जैसलमेर। शहर से तकरीबन 150 किलोमीटर दूर सीमा के पास तनोट माता का सिद्ध मंदिर स्थित है। चारों ओर फैले थार मरूस्थल में सब तरफ केवल रेत के टीले ही नजर आते हैं। यह स्थान उसी लोंगेवाला नामक जगह के पास स्थित है जहां पर भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 का प्रसिद्ध युद्ध लड़ा गया था।
नहीं फटे दुश्मन के गिराए बम
लेकिन जैसलमेर में भारत पाक सीमा पर बने तनोट माता के इस मंदिर से भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़े गए युद्ध की कई अजीबोगरीब यादें जुड़ी हैं।
राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना को परास्त करने में तनोट माता की भूमिका बड़ी अहम मानी जाती है। यहां तक मान्यता है कि माता ने सैनिकों की मदद की और पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। कहा जाता है कि इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने मंदिर को निशाना बनाते हुए कई बम गिराए थे लेकिन इनमें से एक भी बम नहीं फटा।
फौजियों की आस्था का केंद्र
युद्ध समाप्ति के पश्चात मंदिर प्रशासन ने इन बमों को बीएसएफ के हवाले कर दिया। फिलहाल यह मंदिर बीएसएफ के सुरक्षा घेरे में रहता है। सभी बमों को मंदिर प्रांगण में मौजूद संग्रहालय में इस युद्ध की याद के तौर पर सहेज कर रखा गया है।
यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि कभी पाकिस्तान के फौजियों के लिए भी आस्था का केंद्र रहा है। इस घटना की याद में तनोट माता मंदिर के संग्रहालय में आज भी पाकिस्तान द्वारा दागे गए जीवित बम रखे हुए हैं।
सेंसस के ताजा आंकड़ों के अनुसार मुताबिक तनोट गांव में 49 परिवारों के 492 लोग रहते हैं। यह जगह पाकिस्तानी सीमा के इतनी नजदीक है कि अक्सर यहां के घरों को गोलीबारी झेलनी पड़ती है।
इसके अलावा दोनों ओर की सेनाओं ने इस पूरे क्षेत्र में लैंड माइन लगा रखी हैं। गांव वालों के पालतू ऊंट और अन्य पशु गाहे बेगाहे इन माइन्स का अक्सर शिकार होते रहते हैं। -
नहीं फटे दुश्मन के गिराए बम
लेकिन जैसलमेर में भारत पाक सीमा पर बने तनोट माता के इस मंदिर से भारत-पाकिस्तान के बीच 1965 में लड़े गए युद्ध की कई अजीबोगरीब यादें जुड़ी हैं।
राजस्थान के जैसलमेर क्षेत्र में पाकिस्तानी सेना को परास्त करने में तनोट माता की भूमिका बड़ी अहम मानी जाती है। यहां तक मान्यता है कि माता ने सैनिकों की मदद की और पाकिस्तानी सेना को पीछे हटना पड़ा। कहा जाता है कि इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना ने मंदिर को निशाना बनाते हुए कई बम गिराए थे लेकिन इनमें से एक भी बम नहीं फटा।
फौजियों की आस्था का केंद्र
युद्ध समाप्ति के पश्चात मंदिर प्रशासन ने इन बमों को बीएसएफ के हवाले कर दिया। फिलहाल यह मंदिर बीएसएफ के सुरक्षा घेरे में रहता है। सभी बमों को मंदिर प्रांगण में मौजूद संग्रहालय में इस युद्ध की याद के तौर पर सहेज कर रखा गया है।
यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि कभी पाकिस्तान के फौजियों के लिए भी आस्था का केंद्र रहा है। इस घटना की याद में तनोट माता मंदिर के संग्रहालय में आज भी पाकिस्तान द्वारा दागे गए जीवित बम रखे हुए हैं।
सेंसस के ताजा आंकड़ों के अनुसार मुताबिक तनोट गांव में 49 परिवारों के 492 लोग रहते हैं। यह जगह पाकिस्तानी सीमा के इतनी नजदीक है कि अक्सर यहां के घरों को गोलीबारी झेलनी पड़ती है।
इसके अलावा दोनों ओर की सेनाओं ने इस पूरे क्षेत्र में लैंड माइन लगा रखी हैं। गांव वालों के पालतू ऊंट और अन्य पशु गाहे बेगाहे इन माइन्स का अक्सर शिकार होते रहते हैं। -
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