गुरुवार, 27 नवंबर 2014

क्या मानवेन्द्र के बिना रेगिस्तान भाजपा अधूरी है ?

क्या मानवेन्द्र के बिना रेगिस्तान भाजपा अधूरी है ?

Dinesh bohra View 

मेरे मन में यह सवाल इस लिए आया है कि निकायों चुनावो पुरे राजस्थान कमल का फूल खिल गया लेकिन रेगिस्तान में फूल मुरझा गया है एक बार हाथ ने धामकेदार वापसी कर ली है यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि जब साल भर पहले विधानसभा चुनावो की बागडोर मानवेन्द्र के हाथो थी तो रेगिस्तान में कांग्रेस का सूपड़ा साफ़ हो गया था सिर्फ बाड़मेर विधानसभा सीट पर भाजपा को मात खानी पड़ी थी वो भी भाजपा में आपसी लड़ाई के चलते लेकिन उस समय पार्टी ने मानवेन्द्र को बाड़मेर जिले के लिए पूरा फ्री हैंड कर रखा था उसके कुछ महीने बाद लोकसभा चुनावो में राजे के कहने पर जसवंत सिंह का टिकट काट कांग्रेस से आए जाट नेता सोनाराम चौधरी को थमा दी तो जसवंत सिंह ने निर्दलीय ताल थोक दी तो राजे ने इस सीट पर अपना पूरी ताकत झोक दी। 


बाड़मेर जिले में लोकसभा चुनावो में पहली मर्तबा सारे जातिगत समीकरण बदल गए लोकसभा चुनावो में भाजपा का मुकाबला भाजपा से हुआ कांग्रेस को तो मुक़बले में ही नहीं माना जा रहा था जसवंत सिंह ने भाजपा को कड़ी टककर दी लेकिन अंत में जीत भाजपा के सोनाराम चौधरी की हुई लेकिन जसवंत ने निर्दलीय होते हुए भी करीब चार लाख के आस पास वोट लिए उसी दिन से बाड़मेर जिले की भाजपा की राजनीती रेगिस्तान में बदल गई पार्टी ने मानवेन्द्र सिंह को एक बार फिर साइड लाइन कर दिया रेगिस्तान भाजपा की कमान पूर्व विधायक जालमसिंह रावलोत ,प्रदेश प्रवक्ता प्रियंका चौधरी ही अन्य लोगो को सोप दी लोकसभा चुनावो के बाद रेगिस्तान में बिना मानवेन्द्र सिंह भाजपा का पहला टेस्ट निकाय चुनावो में हुआ तो पुरे प्रदेश में तो भाजपा ने अपना परचम लहरा दिया लेकिन रेगिस्तान में बाड़मेर और बालोतरा में निकायों चुनावो में कमल मुरझा गया दरसअल यह कांग्रेस की जीत नहीं यह पर भाजपा में गट बाजी इतनी हावी थी कोई भी गुट अपने को कम मानाने को तैयार नहीं था पार्टी प्रदेश नेतृत्व ने भी रेगिस्तान में अपनी पूरी ताकत झोक दी थी इसके लिए स्टारप्रचारक गुलाब चंद कटारिया की दोनों जगह पर चुनावी रैली भी करवाई लेकिन गुटबाजी इतनी हावी कोई भी किस को अपना नेता मानाने को तैयार नहीं था भाजपा का कमल रेगिस्तान में खिलाने पांच विधायक ,एक मंत्री ,एक सांसद ,प्रदेश प्रवक्ता ,एक पूर्व सांसद सहित पूरा अमला लगा हुआ था इस चुनावो में जसवंत सिंह समर्थको ने कांग्रेस को आगे कर अपनी पूरी रणनीति पर काम किया इसलिए भाजपा को दोनों जगहों पर मात खानी पड़ी ऐसे में अब यह सवाल उठना भी लाजमी है कि आखिर पार्टी इन नेताओ के भरोशे आगे कैसे अपनी नइया पार करेगी। कुछ ही महीनो में राजस्थान के साथ ही रेगिस्तान में भी पंचायती राज चुनाव है और इन परिणामो भाजपा के नेताओ के साथ प्रदेश लीडरसीप को इस बात का डर अब से सताना शरू हो गया है कि जसवंत सिंह समर्थक कांग्रेस के साथ हाथ मिलाकर भाजपा को फिर कोई बड़ा झटका न दे। मेरा यह कहना कि भाजपा रेगिस्तान में मानवेन्द्र सिंह के बिना अधूरी है इसलिए सही है कि मानवेन्द्र सिंह पिछले करीब दशक से भाजपा की और से रेगिस्तान में बागडोर संभाल रहे है पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि राज्य में भाजपा की सरकार हो और बाड़मेर और बालोतरा में भाजपा का बोर्ड न बना हो । इन चुनावो के बाद एक बात साफ़ है कि इस बार रेगिस्तान आने वाले चुनाव और ज्यादा मजेदार होगे

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