शुक्रवार, 21 नवंबर 2014

एक विश्लेषण। बाड़मेर शहर में बीजेपी नेता निजी वर्चस्व के चक्कर में बोर्ड गवाएंगे ,कांग्रेस खुश

एक विश्लेषण। बाड़मेर शहर में बीजेपी नेता निजी वर्चस्व के चक्कर में बोर्ड गवाएंगे ,कांग्रेस खुश

बाड़मेर शनिवार को पहली किरण के साथ शहर की नई सरकार बनाने  कवायद जनता शुरू कर देगी ,संभावना हे जनता बेहतर सरकार चुनेगी ,पहली दृष्टि में बीजेपी कमज़ोर लग रही हैं तो उसका कारन उसके नए नवेले नेता हे जिन्होंने अपना अपना वर्चस्व कायम करने के लिए पार्टी की साख को खूंटी पर लटका दिया ,मनमर्जी से अपने अपने चहेतो को टिकट बाँट बीजेपी के कार्यकर्ताओ की अनदेखी की ,बीजेपी का टिकट वितरण कितना सही था और कितना गलत यह तो छबीस को मतगणना के बाद पता चल ही जायेगा मगर अब तक यह तय हो गया की बीजेपी की कमान सही हाथो में तो नहीं हैं ,बीजेपी ने टिकट वितरण में जिस  समझी और हड़बड़ाहट दिखाई उसके दुष्परिणाम उन्हें भुगतने पड़ेंगे ,कई वार्डो में बाहरी लोगो को टिकट देकर जनता का आक्रोश गले लिया वाही आसपास के वार्डो में जातिगत  बिठा पाये ,   आस पास के वार्डो में एक ही जाती के उम्मीदवार उत्तर संकट में आ गयी वाही कई स्थानो पर बेटे ज़माने के लोगो को टिकट देकर युवा कार्यकर्ताओ की नाराजगो , मजे की बात हे की पूर्व में सभापति पद के संभावित दावेदार अमृत जैन का टिकट काट कर एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दी जो कभी कांग्रेस और कभी बीजेपी के आसपास मंडराता हैं ,अमृत जैन की टिकट कटना बीजेपी को भारी पद सकता हैं ,वाही कई वार्डो में बेहद कमज़ोर उम्मीदवार उतरे जो टक्कर में नहीं आ पा रहे ,

इधर कांग्रेस की कमान एक हाथ में होने से कांग्रेस आराम दायक स्थति में हैं ,अडतीश वार्डो में जहां कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार खड़े किये वाही दो वार्डो में निर्दलीय को समर्थन देकर समझदारी दिखाई ,विधायक मेवाराम जैन ने जिस राजनितिक सूझ बुझ  कूटनीति  खेल का प्रदर्शन किया और चुनावी चौसर में जिस तरह अपने मोहरे सेट किये उससे कांग्रेस का पलड़ा भारी  लग रहा हैं ,करीब एक दर्जन वार्डो में  जीत दर्ज करती दिख रही हैं तो एक दर्जन सीटो पर सीढ़ी टक्कर में हैं ,कुछ स्थानो पर निर्दलीय दोनों दलों पर भारी पद रहे हैं ,करीब आधा दर्जन निर्दलीय जीत के आने की संभावना हैं ,


संभावना हे की बीजेपी तरह से पंद्रह ,कांग्रेस अट्ठारह से इक्कीस और  चार से छ निर्दलीय जीत के आ सकते हैं ,चूँकि निर्दलीयों पर कांग्रेस ने पहले ही पकड़ बना ली हैं। बीजेपी क्या खेल खेलती हैं यह देखने वाली बात ,होगी फिल वक़्त पर बीजेपी नेता अपने आप को स्थापित करने के चक्कर में बोर्ड बनाने का मौका गँवा बैठे हे यह तय हो गया   

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