वंचितों के सच्चे हमदर्द पदम्श्री मगराज जैन का निधन
बाड़मेर। जानेमाने समाजसेवी एवं पदमश्री मगराज जैन का 84 वर्श की आयु में मंगलवार दोपहर 3 बजे उनके निवास स्थान महावीर नगर पर निधन हो गया। जैन पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके पुत्र भुवनेष जैन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से उनका स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही थी और मंगलवार सुबह उनका स्वास्थ्य और अधिक बिगड़ गया, जिसके बाद दोपहर को उन्होनें अंतिम सांस ली। जैन का अंतिम संस्कार बुधवार सुबह 11 बजे किया जाएगा। इससे पहले अंतिम दर्षन के लिए उनका षव उनके महावीर नगर स्थित निवास स्थान पर रखा जाएगा।
समाजसेवा के क्षेत्र में जैन के उल्लेखनीय योगदान एवं उनके व्यक्तिगत गुणों के लिए भारत सरकार ने 1989 में उन्हें पदम्श्री से सम्मानित किया। जैन बाड़मेर के पहले व्यक्ति और इकलौती विभूति थे जिन्हे पदम्श्री सम्मान से सम्मानित किया गया।
जिले के पदमश्री से सम्मानित एक मात्र षख्सियत मगराज जैन का जन्म श्री खंगारमल जैन के यहां गंाव षिव मंे वेैष्य जैन के साधारण परिवार मे हुआ। उनकी प्रारंभिम षिक्षा पड़ौसी जिले जालौर के तीखी गांव में सम्पन्न हुई। षुरूआती दौर में जैन ने एक षिक्षक रूप बाड़मेर में बच्चों को पढ़ाने का काम षुरू किया गया। जैन नेहरू युवा केन्द्र बाड़मेर के पहले युवा समन्वयक भी बने। अपने जीवन काल के दौरान जैन भारत सेवक समाज से भी जुड़े रहे।
जैन ने पष्चिमी राजस्थान की लोककला और लोककलाकारों के प्रोत्साहन और उत्थान के लिए सराहनीय कार्य किए। थार की लोककला और कलाकारों के सरंक्षण के लिए किए गए उनके प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा। नेहरू युवा केन्द्र के समन्वयक के बतौर श्री जैन ने युवाओं की क्षमता संर्वधन के बहुत सारे प्रषिक्षण आयोजित कर युवाओं को रोजगार से जोड़ा।
बाड़मेर में होम्यापैथी, कृशि, आयर्वधन, षिक्षा, स्वंय सहायता समूह, थारपारकर नस्ल के संर्वधन के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। अकाल के दौरान पषु षिविर और अकाल राहत के माध्यम से लोगों को राहत पहुंचाने की परिकल्पना का श्रेय भी श्री जैन को जाता है। श्री जैन ग्रामीण विकास, महिला सषक्तिकरण और दलित उत्थान के क्षेत्र में कार्य कर रही स्वंय सेवी संस्था ‘ष्योर’ के संस्थापक थे।
श्री जैन के निधन पर षोक व्यक्त करते हुए वरिश्ठ अधिवक्ता मदनलाल सिंहल ने कहा कि श्री जैन के निधन के साथ ही पष्चिमी राजस्थान ने एक ऐसे समाजसेवी को खो दिया है, जिसने नित-नए प्रयोगों के साथ समाज के हर वर्ग को मजबूती देने व उत्थान के सरीखे अवसर उपलब्ध कराने के लिए अनुकरणीय प्रयास किए। सिंहल ने कहा कि खासतौर पर दलित और वंचित वर्ग के लिए उनके द्वारा किए प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा। सिंहल ने बताया कि बाड़मेर के पहले अंध-मूक-बघिर विद्यालय एवं विमन्दित छात्रावास का श्रेय भी श्री जैन को जाता है।
बाड़मेर। जानेमाने समाजसेवी एवं पदमश्री मगराज जैन का 84 वर्श की आयु में मंगलवार दोपहर 3 बजे उनके निवास स्थान महावीर नगर पर निधन हो गया। जैन पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे। उनके पुत्र भुवनेष जैन ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से उनका स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आ रही थी और मंगलवार सुबह उनका स्वास्थ्य और अधिक बिगड़ गया, जिसके बाद दोपहर को उन्होनें अंतिम सांस ली। जैन का अंतिम संस्कार बुधवार सुबह 11 बजे किया जाएगा। इससे पहले अंतिम दर्षन के लिए उनका षव उनके महावीर नगर स्थित निवास स्थान पर रखा जाएगा।
समाजसेवा के क्षेत्र में जैन के उल्लेखनीय योगदान एवं उनके व्यक्तिगत गुणों के लिए भारत सरकार ने 1989 में उन्हें पदम्श्री से सम्मानित किया। जैन बाड़मेर के पहले व्यक्ति और इकलौती विभूति थे जिन्हे पदम्श्री सम्मान से सम्मानित किया गया।
जिले के पदमश्री से सम्मानित एक मात्र षख्सियत मगराज जैन का जन्म श्री खंगारमल जैन के यहां गंाव षिव मंे वेैष्य जैन के साधारण परिवार मे हुआ। उनकी प्रारंभिम षिक्षा पड़ौसी जिले जालौर के तीखी गांव में सम्पन्न हुई। षुरूआती दौर में जैन ने एक षिक्षक रूप बाड़मेर में बच्चों को पढ़ाने का काम षुरू किया गया। जैन नेहरू युवा केन्द्र बाड़मेर के पहले युवा समन्वयक भी बने। अपने जीवन काल के दौरान जैन भारत सेवक समाज से भी जुड़े रहे।
जैन ने पष्चिमी राजस्थान की लोककला और लोककलाकारों के प्रोत्साहन और उत्थान के लिए सराहनीय कार्य किए। थार की लोककला और कलाकारों के सरंक्षण के लिए किए गए उनके प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा। नेहरू युवा केन्द्र के समन्वयक के बतौर श्री जैन ने युवाओं की क्षमता संर्वधन के बहुत सारे प्रषिक्षण आयोजित कर युवाओं को रोजगार से जोड़ा।
बाड़मेर में होम्यापैथी, कृशि, आयर्वधन, षिक्षा, स्वंय सहायता समूह, थारपारकर नस्ल के संर्वधन के क्षेत्र में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। अकाल के दौरान पषु षिविर और अकाल राहत के माध्यम से लोगों को राहत पहुंचाने की परिकल्पना का श्रेय भी श्री जैन को जाता है। श्री जैन ग्रामीण विकास, महिला सषक्तिकरण और दलित उत्थान के क्षेत्र में कार्य कर रही स्वंय सेवी संस्था ‘ष्योर’ के संस्थापक थे।
श्री जैन के निधन पर षोक व्यक्त करते हुए वरिश्ठ अधिवक्ता मदनलाल सिंहल ने कहा कि श्री जैन के निधन के साथ ही पष्चिमी राजस्थान ने एक ऐसे समाजसेवी को खो दिया है, जिसने नित-नए प्रयोगों के साथ समाज के हर वर्ग को मजबूती देने व उत्थान के सरीखे अवसर उपलब्ध कराने के लिए अनुकरणीय प्रयास किए। सिंहल ने कहा कि खासतौर पर दलित और वंचित वर्ग के लिए उनके द्वारा किए प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद किया जाएगा। सिंहल ने बताया कि बाड़मेर के पहले अंध-मूक-बघिर विद्यालय एवं विमन्दित छात्रावास का श्रेय भी श्री जैन को जाता है।
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