उन्होंने दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अलवर वाणिज्यिक कर विभाग में कार्यरत सहायक वाणिज्यिक कर अधिकारी रजनी गुप्ता का तबादला भरतपुर कर दिया था। इसके बाद यह अधिकारी 27 नवम्बर को ट्रिब्यूनल से स्टे ले आई लेकिन गत 28 नवम्बर से आज तक महिला सीटीओ और डीसी इस महिला अधिकारी को डयूटी ज्वाईन नहीं करा रहे हैं। इस बात को लेकर सारे कर्मचारी लामबन्द हो गए।
उन्होंने डीसी वीरभान मीणा और महिला सीटीओ निशी मीणा के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। उनका आरोप है कि दोनों अधिकारियों ने अलवर में ऑफिस का माहौल खराब कर रखा है। कर्मचारियों को परेशान करते हैं। उन्होंने दोनों अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की।
उधर, मीणा किसी भी तरह की मानसिक प्रताडना के आरोपों से इंकार कर रहे है। जबकि रजनी गुप्ता ने पत्रकारों के सामने आरोप लगाया कि डीसीवीरभान मीणा उन्हें गत छह महीनों से मानसिकरूप से प्रताडित कर रहे हैं। वहां अपने कैबिन में अकेले आने को कहते हैं। गबन का आरोप लगाकर परेशान कर रहे हैं। ट्रांसफर की धमकी देते हैं और कहते हैं कि अलवर में नौकरी करनी है तो घुटनों के बल आना पडेगा। उहोंने कहा कि ट्रव्यूनल से स्टे के बावजूद उन्हें ज्वाईन नहीं कराया जा रहा है।
भोपाल में हुए इस हादसे में सरकारी आकंडे के मुुताबिक कुछ हीघंटो में तीन हजार लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग गैस की चपेट में आकर गंभीर रूप से बीमारियों का शिकार हो गए थे। गैर सरकारी आंकड़ों और गैस पीडितों के लिए काम करने वाले संगठनों के अनुसार मरने वालों की संख्या इससे कई गुना अधिक थी।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट को सौंपे गए शपथ पत्रों में यह आंकड़ा 5295 बताया गया था जबकि राज्य सरकार ने अलग आंकड़ा पेश किया था। गैस पीडित संगठनों का आरोप है कि अब तक गैस की चपेट में आने से मरने वालों की संख्या करीब 25 हजार हो चुकी है और गैस पीडितों संगठनों का कहना है कि अभी भी गैस जनित पीडितों की संख्या करीब डेढ़ लाख है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें