कृपा राम महाराज की भगवत कथा
बाड़मेर धोरीमना नंद के घर आनंद भयो जय कन्हेया लाल की
रिपोर्टर। प्रकाश चंद विश्नोई
धोरीमन्ना लोहारवा स्थित रामकुन्ज में रामविलास जानकीदेवी चेरीटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन संत कृपाराम महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव में गोपियो ने अपने तन के साथ अपने मन को सजाया जबकि भगवान का दर्षन तन को सजाने से नही मन को सजाने से होता है।
माखन चोरी की लीला
कृपाराम ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण मखन की मटकी फोड़कर माखन खाते थे। ये मटकी फोड़ना ओर माखन खाना अर्थात पापरूपी मटकी को फोड़ना ओर भक्तिरूपी माखन का भोंग लगाना ये माखन लीला या मखन लीला का दृषन हैं। भगवान श्री कृष्ण गोपीयो के कहने पर मुरली बजाते थे। ओर नाचते थे। कि हम तुम माखन देगे ओर कन्हेया मुरली बजाते थै लेकिन भगवान माखन के प्रलोभन में आकर मुरली वादन ओर नृत्य नही करतें थै। बल्की गोपीयो की प्रेम लक्ष्णा भक्ति की यह षक्ति थी कि भगवान जगत पिता जगत कों नचाने वाला गोपीयो कें सामने नाचने को मजबुर हो जाता था। भगवान कृष्ण की इस लीली को सुनकर सब आंनद से भाव विभोर हो गये।
झाकियां रही आकृषण का केन्द्र
भगवान श्री कृष्ण की मखन की मटकी फोड़ने माखन खाने व गोपीयो के साथ नाच गान व मुरली बजाने की झाकिया ने आये हुए भक्तो का मन मोह लिया व सब को कृष्ण भक्ति में डबो दिया। रात 8 बजे बाद गोविन्दराम महाराज ने नेनी बाई का मायरा के चोथे दिन नेनी बाई की कृष्ण भक्ति को व्यंगात्मक ढंग से प्रस्तुत किया।
बाड़मेर धोरीमना नंद के घर आनंद भयो जय कन्हेया लाल की
रिपोर्टर। प्रकाश चंद विश्नोई
धोरीमन्ना लोहारवा स्थित रामकुन्ज में रामविलास जानकीदेवी चेरीटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन संत कृपाराम महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव में गोपियो ने अपने तन के साथ अपने मन को सजाया जबकि भगवान का दर्षन तन को सजाने से नही मन को सजाने से होता है।
माखन चोरी की लीला
कृपाराम ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण मखन की मटकी फोड़कर माखन खाते थे। ये मटकी फोड़ना ओर माखन खाना अर्थात पापरूपी मटकी को फोड़ना ओर भक्तिरूपी माखन का भोंग लगाना ये माखन लीला या मखन लीला का दृषन हैं। भगवान श्री कृष्ण गोपीयो के कहने पर मुरली बजाते थे। ओर नाचते थे। कि हम तुम माखन देगे ओर कन्हेया मुरली बजाते थै लेकिन भगवान माखन के प्रलोभन में आकर मुरली वादन ओर नृत्य नही करतें थै। बल्की गोपीयो की प्रेम लक्ष्णा भक्ति की यह षक्ति थी कि भगवान जगत पिता जगत कों नचाने वाला गोपीयो कें सामने नाचने को मजबुर हो जाता था। भगवान कृष्ण की इस लीली को सुनकर सब आंनद से भाव विभोर हो गये।
झाकियां रही आकृषण का केन्द्र
भगवान श्री कृष्ण की मखन की मटकी फोड़ने माखन खाने व गोपीयो के साथ नाच गान व मुरली बजाने की झाकिया ने आये हुए भक्तो का मन मोह लिया व सब को कृष्ण भक्ति में डबो दिया। रात 8 बजे बाद गोविन्दराम महाराज ने नेनी बाई का मायरा के चोथे दिन नेनी बाई की कृष्ण भक्ति को व्यंगात्मक ढंग से प्रस्तुत किया।
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